अरे भाई निकल के आ घर से दुनिया की रौनक देख फिर से

अरे भाई निकल के आ घर से 

दुनिया की रौनक देख फिर से

बचपन में लोगों को यह गाना गुनगुनाते सुना था जिसके बोल आज तक स्मृति पटल पर है - 

‘अरे भाई निकल के आ घर से आ घर से, 

दुनिया की रौनक देख फिर से देख फिर से,  

दुनिया बदल गई प्यारे, आगे निकल गई प्यारे .....

बात कम से कम 60 साल पुरानी है। शायद इससे भी ज्यादा। उसके बाद तो दुनिया कई बार बदल गई है और बदलते बदलते यहां तक पहुंच गई है कि अब कामकाज के लिए हाड़ मांस के आदमी की जरूरत नहीं पड़ेगी। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में दुनिया पहुंच गई है। आपको पीने का पानी चाहिए हाजिर है जनाब। पानी भी देगा और आपको थैंक यू बोलकर चला जाएगा। हर क्षेत्र में काम करने वाले रोबोट मिलेंगे बस दो-तीन क्षेत्र में यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काम नहीं करेगा, यह मौसम नहीं बदल सकता और पर्यावरण को ठीक नहीं करेगा बाकी सारे काम के लिए बंदा हाजिर है। 


फिर करोड़ों लोग जो काम पर लगे हुए हैं उनका क्या होगा, क्या वह बेकार हो जाएंगे? यह सवाल उस वक्त भी पूछा गया था जब कंप्यूटर बाबा पधारे थे। एक बार हडक़ंप मच गया कि सारे काम अब यह जादूई डब्बा करेगा और सारी फाइलेंं इसी जादुई मशीन में समा जाएगी। इसके उदर में सारी दुनिया खप जाएगी। बस बटन दबाते जाइए और आपको जो चाहिए स्क्रीन पर दिखाई देगा। लोगों को आशंका थी कि बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे लेकिन कंप्यूटर बाबा दनादन कम कर रहे हैं और नौकरियां भी काम नहीं हुई।  अब कंप्यूटर एक जरूरी अस्त्र हो गया है जो आपकी टेबल की न सिर्फ शोभा बढ़ाता है पर यह कहता है कि इस छोटे से पर्दे पर दुनिया के तमाम तिलस्मसमाए हुए हैं। आपको क्या चाहिए, क्या देखना है मिल जाएगा। जब चाहें इसे इस्तेमाल कीजिए सिर्फ बिजली का कनेक्शन होना चाहिए।

 दुनिया इसके बाद भी बदल रही है और बदलने का कोई अंत नहीं होता। दुनिया में बदलाव ही स्थाई है बाकी सब समय का खेल है। समय ने बड़े बड़ों की तकदीर बदल दी है। पुराने गाने में था- अरे भाई निकल के आ घर से आ घर से। अब उसकी जरूरत भी नहीं है। आपको सब कुछ घर बैठे मिलेगा। ‘वर्क फ्रॉम होम’ का यह करिश्मा है जिसके लिए आपको कहीं जाना नहीं होगा।

कभी दुनिया दिल वालों की कहा जाता था। दिल वालों से खिसक कर यह दुनिया को मु_ी में करने एक छोटा सा यंत्र मोबाइल जी आ गये। और दुनिया आपकी मु_ी में आ गई। आज की दुनिया में बाहुबल मिसाइल और परमाणु बम भी आउटडेटेड हो गया। बारूद की गंध आती है पर बारूद की ऐंठ भी चली गई। सब्जी बाजार में हर सब्जी वाले के पास आलू प्याज रहता है। आज की दुनिया की महफिल में परमाणु सिर्फ आंख दिखाने तक सीमित है। आंख दिखाने से काम चल जाए तो फिर बम फोडऩे का कोई मतलब नहीं है। जिन देशों में दो वक्त खाना नसीब नहीं है वह भी परमाणु दबाए बैठा है। पेट भरने के लिए दर-दर भटकते हुए देश का भी परमाणु से पेट फूला हुआ है। 

अब लगता है दुनिया में सैन्य या परमाणु शक्ति का युग भी चला गया। रूस और यूक्रेन ने लड़ते-लड़ते अपनी सैन्य शक्ति का चीथड़ा बना दिया फिर भी युद्ध से बोर नहीं हुए। चीन दुनिया का दूसरा बड़ा पराक्रमी देश है। दुनिया के कई देशों को अपने प्रभाव की चपेट में ले चुका है। श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, भूटान, मालदीप सबको अपना दरबारी बना चुका है पर एक छोटे से चीन जिसे फॉर्मोसा कहते हैं को अभी तक छू नहीं पाया है। दावा है कि फॉर्मोसा उसी का अंग है पर फॉर्मोसा चीन से अलग अपनी पहचान बन चुका है और गुलिवर के सामने लिलिपुट की तरह शान से जी रहा है। मैडारिन की दुनिया में दोनों की अपनी वकत है।

 आप फिर दुनिया में आर्थिक ताकत का बोलबाला हो रहा है। अमेरिका से बहुत देश चिढ़े हैं पर अमेरिकी धौंस के सामने चुप हैं। अमेरिका में बाइडेन के बाद ट्रंप ने अब सिर्फ अमेरिका और अमेरिका फस्र्ट के नारे के साथ सिक्कों की खानखनाहट की। टैरिफ लगाकर छोटे-छोटे देश का अब तक मिलने वाले लाभ की नसबंदी हो गई है और चीन अपने कुबेर के खजाने को लेकर बौरा रहा है। 


अमेरिकी राष्ट्रपति एक राजनयिक कम और व्यापारी अधिक है। भारत के प्रधानमंत्री का गुजराती आला दिमाग भी व्यापार में मरहिर है। अमेरिका को फिर धन्ना सेठ बनाने के अभियान में ट्रंप ने मित्र देशों को भी नहीं छोड़ा है। डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी बड़ी कार्रवाई टैरिफ की नई दरों के रूप में सामने आई है। इसे पूरी दुनिया में हडक़ंप मच गया है। विश्व भर में शेयर बाजारों के धड़ाम से गिरने और महंगाई व बेरोजगारी बढ़ाने की आशंका के रूप में दिखने लगा है। भारत में अभी होने वाली क्षति का आकलन हो रहा है पर इतना साफ है कि व्यापार वाले भारतीय हितों पर इसका प्रतिकूल असर भी पड़ेगा। अमेरिका समेत दुनिया के तमाम शहरों में ट्रंप और उसके खरबपति सलाहकार एलन मस्क के तुगलकी फरमान के खिलाफ लोग सडक़ पर उतर आए हैं। 

कहा जाता है कि ट्रंप किसी राजनीतिक नेता से अधिक डीलर हंै। अगर आज के दौर में अमेरिका को चीन ने साफ कर दिया कर दिया है कि वह अमेरिका के अतिरिक्त 50 फीसदी टैरिफ की धमकी से डरने वाला नहीं है तो भारत को भी अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए लेकिन भारत इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों विदेश दौरे पर हैं। एक ही दिन में भारत के 20 लाख करोड़ रुपए डूब गए। क्या हम बड़ी आर्थिक सुनामी का इंतजार कर रहे हैं?

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