साहिबे विकास भी ले रहा सावन का मजा
सावन का महीना बरखा बहार के रोमांच और प्रेम-प्रसंग का मधुमास है। नवजवान की अठखेलियां और प्रेमियों का सबसे प्रिय माह है। हमारे देश के लिए तो यह महीना प्राणवान होता है। भारत का 70 प्रतिशत जनमानस को सावन का इन्तजार रहता है जब संतप्त खेत खलिहानों में चिर प्रतिक्षित बारिश की बूंद गिरती है तो किसानों का चेहरा प्रफुल्लित और चमत्कृत हो जाता है। लहलहाती फसलों को देखकर देश का गण देवता झूमने लगता है।
सावन के महीने में गांवों में झूले पड़ते हैं और बालायें अपने जीवन के सबसे खुशी के दिन की अनुभूति करती है। भारत के लिए सावन-भादो रमणीय और रोमांचकारी है। फिर इतने आनन्द का सभी उपभोग क्यों न करे।
कहते हैं देने वाला जब भी देता - पूरा छप्पर फाड़ के देता। घनघोर घटा जल प्रवाह पर आती है तो गरीब की झोपड़ी भी फटती है। फिर भी गांव का मानस इस तबाही को भी झेल लेता है। लेकिन लगता है नया भारत जिसकी बार-बार स्तुति हमारे साहिब चर्चा करते हैं सावन में अपनी बानगी दिखा रही है।
छपते छपते में नियमित रूप से अपनी लेखनी से पाठकों को अल्हादित करने वाली विदूषी सुसंस्कृति परिहार ने आज एक मार्के का व्यंग्य पोस्ट किया तो मुझे लगा यह तो मेरे मन की बात है। लगता है मेरे मन के शब्द हजार किलोमीटर दूर बैठी सुसंस्कृति जी ने चुरा लिये हैं। उसका प्रतिदान मैं उन्हें कर सकूंगा या नहीं कह नहीं सकता किन्तु उसका हू बहू उनके शब्दों को यहां अपने सुधि पाठकों के सामने परोसता हूं।
तकरीबन मनभावन सावन माह आधा गुजरने वाला है जिसका इंतजार ना केवल बहनों को रहता है बल्कि इससे ज़्यादा प्रेमी बल्लियों उछलते कूदते नजर आते हैं तो कहीं विरहणियां भी इससे प्रभावित होती हैं। सावन की आग होती ही ऐसी है जिसे बुझाना आसान नहीं होता। इस बार सावन तो अपने साहिब के विकास पर मेहरबान हो गया है। वह विकास पर इतना टपका है कि देश विदेश में चर्चित हुआ जा रहा है।
कोरोना से दुख भरे काल में सेंट्रल विस्टा यानि आज का तरोताजा संसद भवन एक साल पहिले अपने तल में सावन भर कर आनंद दिया वहीं इस बार शिखर से टपक कर सावन की बुलंदियों का मजा बिखेर रहा है। देश में ऐसे विकास का कोई दिव्य स्थल अछूता नहीं है जहां सावनी झरने झर झर ना बहे हों । वन्दे भारत ट्रेनों में इस बार सावन ने विकास का अनूठा दर्शन कराया। बादलों के बीच उड़ते हवाई जहाज में सावनी घटाएं बरस पड़ी। बादल भी इस दृश्य से भारत के विकास को देखकर अचंभित हो गए। हवाई अड्डे और रेल्वे स्टेशनों पर तो सावनी बौछार की धूम का अलौकिक आनंद जिसने लिया है वह इसे नहीं भूल पाएगा। आखिरकार हर जगह इतने छिद्रों का निर्माण विकसित टेक्नोलॉजी से ही संभव हो सकता है। साहिबे आलम का यह कार्य अद्वितीय और अनूठा है जिसने मौसमी आनंद जुटाने अठारह घंटे काम किया। सेंट्रल विस्टा का पुनीत कार्य देखने साहिब जी ने कई दफे दौरा किया तब जब कोरोना के भय से लोग घरों में घुसे थे तब साहिब इसकी देखरेख करने बिना कोरोना से भयभीत हुए मनोयोग से जाते रहे।उनकी इस देखरेख का ही सुफल है कि संसद में बुंदिया गिर रही हैं हम सावनी गा रहे हैं।
इतना ही नहीं उन्होंने बुलंद भारत बनाने का ठेका अपने गुजराती भाईयों को सौंपा जिन्होंने कुशल व्यापारी की तरह इसे निभाया। महाकाल में गिरते सप्तश्रृषि हों या अयोध्या का राम पथ हो सबमें सावनी बहार का मज़ा भरपूर मिल रहा है। पुल तो सावन की तरह टपक रहे हैं। अभी तो आधा सावन और पूरा भादों महीना बाकी है। हो सकता है कई जगह और इससे बेहतर नज़ारों के आनंद का इंतजाम हो। अभी तो ये बानगी है जो इतनी मजेदार है तो आगे आगे क्या होगा। गरीबों की झोपड़ी की तरह सावन इस बार बड़ी बड़ी जगह टपक कर अपने समाजवादी स्वरूप का आभास करा रहा है। सबका साथ सबका विकास का यह स्वरूप साहिबे आलम ही दिखा सकते हैं।
भगवान राम को लाने वालों का एहसान हम कभी नहीं भूलेंगे। पर रामजी को सावन की झड़ी से नहलाने का चमत्कार इतिहास में दर्ज होगा। अब अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु कई हजार करोड़ में बने राम मन्दिर के वे छिद्र भी देख सकेंगे जहां से सावन की बूंदों ने मन्दिर के आंगन को इस पवित्र बरसाती महीने का उपहार दिया है।
यकीं मानिए दुनिया में किसी भी छोर पर इतनी बड़ी सोच का कोई साहिबे आलम नजर नहीं आता। प्रतिपक्ष गाहे-बगाहे जबरदस्ती उन्हें छेडऩे की कोशिश करता रहता है उसे विकास के इन मानदंडों से सीखना चाहिए जो लोगों को आनंद देने के साथ पुन: निर्माण और रोजगार की गारंटी देता है। नया काम कहां से आएगा जब तक सावन हर जगह से नहीं झरेगा। साहिबे आलम हिंद की इस ऊंची सोच का खैर मकदम कीजिए। छिंद्रान्वेषण करने की जरुरत नहीं है। छेद भेद खोलकर कुछ हासिल होने वाला नहीं है इसलिए सावन की रिमझिम, बुंदियो, फुहारों और झरनों का जहां मिले भरपूर आनंद लें पर ध्यान इस बात का भी रखें कहीं ये वायनाड जल बहाव या हियालयीन बाढ़ का स्वरुप धारण ना कर लें। सावधान रहकर सावन का स्वागत करना सीखिए सिर्फ मजे में ही ना डूबे रहिए।
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