सोने के लखटकिया होने की कहानी - बनवास में माँ सीता भी सोने के हिरण का लोभ संवरण नहीं कर सकी तो आम औरतों की क्या बिसात !
सोने के लखटकिया होने की कहानी
बनवास में माँ सीता भी सोने के हिरण का लोभ संवरण नहीं कर सकी तो आम औरतों की क्या बिसात !
सोना उस वक्त सुर्खियों में होता है जब उसके दाम में उछाल होता है। दाम बढऩे से भारतीय नारी सुस्त हो जाती है क्योंकि सोना महिलाओं की सबसे बड़ी कमजोरी है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर सुरक्षित निवेश के लिए खरीददारों की होड़ के बीच सराफा बाजार में कीमत 1650 रुपए एक साथ बढक़र 98,100 रुपए प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। यह सही है कि शेयर बाजार जब औंधे मुंह गिरता है तो सोना सीना तानकर चलता है क्योंकि निवेश यानी इन्वेस्टमेंट के लिए दमदार लोग सोने की ओर भागते हैं।
भारत की नारी के लिए सोना कितनी बड़ी कमजोरी है इसका उदाहरण समझना है तो उस काल में झांक कर देखिए जब भगवान रामचंद्र बनवास में गए। उनके साथ माता सीता और लक्ष्मण ने भी राह पकड़ ली। पूरा राजपाट छोड़ सुख वैभव को तिलांजलि देकर सीता ने अपने पति का साथ दिया लेकिन सोने के हरिण को देखकर वह लोभ संवरण नहीं कर सकी। पति राम को सोने का हिरण लाने का आग्रह ‘बनवासी’ राम भी नहीं टाल सके और फिर क्या हुआ सभी जानते हैं। कहने का मतलब है कि जगदंबा जग जननी माता सीता ने राजपाट त्याग दिया पर ‘सोने’ के मोह को जंगल में भी नहीं त्याग पाई। गृहस्थ जीवन से जुड़ी महिलाओं से हम कैसे उम्मीद रख सकते हैं कि वह सोने का लोभ संवरण नहीं करे।
आपने देखा होगा की शादी ब्याह में घर की महिलाओं की पहली पसंद सोने का गहना ही होता है। क्या आप जानते हैं कि भारतीय महिलाओं के पास कितना सोना है?
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की महिलाओं के पास लगभग 24,000 टन सोना है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना माना जा सकता है। भारतीय महिलाएं दुनिया के कुल सोने के भंडार का 11' आभूषण के रूप में पहनती हैं। यह भी बता दें कि सोने के मामले में भारतीय नारी सारी दुनिया की नारी पर भारी पड़ती है। हमारे देश की औरतें जितना सोना पहनती हैं वह दुनिया के टॉप 5 देश के कुल सोने के भंडार से भी ज्यादा है।
भारत में भी दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा सोने का इस्तेमाल होता है। भारत में मौजूद कुल सोने का 40 फीसदी सोना तो सिर्फ दक्षिण भारत में ही है। वहीं सिर्फ तमिलनाडु राज्य में 28 फ़ीसदी सोना है।
पूरी दुनिया में सोने के भंडार पर एक विहंगम दृष्टि डालें। अमेरिका के पास 8000 टन तो जर्मनी के पास 3,300 टन सोना है। इसके अलावा इटली के पास 2450 टन, फ्रांस के पास 2,400 टन और रूस के पास 1900 टन सोना है। गौरतलब है कि भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में ब्रिटेन में रखे अपने 100 टन सोने को घरेलू तिजोरियों में पहुंचाया है। याद होगा कि 1991 में विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए गोल्ड को गिरवी रखकर भारत की लाज बचाई गई। सोना भारतीय तिजोरियों से बाहर निकल गया था।
वित्त बाजार यानी फाइनेंस मार्केट में इसे ‘डेड एसेट’ (मृत संपदा) माना जाता है क्योंकि इसमें निवेश पर ना तो कोई ब्याज मिलता है और ना ही डिविडेंड। इसके बावजूद भी कई विशेषज्ञ इसे निवेशकों के पोर्टफोलियो का अनिवार्य अंग मानते हैं।
सोने के दाम का बढऩा भी बड़ा रोमांचक है। 1923 में सोने की कीमत मात्र 18.35 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 1933 में पहली बार यह 24 रुपए के पार पहुंचा 1942 में इसकी कीमत 44 रुपए और 1947 में यह 88 रुपए पर पहुंच गया और 1960 में पहली बार गोल्ड 100 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार चला गया। 1974 में सोना ने 500 रुपए के स्तर को पार किया तो 1980 में 1000 रुपए की ऊँचाई पर पहुंच गया। 2007 में सोना पहली बार दस हजारी हुआ। 2011 में 26 हजारी सोना ने पहली बार 50 हजारी बनकर ताल ठोकी। 2023 में 60 हजार के पास, 2025 शुरू होते ही सोना करीब 77 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम मिलने लगा।
भारतीय महिलाओं की बात और है किंतु सभी भारतीयों को सोने में निवेश बेहद पसंद है। एक समय सोना और चांदी को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। सोना संपन्नता का पर्यायवाची बन गया। सोना नारी की सुंदरता में चार चांद लगा देता था तो दूसरी तरफ मुश्किल या संकट के समय ‘स्त्री धन’ के रूप में सोना परिवार की प्रतिष्ठा बचाने का काम भी करता रहा है। आज भी कई बैंक सोने पर लोन देने का काम करती है।
बाजार के जानकारों का मानना है कि अगर वैश्विक आर्थिक हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में सोना और महंगा हो सकता है। महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के कारण निवेशक सोने को सुरक्षित संपत्ति मानकर इसकी खरीदारी कर रहे हैं, इससे कीमत ऊपर जा रही है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार भारतीयों ने वर्ष 2024 में 5,15,390 करोड़ रुपए का सोना खरीदा, जो वर्ष 2023 की तुलना में 31' अधिक है।
अमेरिका में चल रही आर्थिक उथल-पुथल के कारण सोने का भाव और बढ़ सकते हैं ऐसे में 2025 में ही प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 1 लाख 30 हजार तक पहुंच सकती है। ठ्ठ


It would be wrong interpretation to say that Sitaji wanted to possess golden skin
ReplyDeleteFirst Sitaji was a chhaya
It was all part of maya that Ramji/God had to ultimately kill Ravan
So to say that Sitaji was desired is not to understand the real meaning
सोने पर सटीक विवेचन।👍
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