पांच हजार करोड़ की शाही शादी में जूता छिपाई की रस्म कितने में अदा की गई
12 जुलाई की वह शाही शादी भारतीय इतिहास में इस बात के लिए याद की जायेगी कि उस दिन सबसे रहीस परिवार ने यह साबित करने की पुरजोर कोशिश की कि पैसे में बड़ी ताकत होती है। धीरूभाई अम्बानी ने अपने जीवन की शुरुआत पेट्रोल पम्प में गाडिय़ों में पेट्रोल फीलिंग से की थी। वे आज दुनया में नहीं हैं किन्तु उनका आर्थिक साम्राज्य कई लाख करोड़ रुपये का हो चुका है। यह एक बड़ी उपलब्धि है जो किसी भी उद्यमी के लिए एक प्रेरक प्रसंग है। उनके ज्येष्ठ पुत्र मुकेश अम्बानी जो दुनिया के 9वें और एशिया के सबसे धनी व्यक्ति हैं कुछ समय अपने भाई अनिल अम्बानी से विवाद के कारण सुर्खियों में रहे। लेकिन अभी अपने छोटे बेटे अनन्त के राधिका मर्चेन्ट के साथ पाणिग्रहण को सभी तरह के मीडिया में जो सुर्खियां मिल रही है उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है। शाही शादियां पहले भी हुई हैं जिनका चटकारा लेकर लोगों ने घरों और चौपालों में चर्चा की। लेकिन अनन्त-राधिका के विवाह में जो धूम मची उसने अभी तक के सभी रेकार्ड तोड़ दिये। वैसे इस शादी में सभी वर्गों के टॉपर शामिल हुए। राजनीति, उद्योग-व्यवसाय, फोरेन डिप्लोमेट, फिल्मी दुनिया, क्रिकेट खिलाड़ी, जुडिसियरी, कला यानि ऐसी कोई विधा नहीं जिसकी बड़ी-बड़ी हस्तियों ने इस महाकुम्भ में गोता न लगाया हो। हमारी तरह जो नहीं बुलाये गये उन्होंने टीवी, इन्स्टाग्राम, अखबारों में शादी की रस्मों और बारातियों के जलवे आँखें फाड़ कर देखे। भले ही वह बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह हो। इसी बीच हाथरस में भगदड़ में 121 व्यक्तियों की मौत, तेरह उपचुनाव में भाजपा को सेटबैक, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प पर ताबड़तोड़ गोलियों से हमला और उनका बाल-बाल बचना, जम्मू में आतंकी हमले में कैप्टन सहित पांच जवानों की शहादत आदि-आदि कई बड़ी खबरों की अहमियत फीकी पड़ गयी। अम्बानी परिवार की शादी एक बड़ा फिल्मी इवेन्ट बन कर लोगों के जहन में समा गया।
इस शादी का जश्न करीब एक साल से चल रहा है। अभी भी इसमें पूर्ण विराम नहीं लगा है। लगभग हर महीने कोई अनुष्ठान एक अध्याय की तरह इस बहुचर्चित शादी में मुकुट मणि की तरह जुड़ता गया।
अम्बानियों की यह मेट्रोमोनियल लीग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। जितनी बार इन्स्टाग्राम खोलो अम्बानी परिवार की शादी की अलग-अलग सेरीमनी का फोटो सामने आ रहा है। सोशल मीडिया लगता है उनका फैमिली एलबम बन गया है। जो लोग बोलते हैं ‘‘मनी कैन नोट बाई एवरीथिंग’’ उन्होंने, मुझे पूरा यकीन है अम्बानी परिवार की शादी नहीं देखी होगी। लोग देश के आर्थिक हालात से ज्यादा अम्बानी के कुबेर के खजाने की चर्चा कर रहे हैं। इस शादी से अम्बानियों ने लोगों को अहसास करा दिया कि तुम वास्तव में हो गरीब। अब इससे ज्यादा हमें अपनी गीरीबी का अहसास कोई नहीं करा सकता। बहुत हो गया अब तो इस टूर्नामेन्ट को बंद करो और हमें अपने हालात पर छोड़ दो- मुकेश भाई और नीता भाभी।
इस शादी पर मध्यम श्रेणी परिवारों में अटकलें लगी हैं कि पांच हजार करोड़ की शादी ने खान परिवार के तीनों राजकुमारों को ही नहीं नचवाया, रेहाना जैसी विश्व प्रसिद्ध कलाकार से परफॉर्म करा दिया, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को भी लाल टोपी खोलने पर मजबूर कर दिया। पता नहीं क्यों नेहरू-गांधी परिवार का कोई भी नेता इस जश्न में शामिल नहीं हुआ। हमारे प्रधानमंत्री के बारे में अन्त तक सस्पेंस रहा कि वे जायेंगे कि नहीं। लेकिन उस वक्त उनका मुम्बई में होने ने यही अन्दाजे बयां किया कि वे भी देश के इस ऐतिहासिक इवेन्ट में जाये बिना नहीं रहेंगे, भले ही विपक्ष चिल्लाता रहे कि कुछ समय मणिपुर के लिए भी निकाल लेते। लेकिन नहीं विपक्ष का तो काम ही होता है अनर्गल बातें करना। इसलिए कहा जाता है- ‘‘हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार’’।
मैंने माथा खुजलाते हुए सोचा कि ये बड़े लोग आखिर क्या मैसेज देना चाहते हैं। जब मुकेश ने अपने लिये मुम्बई के पॉश इलाके में आलीशान विशाल मकान बनवाया तो रतन टाटा ने उसको फोन कर कहा था कि मेरे दोस्त (धीरूभाई) का पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हो आखिर क्या बताना चाहते हो। पर गज्ज भाई टस से मस नहीं हुआ। मुझे याद आया कि बिड़ला परिवार के गौरव घनश्याम दास बिड़ला अपने प्रपौत्र की शादी में सिर्फ इसलिये नहीं गये क्योंकि विवाह हेतु निर्धारित उम्र से कुछ कम थी। यही नहीं बिड़ला परिवार की दो शादियों में शरीक होने का मुझे अवसर मिला। लगा ही नहीं कि देश के चोटी के उद्योगपति के यहां शादी हो रही है। स्व राहुल बजाज के परिवार में भी शादियों में सादगी की मिसाल दी जाती है। बहुत वर्ष पूर्व श्री आर पी खेतान जो सांसद भी थे, के परिवार में विवाह के स्वागत समारोह में जाकर सिर्फ चाय और बिस्कुट से ही संतोष करना पड़ा। ऐसा नहीं कि सभी बड़े घरों में वैभव प्रदर्शन की सुनपात मची हुई है। किन्तु आमलोगों की दुर्बलता होती है कि वे बड़ी-बड़ी शादियों में छप्पन भोग और नैसर्गिक आवभगत का लाभ लेते हैं और बाहर आकर पैसे के अहंकार को कोसने में भी कसर नहीं छोड़ते।
अम्बानी परिवार ने आदर्श विवाह का ठेका तो नहीं ले रखा है पर वेडिंग में चार हजार करोड़ और प्री वेडिंग में एक हजार करोड़ के खर्च को ‘‘जीयो’’ मोबाइल की रेट बढ़ाकर देश के करोड़ों उपभोक्ताओं की पॉकेट मारी की भी इजाजत नहीं मिलनी चाहिये। जीयो ने रेट बढ़ाया तो फिर बाकी मोबाइल कम्पनियों ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। देखते-देखते 100 करोड़ से अधिक मोबाइल यूजर्स की पॉकेट कट गयी। विडम्बना यह है कि मध्यम श्रेणी इसी तरह की मृग मरीचिका की शिकार होती है। तथाकथित बड़े लोगों की कुंठा हमारी सामाजिक परम्परा बन जाती है। इसी का दुष्परिणाम है कि विवाह-शादियों में पैसा बहाते हैं और मध्यम श्रेणी उनको फालो करने में पिस जाती है।
शाही शादी के बाद कई परिवारों के लोग इस गुत्थी में उलझ गये हैं कि पांच हजार करोड़ की शादी में दुल्हें राजा अनन्त ने जुते छिपाने की रस्म में सालियों को कितना देकर निपटाया होगा। यह सवाल उतना ही पेचीदा है जिनता कि आखिर फिल्म बाहुबली के दर्शकों से पूछा जाने वाला सवाल कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?

जियो के ग्राहकों की जेब काट कर गुलछर्रे उड़ाने वाली शादी की बखिया उधेड़ कर रख दी आपने आदरणीय।.. सचमुच यह शादी बहुत बड़ा छलावा है। यह 5 हजार करोड़ रुपये दरअसल अम्बानी परिवार ने नहीं बल्कि जियो ग्राहकों ने खर्च किये हैं। साधुवाद आपको यह पोलखोल आलेख लिखने के लिए।🙏
ReplyDeleteओर बहुत कुछ हुआ लेकिन डेढ़ महीने तक घर के सामने स्वादिष्ट व्यंजन गरीबों में परोसने के साथ देश के साधुसन्तो को आमंत्रित किया गया। सनातन धर्म की परंपरा कायम रखी
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