पटना वाले खान सर- अंधेरी कोठरी में एक रोशनदान

पटना वाले खान सर- अंधेरी कोठरी में एक रोशनदान

देश के सबसे वायरल और मशहूर शिक्षक खान सर आज चर्चा में हैं। खान सर भारत के मशहूर शिक्षक और यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर हैं। वे छात्रों को कम खर्च में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग देने के लिए जाने जाते हैं। उनके यूट्यूब चैनल खान जीएस रिसर्च सेंटर पर लगभग ढाई करोड़ सब्सक्राइबर हैं। उनके वीडियो करेंट अफेयर्स, गणित, राजनीति जैसे विषयों पर आधारित होते हैं। पटना के एक छोटे से कोचिंग में मात्र 6 छात्रों से शुरुआत करने वाले खान सर आज देश के सबसे वायरल शिक्षक हैं। उनका पढ़ाने का देसी और मजाकिया अंदाज छात्रों को खूब पसंद आता है। खान सर ने 2019 में खान जीएस रिसर्च सेंटर नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया था। कोविड-19 महामारी के दौरान ये चैनल बहुत लोकप्रिय हुआ। 2025 तक उनके चैनल के लगभग ढाई करोड़ सब्सक्राइबर हो गए।



 खान सर का जन्म 1993 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था। वे एक मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनके पिता एक ठेकेदार हैं और माता गृहिणी हैं। उनका बड़ा भाई भारतीय सेना में अधिकारी हैं। अपने सादगी भरे अंदाज से वे छात्रों और आम लोगों के दिलों में खास जगह बना चुके हैं। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के परमार मिशन स्कूल से हुई। सेना में भर्ती होने का सपना लेकर उन्होंने सैनिक स्कूल और पॉलिटेक्निक की परीक्षाएं दीं, लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने 10वीं कक्षा इंग्लिश मीडियम स्कूल और 12वीं हिंदी मीडियम स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी और एमएससी की डिग्रियां प्राप्त की। साथ ही उन्होंने भूगोल में भी मास्टर्स किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, खान सर की मासिक आय 10-12 लाख रुपये है, जबकि उनकी कुल संपत्ति लगभग 5 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके बावजूद वे अपनी कोचिंग फीस बहुत कम रखते हैं ताकि गरीब और मध्यमवर्गीय छात्र भी लाभ उठा सकें। वे मानते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं, समाज को मजबूत बनाना है। दो सौ ाुपये प्रति मास में वे सभी विषयों को मसालेदार ढंग से पढ़ाते हैं कि बच्चे इस जादूगर से हजारों की संख्या में पढऩे को आते हैं।

खान सर की शादी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक खान सर ने गुपचुप तरीके से शादी कर ली है। उन्होंने अपने लाइव क्लास में छात्रों के सामने यह चौंकाने वाला खुलासा किया। खान सर का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान उन्होंने शादी की।

शादी में सर ने अंबानी को भी मात दे दी। अपने बेटे की शादी में मुकेश अंबानी दुनिया के हजारों अमीरों को दावत दी और शादी के चर्चे सुर्खियों में हुए। खान साहब ने अपनी शादी में 50 हजार लडक़े-लड़कियों को दावत दी। 156 प्रकार के खाने परोसे गये थे। शाकाहारी और गैरशाकाहारी दोनों तरह के व्यंजन की व्यवस्था थी। स्वरुचि भोज छह बड़े-बड़े हॉल में परोसे गये। दक्षिण भारतीय खाने का भी इन्तजाम था। विकलांग बच्चों के लिये अलग कुर्सियों की पंगत लगी। तीन दिन तक यह भोज चला। प्रत्येक दिन 15-20 हजार को खिलाने का बामुलायजा प्रबन्ध किया गया।

खान सर का इतिहास भी इस शादी से कम अद्भुत नहीं है। जब उन्होंने जीवन की तरुणाई में प्रवेश किया तब की घटना है। उनको देवरिया जाना था। टिकट 90 रुपये की थी। सारी जेब खंगालने के बाद मात्र 60 रुपये ही मिले। नहीं जा पाये घर। उनकी अन्तरात्मा की आवाज थी कि तुमको घर नहीं जाना है। वहीं पटना में रहकर ही कुछ करना है और इस तरह खान सर पटना में ही रम गये।

खान सर के पढ़ाने या कोचिंग का तरीका कम अजीबो गरीब नहीं है। गंभीर बातों को भी कैसे हल्के फुल्के ढंग से समझाने का उन्हें हुनर प्राप्त है। इतिहास, भूगोल यहां तक कि गणित जैसे क्लिष्ट विषय पर वे छात्रों को हंसाते हंसाते पढ़ा देते हैं। उनका पढ़ाने का तरीका वैसे ही है जैसे जन्म के बाद नवजात को घुट्टी पिलाई जाती है।

खान सर की लोकप्रियता और उनके शिष्यों की बढ़ती हुई संख्या से प्रभावित होकर एक बहुत बड़े शिक्षण संस्थान में उनके पढ़ाने के एवज में कुछ करोड़ रुपये का पैकेज ऑफर किया। लेकिन खान सर ने उसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि मैं पैसे लेकर बड़ी शिक्षा संस्थान के व्यवसाय का हिस्सा बन गया तो मात्र दो सौ रुपये में बच्चों को कौन पढ़ायेगा?

सिर्फ किताबी शिक्षा ही नहीं बड़े बड़े मुद्दों एवं जटिल राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय समस्याओं पर भी यह युवा जब नक्शों के साथ बताता है तो देखने वाले के जहन में बात बैठ जाती है। फिलीस्तीन हो या इजराइल ईरान का युद्ध, रुस और यूक्रेन की लम्बी खिंच रही लड़ाई खान चुटकी ले लेकर बातें बता देते हैं। रोचक तरीके से इतिहास की घटनाओं को छात्रों के दिमाग में ऐसा बैठाते हैं मानो कोई पंचकथा की कहानी सुना रहा हो।

गरीबों के मसीहा खान सर पैदाइशी मुसलमान हैं पर वे धर्म, मजहब, जाति से ऊपर उठकर काम कर रहे हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि आदमी के जाने के बाद उसके काम को याद किया जाता है न कि उसकी जाति या धर्म को। राजनीति से कोसों दूर रहकर शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य कर खान सर ने इतिहास रचा है। हजारों छात्रों को उनकी शिक्षा में मदद देने वाले वन मिशन खान सर चाहते हैं कि कोई भी लडक़ा या लडक़ी शिक्ष से वंचित न हो। शिक्षा एक ऐसा मूल मन्त्र है जो मानव को दानव होने से बचाता है।

कुछ वर्ष पहले बैरकपुर के पास एक शिक्षक ने इसी तरह गंगा के किनारे पढ़ाकर हजारों बच्चों को शिक्षित किया। बहुत कम फीस में शिक्षा का अमृत पिलाने वाले खान सर की तरह कई शिक्षक हैं जो गरीबी में पलने वाले बच्चों को अपने संरक्षण में पढ़ाते हैं। वे सिर्फ पढ़ाते हीं नहीं पुस्तकें की जुगाड़ कर देते हैं और कई बच्चों के तो भोजन आदि की भी व्यवस्था कर देते हैं। रितिक रोशन की फिल्म सूपर-30 भी सत्यकथा पर आधारित थी।

आज कई सम्पन्न घरों के बच्चे पढऩे विदेश जाते हैं। वहीं अपना बोरिया बिस्तर लगा लेते हैं, वापस घर आने का नाम नहीं लेते। इसे अंग्रेजी में ब्रेन ड्रेन कहते हैं। परिवार का साधन और देश का खर्च कराके अपनी प्रतिभा को इंग्लैंड, अमरीका मेें ही विसर्जित कर अपने हुनर से लाभान्वित करते हैं। लेकिन देश में खान सर जैसे करिश्माई लोगों की जमात भी है जो नौनिहालों को प्रकृति की गोद में शिक्षित करने की लौ से खुद तपते हैं किन्तु लाखों छात्र-छात्राओं को विद्या की शीतलता प्रदान करते हैं।

आजादी की लड़ाई के दौरान हर मां ने यह सपना देखा होगा कि मेरा बच्चा पढ़ लिखकर अपने माता-पिता का सहारा बनेगा लेकिन यह सपना आज स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका। सरस्वती के मंदिर में शिक्षा का कारोबार के चलते करोड़ों बच्चे या तो पढ़ नहीं पाते या फिर अपनी पढ़ाई को बीच में ही तिलांजलि देकर किसी चाय की दुकान या ढाबे में बर्तन धोते हुए नजर आते हैं।

जरूरत इस बात की है कि शिक्षा का अवसर हर बच्चे को मिले। कोई भी बच्चा सिर्फ इसलिये पढ़ नहीं सके क्योंकि उसके माता-पिता शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते, यह एक सामाजिक कलंक है जो आजादी के सात दशक बाद भी मिटा नहीं है। 


Comments

  1. किसान,मजदूर आर्थिक स्थिति से कमजोर विद्यार्थियों की शिक्षा के ऊंची पायदान पर पहुँचाने वाले एक मजबूत ढाल हैं।खान सर मूर्तिकार है जो नि: स्वार्थ भाव से भारत के भविष्य को गढ़ रहे हैं। शिक्षा को व्यवसायिक चश्मे से देखने वाले संस्थानों ,शिक्षकों, कुलपतियों, उद्योगपतियों के लिए खान सर एक अनुपम उदाहरण हैं।
    जाति, धर्म,भेदभाव को भूलकर देश के किशोरों किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाने वाले ऐसे मसीहा को सलाम!!

    ReplyDelete

Post a Comment