आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया!

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया!

मध्यम श्रेणी की घरेलू बचत 47 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है

इसमें कोई दोराय नहीं कि किसी भी देश के आर्थिक-सामाजिक विकास में मध्यम वर्ग की प्रमुख भूमिका रही है। यह केवल हमारे देश के संदर्भ में ही नहीं अपितु समूचे विश्व की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन किया जाएगा तो कारण यही सामने आएगा। सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के बदलाव में मध्यम वर्ग की प्रमुख भूमिका रही है। औद्योगिक क्रांति के बाद जिस तरह से श्रमिक वर्ग उभर कर आया तो औद्योगिक क्रांति का ही बाई प्रोडक्ट मध्यम वर्ग का उत्थान माना जा सकता है। आर्थिक विश्लेषकों की माने तो आर्थिक विकास का कोई ग्रोथ इंजन है तो वह मध्यम वर्ग है।

मध्यम श्रेणी का एक परिवार, चेहरों पर मायूसी।

वर्तमान दशक की शुरुआत बल्कि 2021 की ही बात करें तो देश में 30 फीसद परिवार मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में आ गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि 2031 तक यह आंकड़ा बढक़र 46 फीसद को छू जाएगा। यानी की इस दशक में बचे साढ़े पांच साल में भी मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में तेजी से सुधार होगा। 2021 में जहां 9.1 करोड़ परिवार मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में थे वहीं 2031 तक यह संख्या बढक़र 16.9 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है। किसी भी देश और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए यह अपने आप में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं आंकी जा सकती। विशेषज्ञों के अनुसार 5 लाख से 38 लाख सालाना आय वाले परिवारों को मध्यम आय वर्ग श्रेणी में माना गया है। यह भी समझना होगा कि मध्यम वर्ग के विस्तार का सीधा अर्थ गरीबी रेखा से लोगों का बाहर आना और बाजारू गतिविधियों में तेजी है। मांग और आपूर्ति को भी मध्यम वर्ग के संदर्भ में ही देखा और समझा जा सकता है।

जीवन जीने का कोई आनंद लेता है तो वह मध्यम वर्ग ही है। मध्यम वर्ग के लोग जीवन को जीने में विश्वास रखते हैं भले ही उन्हें ‘‘ऋणम् कृत्वा घृतं पीबेत’’ की मानसिकता के अनुसार जीवनयापन करना पड़े। यही कारण है कि मध्यम वर्ग दिल खोलकर पैसा खर्च करता है। इसका एक कारण सामाजिक ताने -बाने की भाषा में हम कहें तो यह कहा जा सकता है कि बहुत कुछ वह दिखावे के लिए करता है। जीवनयापन की दिखावे की इस प्रतिस्पर्धा में वह वो सब कुछ पाना चाहता है जो उसके परिवार, पड़ोसी, मित्रगण या आसपास के लोगों के पास है। इसमें रहन-सहन, खान-पान, पहनना-ओढऩा, शिक्षा और इसी तरह की अन्य वस्तु/साधन शामिल होते हैं। इसी कारण बाजार में नित नए उत्पादों की मांग बढ़ती है तो देश के लोगों के जीवनस्तर का पता चलता है। दरअसल मध्यम वर्ग व्हाइट कॉलर का प्रतिनिधित्व करता है। वह इस प्रयास में रहता है कि दिन प्रतिदिन वह अधिक से अधिक साधन जुटाए, भले ही उसके लिए उसे उधार का सहारा लेना पड़े। यहां यह भी समझ लेना जरूरी हो जाता है कि उच्च आय वर्ग की अपनी समझ व पहुंच होती है। पहली बात तो उच्च आय वर्ग की दायरे में कम लोग है। उनकी पसंद नापसंद अलग होती है। उनके लिए जो उत्पाद बाजार में आएंगे वो अलग श्रेणी के होंगे। मध्यम वर्ग लगभग उसी दौड़ में दौडऩे का प्रयास करता है। उच्च वर्ग के पास लक्जिरियस चौपहिया वाहन है तो उसकी मांग पहले चरण में चौपहिया वाहन व उसके बाद ज्यों ज्यों वह थोड़ा आगे बढऩा चाहेगा अपनी पहुंच के सुविधाजनक चौपहिया वाहन पाने की कोशिश में जुट जाएगा। मध्यम श्रेणी कभी संतुष्ट नहीं होती। जो मिल जाय उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। उसकी चाहत असीमित होती है। इसी तरह से बाजार की मांग को मध्यम वर्ग ही बढ़ाता है। तस्वीर हमारे सामने हैं।

स्कूटर, स्कूटी, कार से लेकर वाहनों की जो रेलमपेल देखी जा रही है वह इस मध्यम वर्ग के कारण ही है। रियल स्टेट जिस तरह से आगे बढ़ रहा है और गगनचुंबी इमारतों का जिस तरह से जाल बिछ रहा है वह मध्यम वर्ग के कारण ही संभव हो पा रहा है। यही कारण है कि आज देशी-विदेशी कंपनियां मध्यम वर्ग को केन्द्रित कर अपने उत्पादों को बाजार में उतार रही है। सही मायने में कहा जाए तो जिसने मध्यम वर्ग की मांग को समझा वह मालामाल होता जा रहा है और उसकी बाजार में पकड़ तेज होती जा रही है। ऐसे में यह मानने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का बहुत कुछ श्रेय मध्यम वर्ग को जाता है।

मध्यम वर्ग देश ळके आर्थिक विकास की रीढ़ होता है, कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। लेकिन मध्यम श्रेणी बचत के मूलमंत्र पर टिकी हुई है। भारतीय समाज में महिलाएं गृहस्वामी की बिना जानकारी के बचत करती है। आपात समय में महिलाओं का वह गड़ा हुआ धन परिवार को बचाने के काम आता है। कोविड काल में इस बचत का जादू काम आया था। दो वर्ष तक अधिकांश मध्य वित्त परिवारों की आमदनी ठप्प हो गयी थी। महिलाओं ने बचत कर इधर-उधर जो रकम जमा कर रही थी, उसी ने परिवारों को भुखमरी से बचा कर रखा। जब डीमोनिटाइजेशन की घोषणा माननीय प्रधानमंत्री जी ने की थी तो गृह स्वामी तो एक बार सन्न हो गये। पांच सौ एवं एक हजार के नोट का प्रचलन बन्द कर दिया गया था एवं पांच सौ के नोट का नवीनीकरण किया गया। उस वक्त बड़ी संख्या में महिलाओं ने घर के किसी कोने या आलमारी के किसी गुप्त स्थान पर बचाकर रखे गये नोट निकाले। एक बार तो सब्जी लाने के पैसे भी नहीं बचैे थे। अत: बचत की प्रवृत्ति ने ही मध्यम श्रेणी की अस्मिता को बचाकर रखा।

लेकिन मध्यम श्रेणी की बचत प्रवृत्ति को महंगाई एवं अन्य आर्थिक आपदाओं ने पंगु बना दिया है। एक तथ्य यह भी है कि भारतीयों को बचत करने वालों में गिना जाता है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों की स्थिति ने हमारी पारम्परिक बचत प्रवृत्ति को झकझोर कर रख दिया है जिसका असर अब देखा जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल में जो आंकड़े जारी किए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। ये आंकड़े इस ोर इशारा करते हैं कि भारत में शुद्ध घरेलू बचत 47 साल के निचले स्तर पर है जो वाकई चिन्ता की बात है। वर्ष 2023 में बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी का 5.3 प्रतिशत हो गयी है जो वर्ष 2022 में 7.3 प्रतिशत थी। फिर वही सवाल क्या भारतीय परिवार भी पश्चिम के परिवारों की राह पर चल रहे हैं जो वर्तमान में कर्ज लेकर अच्छा जीवन जीना चाहते हैं। यदि ऐसा है तो यह भारत और भारतीय परिवारों के लिए सोच-विचार का विषय है। मध्यम श्रेणी में बचत का सिलसिला अब लगभघ समाप्त हो चुका है। फलस्वरूप उनका आधार जो मजबूत हुआ करता था अब कमजोर हो गया है। मध्यम श्रेणी अगर  कमजोर होती है तो देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पडऩा अवश्यम्भावी है। सरकार को राजस्व का मुख्य स्रोत मध्यम श्रेणी की मांग पर निर्भर करता है। जब मध्यम श्रेणी का आर्थिक मुखमंडल क्लान्तिहीन हो जायेगा तो भारत की अर्थव्यवस्था की चमक भी फीकी हो सकती है। यह स्थिति देश के सामाजिक ढांचे को भी क्षत-विक्षत कर सकती है। जैसा मैंने शुरू में ही कहा कि मध्यम श्रेणी भारतीय आर्थिक ही नहीं सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ है। जाहिर है जब रीढ़ कमजोर होती है तो पूरी व्यवस्था लचर हो जायेगी।



Comments

  1. ‘‘ऋणम् कृत्वा घृतं पीबेत’’ बढ़िया प्रयोग किए हैं।

    मध्यम वर्ग देश के आर्थिक विकास की रीढ़ होता है, ......सटीक आकलन

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  2. आप हमेशा अनूठे मुद्दों पर लेखनी चलाते हैं सर!...इस रविवार फिर से आपने आम आदमी की समस्या उठाई है,जिससे हम सब जूझ रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना है आप हमेशा स्वस्थ रहें और इसी भाँति सक्रिय रहें। सादर प्रणाम!🙏

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