जलेबी सिंघाड़ा के दिन फिरे

जलेबी सिंघाड़ा के दिन फिरे 

कहते हैं हर आदमी के दिन फिरते हैं। कई बार अभागा समझ नहीं पता और हाथ मलते रह जाता है। हम बरसों से या कहें तो पीढिय़ों से जलेबी, सिंघाड़ा खा रहे हैं। जलेबी खाकर जब मुंह मीठा मीठा हो जाता है तो फिर सिंघाड़ा में नमकीन का स्वाद लेते हैं और तृप्ति महसूस करते हैं। पहले मीठा फिर नमकीन। खाने में मीठा नमकीन की युगलबंदी बहुत पुरानी है। हमने तो जब से होश संभाला है इस युगल बंदी को परोसते देखा है। इस मिठास और नमकीन के पूरक स्वाद से पूरा जीवन निकल गया। पुरखों से जब पुरानी बातें सुनते हैं तो उसमें भी जलेबी-सिंघाड़ा का जिक्र होता है। जिक्र होता है इन्हीं का जब कहीं की बात हो। तिवारी ब्रदर्स में सुबह-सुबह जलेबी के लिए इंतजार में सभी उम्र के लोगों का जमघट देख देख सकते हैं। हमारे देखते-देखते सिंघाड़ा चार रुपए से चालीस रुपये तक पहुंच गया किन्तु भीड़ पर कोई असर नहीं पड़ा। 


अब अचानक सिंघाड़ा जलेबी पर स्वास्थ्य अधिकारियों की नजर पड़ गई। उन्होंने इस युगलबंदी को ‘हेल्थ इस वेल्थ’ की कसौटी पर कसना शुरू किया तो पाया कि जलेबी में जरूरत से ज्यादा मिठास है और सिंघाड़ा में पता नहीं क्या-क्या ठंूसा जाता है जो पेट में जाकर अपना करतब दिखाता है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने पाया कि जलेबी सिंघाड़ा खाने वाले ऊपर से भले ही मस्त दिखते हों पर अंदर पेट में झमेला पक रहा है जिससे बचाना उनकी जिम्मेवारी है। और इस दायित्व के बोझ ने उन्हें कुछ अप्रिय निर्णय लेने को मजबूर कर दिया वरना उनको क्या वे तो खुद जलेबी सिंघाड़ा के पुराने शौकीन हैं। इसी बीच एक आंकड़ा मुंह बाये सामने आया कि भारतीय मोटापे के शिकार हो रहे हैं। मोटापा से आदमी के चलने की गति कम हो जाती है और स्वास्थ्य विभाग इस तोहमत को लेने के लिए राजी नहीं है कि देश के विकास की गति में मोटापा स्पीड ब्रेकर का काम कर रहा है। अत: देश मंथर गति से आगे बढ़ता रहे इसके लिए जरूरी है कि जलेबी सिंघाड़े का कान मरोड़ा जाये।

 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन सब के चलते फैसला लिया है कि इन जायकेदार व्यंजनों पर भी अब स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी लगाई जाए। सावन के महीने में लाखों कावंडिय़ों की पवित्र जल यात्रा पर इसी बीच शोर मचा हुआ है। कुछ लोगों ने शिकायत की है कि कांवडिय़ा जब पवित्र जल लेकर भगवान शिव के मंदिर में जलाभिषेक करते हैं तो रास्ते में कुछ लोग इस यात्रा को अपवित्र करने की साजिश रचते हैं। धार्मिक नाम रखकर दुकानों में मीट मछली के व्यंजन बेचे जाते हैं। यह सरासर गलत है और ऐसी दुकानों के मालिकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। अधिकारियों ने फरमान जारी किया कि अब दुकान और यहां तक चलते-फिरते ठेलों पर भी अपना नाम लिखना पड़ेगा। और वह क्या बेच रहे हैं उनकी सूची भी उजागर करनी होगी। इस कार्रवाई से उनके जहन में आया कि क्यों नहीं जलेबी सिंघाड़ा को भी इसी व्यवस्था से दुरुस्त किया जाए।

मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार की सभी संस्थाओं में ऐसे बोर्ड लगाए जाएंगे, जिनमें यह जानकारी होगी कि किसी खाद्य पदार्थ में कितनी मात्रा में चीनी और तेल मौजूद है। समोसा, जलेबी, बड़ा पाव, लड्डू जैसे व्यंजन इस त्रसूची में शामिल होगे। यह चेतावनी सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर लगने वाली स्वास्थ्य चेतावनी की तर्ज पर होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि यह कदम लोगों को रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों के नुकसान के प्रति जागरूक करेगा। यह पोस्टर उन स्थानों पर लगाए जाएंगे, जहां यह खाद्य सामग्री बिकती है। चमकीले रंगों में इन पोस्टरों पर लिखा होगा कि व्यंजन  कितनी मात्रा में फैट और शुगर है। इससे लोग सोच-समझकर खाने का चुनाव करेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, तले-भुने और अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थ अब तंबाकू जितने ही खतरनाक हो चुके हैं। इनसे मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 7.7 करोड़ लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीडि़त हैं और 2.5 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक स्थिति में हैं। रिपोर्ट बताती है कि देश की 50' आबादी को यह पता ही नहीं कि उनके शरीर में शुगर का स्तर कितना है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक भारत में 45 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हो सकते हैं। वर्तमान में हर पांच में से एक भारतीय अत्यधिक वजन की समस्या से जूझ रहा है। भविष्य में यह संख्या तीन में से एक हो सकती है। भारत मोटापे के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच सकता है। हृदय रोग भी देश की एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुके हैं। हर साल लगभग 7 लाख लोग हृदयाघात से जान गंवाते हैं, जिसके पीछे बड़ा कारण अस्वास्थ्यकर खानपान है। डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता कहते हैं, अगर लोग जान लें कि एक गुलाब जामुन में 5 चम्मच चीनी होती है, तो वे दो बार सोचेंगे। 

वरिष्ठ डायबिटोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनीता गुप्ता कहती हैं कि यह भोजन पर बैन लगाने की बात नहीं है। यह कदम पीएम मोदी की फिट इंडिया मूहिम और तेल की खपत में 10' कटौती के लक्ष्य से भी जुड़ा है। 

यह तो हुई मीठे की बात। दूसरी और भारतीय जरूरत से ज्यादा नमक भी खा रहे हैं जिस कारण हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह चौंकाने वाला खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने किया है। जलेबी, सिंघाड़ा स्वाद की वशीभूत पुरानी पीढ़ी की बात जाने दीजिये। नई पीढ़ी की बात करें। आज के किशोर फास्ट फूड को अपना दिल दे चुके हैं। उसे पर भी कई बार चेतावनी दी जा चुकी दी जा चुकी है कि किशोर में हार्ट अटैक की बढ़ती वारदातें चिंताजनक हैं।

इन सबको देखते हुए सरकार के सामने यह समस्या बढ़ रही है कि किस-किस को बैन करें या चेतावनी दें। सिगरेट के डिब्बे पर धूम्रपान से होने वाली शरीर की हानि की चेतावनी के बावजूद सिगरेट या धूम्रपान कम नहीं हुआ। अब तो युवतियों में भी धूम्रपान की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

खैर आतंक फैलाने से नहीं जलेबी, सिंघाड़ा का स्वाद लेते हुए शरीर को फिट रखने की बात करें। योगासन या सुबह दो-तीन किलोमीटर टहलिए और फिर चाय की चुस्की के साथ अपने प्रिय व्यंजनों का आनंद लीजिए लेकिन एक लिमिट में। मेरा नुस्खा है- व्यस्त रहिए, स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए। 

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