बंगाल ने रास्ता दिखाया यूपी ने शर्मसार किया

 बंगाल ने रास्ता दिखाया

यूपी ने शर्मसार किया

बंगाल के साथ राजनीति ने बड़ी बेइन्साफी की है। पहले वर्ष 1905 में बंग भंग हुआ। फिर बंटवारे में पूर्वी पाकिस्तान बना। 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए। पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर कुछ चरमपंथियों ने अत्याचार करना शुरू किया तो काफी संख्या में बांग्लादेश से हिन्दुओं का पलायन हुआ। बांग्लादेश से प्रतिदिन लोग बंगाल में आते हैं। कोलकाता से कहते हैं कि हर रोज लगभग एक लाख लुंगी बांग्लादेश जाती है। बेंन्टिक स्ट्रीट लोअर चितपुर रोड इलाके में पचास के लगभग गेस्ट हाउस हैं जहां बांग्लादेश के व्यापारी आकर ठहरते हैं। बांग्लादेश के व्यापारियों के कारण कोलकाता का बागड़ी मार्केट और न्यू मार्केट, रफी अहमद किदवई रोड के बाजार आबाद हैं। वीआईपी रोड, लेक टाउन में कई दर्जन नर्सिंग होम बांग्लादेशियों पर चल रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से बांग्लादेश में तख्ता पलट के कारण वहां से लोगों का आना बंद हुआ तो इन सारे इलाकों में सन्नाटा पसर गया। फ्री स्कूल स्ट्रीट में पैथेलॉजी-एक्सरे के बड़े प्रतिष्ठान के मालिक ने बताया कि उनका कारोबार दो तिथाई हो गया क्योंकि बांग्लादेश के लोगों पर ही उनका कारोबार चलता था। इसी प्रकार अन्य व्यापारियों की भी आवाजाही बन्द होने से दोनों पड़ोािसयों के बीच आवागम ठप्प हो चला है और कारोबार शून्य हो गया है।


होली और रमजान में जुम्मे की नमाज दोनों साथ साथ।

खैर यह स्थिति तो तब तक कमोबेश चलती रहेगी जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती। प. बंगाल और बांग्लादेश के बीच भी तनाव चल रहा था पर दोनों तरफ रहनेवालों के दवाब से कम से कम तनाव वाली स्थिति नहीं रही। व्यापारी अब पहले की तरह तो नहीं पर कुछ आवागमन शुरू हो गया है।

विगत होली के दिन 14 मार्च को रंगों का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। हिन्दुओं के रंगोत्सव ने मुसलमानों को भी आकर्षित किया और कई स्थानों पर दोनों कौम के लोगों ने होली उत्सव का आनन्द लिया। हर वर्ष होली में कुछ दुर्भाग्यजनक घटनायें हो जाती है पर इस होली में सब कुछ पटरी पर था। किसी के चेहरे पर तनाव नहीं देखा गया। इत्तफाक से होली के दिन शुक्रवार को जुम्मे की नमाज थी। पुलिस बहुत चौकन्ना थी। 12 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धन धान्य (अलीपुर) सभागार में होली उतसव कलकत्ता कार्पोरेशन की ओर से मनाया गया। ममता जी ने पारम्परिक नृत्य-संगीत में शिरकत की। धन धान्य का प्रेक्षागृह खचाखच भरा हुआ था। मंच तो पूरा लोगों से पटा हुआ था। हॉल में भीड़ थी। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में गड़बड़ी पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की घोषणा की। मुख्यमंत्री के कड़े कदम द्वारा शांति बनी रही। किसी ने कानून तोडऩे की हिमाकत नहीं की। किसी मोटरबाइक के दो लोगों से ज्यादा लोग सवार नहीं थे। स्कूटर अथवा मोटर बाइक में घूमते देखे गये। बड़ी आशंका थी कि हिन्दुओं की होली और मुसलमानों के रमजान और शुक्रवार को नमाज आमने सामने था पर किसी ने कानून को हाथ में लेने की कोशिश नहीं की।

बंगाल में मन्दिर और मस्जिद दोनों खुले थे। देशी ठेके और विदेशी दारू की दुकानें खुली थी। कोविड के समय हमारी मान्यताओं और धारणाओं को बड़ा झटका लगा था जब मन्दिर-मस्जिद दोनोंं बन्द थे पर दारू की दुकानें खुली थी। बच्चन जी की प्रसिद्ध मुधशाला की वह पंक्तियां सार्थक साबित हुई कि मन्दिर-मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला।

बंगाल में सौहार्द का वातावरण बना रहा। दीदी ने ही ही कहा था कि रमजान या होली दोनों पे्रेम पूर्वक मनाइये, कोई घटना नहीं होनी चाहिये। और हुआ भी वही। किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली। जुम्मे की बड़ी नमाज में भी किसी ने विघ्र नहीं डाला।

यूपी में पथराव से बचाने मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया।

उत्तर प्रदेश जो देश का सबसे बड़ा राज्य है, में पहली बार योगी जी के आदेश पर मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया। कभी किसी ने सोचा नहीं था कि भगवान के मन्दिर या अल्लाह के इबादत की पवित्र धरोहर को ढक दिया जायेगा। वैसे मस्जिद के दरवाजे कभी बन्द नहीं होते। किसी बन्दे ने दरवाजा लगाने की जुर्रत नहीं की। पर सरकारी फरमान होने के नाते मस्जिदों को मानों बुर्का पहना दिया गया हो। इबादत के पवित्र स्थलों को जब कोविड की महामारी ने निरस्त नहीं किया तो ईश्वर ने भक्तों और अल्लाह के बंदों ने उनको हवा, पानी, धूप से वंचित कर देना एक बड़े ही शर्म की बात है। कुछ दिन पहले ही जब योगी जी ने घोषणा की थी कि प्रयागराज के त्रिवेणी में 66 करोड़ लोगों ने अमृत जल की डुबकी लगाई तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया कि दुनिया में भारत ही एक देश है जहां बिना किसी नोटिस के देश की आधी जनसंख्या एक स्थान पर इक्ट्ठा होकर पुण्य की डुबकी लगा सकी। दुनिया के दूसरे देश मेे ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकते।

बंगाल में 14 मार्च को होली और रमजान की बड़ी नमाज पूरी शांति से हो ली। मस्जिदों को तिरपाल से ढकना मुसलमानों के लिए नागवार न गुजरा हो न्तिु मेरे जैसे हिन्दुस्तानियों का शर्म से माथा झुक गया। इबादत या पूजा के लिए नहीं, अपने धर्मस्थलों एवं इबादतगाह को महरूम रखने के वास्ते। जिसने भी किया हो उसे नहीं मालुम कि भारत की सनातनी संस्कृति इस बात की इजाजत नहीं देती कि हम ऐसी हरकत करें। भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहा है। कश्मीर राज्य में अधिकांश जनसंख्या मुसलमानों की रही है पर राजा हिन्दू होता था। कभी कोई समस्या पैदा नहीं हुई। दुर्भाग्य से जब प्रधानमंत्री वीपी सिंह बने और भाजपा के समर्थन से उन्होंने  सरकार चलायी। उसी दौरान कश्मीर से हिन्दू पंडितों का पलायन हुआ। राज्यपाल जगमोहन का इसके पास कोई जवाब नहीं था। कश्मीर से 370 धारा को निरस्त कर कश्मीर का एक नया अध्याय शुरू हुआ। दावा तो किया गया पर अभी तक हिन्दू पंडितों के परिवार वापस नहीं लौटे। जबकि प. बंगाल में हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द बना हुआ है, हालांकि उसको समाप्त करने की चेष्टा दोनों तरफ से हुई किन्तु ऐसा करने वाले थोड़ी संख्या में थे। यूपी में तिरपाल से मस्जिदों को ढकने से पत्थरबाजी बन्द हुई होगी पर भारत की धडक़न कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में धार्मिक सौहार्द के लिये मौसम बड़ा खराब हुआ है। 




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