महाकुम्भ में विशाल भारत की एकता का दर्शन
प्रयागराज में हाल ही में सम्पन्न महाकुम्भ में उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों की मानें तो लगभग 66 करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। एक भगदड़ और आगजनी की कुछ घटनाओं को छोड़ मेला निविघ्र सम्पन्न हो गया। हिन्दू समाज ने अपने पुरखों की गौरवशाली विरासत का सम्मान किया। भले ही इस बार की संख्या बहुत हो पर पहले भी कुम्भ में करोड़ों की संख्या में सनातनी बिना किसी सूचना या चिट्ठी पत्री के स्वत:स्फूर्त भाव से एक गठरी लेकर कुम्भ स्नान किया करते थे। इस बार पूरी दुनिया ने देखा भारत में कुम्भ जैसे आयोजन कैसे सफल होते हैं।
महत्वपूर्ण यह भी है कि तीर्थयात्रियों ने दिल खोलकर खर्च किया और बहुतों ने आधा पेट खाकर भी पुण्य प्राप्ति के लिये आस्था की डुबकी लगाई। मुख्यमंत्री योगी जी के कथनानुसार उत्ता प्रदेश की तिजोरी में करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। यह राशि प्रदेशों में होने वाली इन्वेस्ट समिटों में देशी विदेशी उद्योगपतियों के पंूजी निवेश के किये गये एमओयू से कहीं ज्यादा है। इतने बड़े आयोजन में राजनीति न हो ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता। जनतंत्र में समीक्षा और समालोचना भी जरूरी है। विपक्ष ने भगदड़ में बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने का दावा किया जिसपर सरकार की ओर से मुंह बंद रखा गया। शायद वे इस मुद्दे पर विरोधियों से उलझना नहीं चाहते थे। लेकिन धर्म और अध्यात्म क्षेत्र के महारथियों ने सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री योगी जी को घेरने की चेष्टा की।
जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी ने महाकुम्भ के समापन पर कहा कि असली कुम्भ तो माघ पूर्णिमा को ही संपन्न हो गया था। शेष दिनों तो सरकारी महाकुम्भ था। विपक्ष ने महाकुम्भ में 66 करोड़ स्नानार्थियों की बतायी गई संख्या पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया। जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि इस बार के महाकुम्भ को टेक्रोलॉजी के महाकुम्भ के रूप में भी याद किया जाएगा। विशेष एल्गोरिदम के जरिये इस्तेमाल पांच सौ एआई कैमरे क्राउड व फेशियल रिकोग्रिशन के लिये उपयोग में लाए गये। जिसके जरिये करोड़ा श्रद्धालुओं की सटीक गिनती का दावा किया गया। इस टेक्रोलोजी से बिछड़े हुओं को अपने परिजन से मिलाने का भी प्रयोग किया गया। नि:संदेह इतने बड़े जनसैलाब को संभालना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन भविष्य में इसी तरह की किसी टेक्रोलॉजी के जरिये भगदड़ को रोकने एवंआपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने हेतु तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिये। आखिर क्यों दो-तीन सौ किलोमीटर का जाम लगते रहे। ट्रेनों में चढऩे के लिए मारामारी और भारी भीड़ व बड़ी संख्या में यात्रियों को लटकते हुए जाना पड़ा। दिल्ली रेलवे का हादसा इसका ज्वलंत उदाहरण है।
महाकुम्भ के समापन के अगले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश प्रशासन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी किन्तु साथ साथ यह भी कह डाला कि कोई कमी रही हो तो माफ करना। इससे राजनीतिक अटकले लगाना स्वाभाविक है कि यूपी प्रशासन को ‘फूल प्रूफ’ का प्रमाण पत्र वे नहीं देना चाहते। यही नहीं महाकुम्भ के शुरुआती दिन से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि प्रयागराज का महाकुम्भ यह तय करेगा कि हिन्दुत्व का बड़ा चेहरा कौन-मोदी या यागी? साथ ही आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत का कुम्भ में डुबकी नहीं लगाने को लेकर भी कई बातें बनायी जा रही है। लोगों ने फूल बरसाये तो कुछ कंकड़ पत्थर भी फेंके गये। लोकतंत्र में आलोचना या समीक्षा को नहीं रोका जा सकता हे।
मेरी अपनी यह राय है कि भारत भर के हिन्दू धर्मावलंबियों ने इस महाकुम्भ को ऐतिहासिक बनाया। राजनीतिक नेता भले ही श्रेय लेने या लूटने की कोशिश करें किन्तु देश की आम जनता जो एक गठरी लेकर बूढ़े मां-बाप एवं छोटे बच्चों के साथ प्रयागराज तक जाने और घर वापस लौटने की जहमत ली उनकी तो मुक्त कंठ प्रशंसा की जानी चाहिये। उसने जो तकलीफ झेली एवं महाकुम्भ का स्नान करने हेतु अपने जीवन भर की कमाई लगा दी सिर्फ पुण्य प्राप्ति हेतु उसके लिये तो वह अभिनन्दन का अधिकारी है। सरकार को पीठ ठोक लेने का हक है किन्तु जिन करोड़ों भारतवासियों या हिन्दू समाज ने प्रशासन को प्रशस्ति पत्र दिलवाया उनके लिये सरकार क्या करने जा रही है- यह बात तो होनी चाहिये। सरकार अपनी जय जयकार ही करवाती रहेगी या उन भोले भाले धर्मपरायण भारतीय के जीवन को सुधारने एवं संवारने हेतु भी कोई बड़ी योजना का कार्यान्वयन करेगी। उत्तर प्रदेश के कोष में इन्हीं तीर्थयात्रियों ने साढ़े चार लाख करोड़ का इजाफा किया इस पर पहला अधिकार तो स्नानार्थियों का ही होना चाहिये।
एक बात और। योगी जी ने नारा दिया था बंटोगे तो कटोगे। पर हिन्दू समाज तो बंटा नहीं। एकबद्ध होकर उसने पवित्र स्नान किया। हिन्दुओं का हर वर्ग चाहे वह हरिजन हो, शुद्र या पिछड़ी जाति का सभी ने कुम्भ में स्नान किया। सभी वर्ग समावेशी हुए । योगी जी की आशंका कि हिन्दू बटेंगे, भी निर्मूल हुई है। अब बाबा को भी चाहिये कि वह इस दु:स्वप्र से अपने को निकाले। भारत की एकता तो तीर्थ यात्रियों ने बखूबी दिखा दी अब इस एकता पर शंका करना तो बंद कीजिये माननीय योगी जी। सिर्फ बुलडोजर चलाने से नहीं होगा इन 66 करोड़ तीर्थयात्रियों के लिए तो कुछ कीजिये सरकार!


Comments
Post a Comment