पेपर लीक: भारत की युवा शक्ति पर डाका

पेपर लीक: भारत की युवा शक्ति पर डाका

भारत युवाओं का देश है। अब तो जनसंख्या की दृष्टि से भी हम अव्वल हैं किन्तु पहले चीन हमसे भी आगे था पर युवाओं की संख्या हमारे देश में तब भी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा थी। इस युवा निधि के साथ जो क्रूर मजाक किया गया है, उससे लगता है कि आने वाले वर्षों में युवा कहीं विस्फोटक नहीं हो जायें एवं देश में कोई बड़ा खून-खराबा न हो जाये। कहते हैं कि देश में विगत दस वर्षों में सत्तर बार पेपर लीक हुए हैं। पेपर लीक यानि परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न पहले से ही पता हो जाता है और परीक्षा मात्र एक ढकोसला बन जाता है। इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण विद्यार्थी किसी काम के नहीं होते। डाक्टर होते हैं जो वे सूई लगाना नहीं जानते, सेना में भर्ती होते हैं तो उन्हें बन्दूक पकडऩा नहीं मालूम होता है। आप कल्पना कीजिए कि इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण छात्र भारत के भविष्य के लिए कितना खिलवाड़ कर सकते हैं।


लखनऊ में नीट परीक्षा में धांधली का विरोध करने वाले युवा को पुलिस थाने ले जाती हुई।

हाल ही में नीट-यूजी पेपर लीक के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। पेपर लीक मामले में पुलिस ने कई अपराधियों को अभी तक गिरफ्तार भी किया है। उनसे पूछताछ चल रही है। अभी तक की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार बिहार पुलिस में जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो पेपर लीक का मास्टर माइंट सिकन्दर कुमार यादवेन्दु अपना सॉल्वर गैंग सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में चला रहा था। अभी जो सूचना निकल कर सामने आई है, उसके मुताबिक गिरोह के सदस्यों ने अभ्यार्थियों के अभिभावक से एक प्रश्न के लिए 40-40 लाख रुपये तक वसूले थे। केन्द्रीय जांच एजेंसियों को जैसे ही इस मामले की भनक लगी तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया।

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट का विवाद थमा नहीं था कि यूजीसी नेट के पेपर लीक की आशंकाओं को देखते हुए जून 2024 की परीक्षा को रद्द कर दिया गया। यूजी से नेट पेपर लीक के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिये गये हैं। यूजीसी को राष्ट्रीय साइबर क्राइम इकाई को पुख्ता इनपुट मिले थे जिसके आधार पर पेपर लीक सहित अन्य गड़बडिय़ों की शिकायत मिली थी। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी को मिली सूचना के अनुसार देश भर के 317 शहरों में नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी (एनटीए) ने ही यूजीसी-नेट 2024 परीक्षा आयोजित की थी। करीब 11.21 लाख से अधिक पंजीकृत प्रत्याशियों में लगभग 81 फीसदी परीक्षा में शामिल हुए थे। उल्लेखनीय है कि नीट एग्जाम वर्ष में दो बार जून और दिसम्बर में आयोजित किया जाता है। कॉलेजों में प्रोफेसर बनने की चाह लिए लाखों अभ्यर्थी नेट का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

यह दुर्भाग्य है कि भारत में तीसरी बार मोदी के पीएम की सत्ता पर काबिज होते ही पहले मेडिकल एंट्रेंस में पेपर लीक का मामला सामने आया और अब यूजीसी नेट जून 2024 के एग्जाम में पेपर लीक की बात सामने आयी है। यह बड़ी विडम्बना है कि अभी नीट पेपर लीक का मामला सुलझा ही नहीं था कि नेट का मामला सामने आ गया। स्पष्ट है कि शिक्षा माफियाओं का संगठन गिरोह एनटीए जैसे संस्थान पर हावी हो गया है। यही कारण है कि एक के बाद एक पेपर लीक की वारदात सामने आना शुरू हो गयी है। बेरोजगारी के दंश से आक्रांत युवा को उनकी रही सही आस भी धूमिल होती दीख रही है। जो योग्य हैं जरूरी नहीं कि वे पैसे देकर पेपर खरीदेंगे बल्कि अपने दम पर पास करने की चाहत उन्हें कहीं का नहीं छोड़ रही है। क्योंकि पास तो वही होंगे, जिन्होंने लाखों रुपये खर्च कर पेपर खरीदा है। ईमानदारी की कहीं कोई गुंजाइश नहीं बची है।

एनटीए के चेयरमैन सवालों के घेरे में फंसे हुए हैं पर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन वे अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं। उनकी नाक के नीचे एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं हो रही हैं पर वे टस से मस नहीं हुए हैं।

नीट मामले में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का यह साफ मानना था कि पेपर लीक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कोई धांधली नहीं हुई है। विजेन्द्र गुप्ता के साथ कई और नाम सामने आए और गिरफ्तार आरोपियों के बयान सामने आने लगे और सुप्रीम कोर्ट का दबाव बढऩे लगा तब भी मंत्रालय नीट परीक्षा को रद्द करने का आदेश जारी नहीं किया। जबकि नेट-यूजीसी मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए इसे रद्द करने का नोटिस ही जारी नहीं की बल्कि सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी गयी। सवाल उठता है कि जहां करोड़ों के लेनदेन की जानकारी शिक्षा विभाग के पास है वहां न तो परीक्षा रद्द करने की नोटिस तक जारी नहीं की गई बल्कि मेडिकल काउंसलिंग जारी है। इस मामले में टॉपर रहे छह बच्चों के ग्रेस माक्र्स एनटीए ने खत्म कर दिये जिससे वे टॉप नहीं रहे लेकिन मेडिकल में नामांकन के योग्य तो हैं ही। क्या इतना करके ही शिक्षा विभाग व एनटीए की जिम्मेदारी खत्म हो गयी है? गड़बड़ी या घोटाले की लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच क्या नहीं करायी जानी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा इस मामले में 0.1 प्रतिशत गलती भी पायी गयी तो किसी को नहीं बख्शा जायेगा। क्या केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय की नैतिकता जग गई तो नेट की तरह नीट एग्जाम भी रद्द हो सकता है?

देश के युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने के इस वारदात पर शिक्षा मंत्रालय जो मानव संसाधन का अहम् हिंसा है को शिक्षा के क्षेत्र में घुसे हुए माफियाओं की मिलीभगत का पता नहीं लगाना चाहिए? इस व्यवस्था के बाद जो बच्चे बाद में डॉक्टरी के पेशे में आयेंगे वे डॉक्टर नहीं धनपिशाच बनेंगे। लाखों रुपये देकर पेपर खरीदने वाले युवा डाक्टर अपने मरीजों से करोड़ों नहीं वसूलेंगे? सरकार को तुरन्त नीट की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और फिर यथाशीघ्र निष्पक्षता से परीक्षा करवा कर और उपयुक्त बच्चों को ही डॉक्टर पेशे में आने का रास्ता प्रशस्त करे।

वर्तमान में 24 लाख बच्चों का भविष्य अधर में लटक रहा है। जिन लोगों की वजह से पेपर लीक हुई या जिन अपराधियों की वजह से छात्रों का समय बर्बाद हुआ क्या उन्हें सजा मिलेगी? एंटी पेपर कानून के मुताबिक पेपर लीक मामले में दोषी पाये जाने के बाद व्यक्ति को दस साल की सजा और एक करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है। शिक्षा विभाग पर देश के भविष्य को गढऩे की जिम्मेवारी है। इसीलिए जब तक ईमानदार और सक्षम लोगों को जिम्मेदारी नहीं दी जायेगी, तब तक माफियाओं से खैर नहीं।

इस पर मुझे उस्ताद वसीम बरेलवी का वह शेर याद आ गया-

आंखों को मूंद लेने से खतरा न जायेगा

वो देखना पड़ेगा, जो देखा न जायेगा।



Comments

  1. सर, बहुत ज्वलंत सामायिक मुद्दे को उठाया है आपने। इस हेतु आप धन्यवाद के पात्र हैं। यदि इस राष्ट्रीय समस्या पेपर लीक का स्थायी समाधान न खोजा गया तो, ये प्रोफ़ेशर डॉक्टर बनने वाले युवा, गुंडा मवाली बन कर अपना पेट पालने पर मजबूर होंगे।...आपकी कलम प्रखर है, शायद कुछ समाधान निकल सके। . .सादर प्रणाम आपको!🙏

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