कोलकाता का राम मन्दिर
जहां रामजी के आदर्श का भी निर्वाह होता है
भारतीय समाज विशेषकर हिन्दू समाज में राम का नाम जितना व्यापक है कदाचित अन्य किसी देवी-देवता का नहीं। जन्म से मृत्यु तक राम नाम का व्यवहार सर्वविदित है। राम राम या जय जय सियाराम से आपसी अभिवादन ही सर्वाधिक प्रचलित है। अगर मैं कहूं कि राम का नाम सबमें समाया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। कहावतों, मुहावरों में भी राम के नाम का ही उपयोग सबसे अधिक होता है। ‘‘मुझ में राम, तुझ में राम, सब में राम समाया, सबसे करले प्यार जगत में कोई नहीं है पराया’’- इस तरह के सहस्रों गीत हमारे दैनिक जीवन में रच बस गये हैं। कई बार मैं सोचता हूं, शायद इसीलिये राम को मन्दिर में नहीं लोगों ने हृदय में बसाया। राम इतने अन्तर्निहित हैं कि उसकी मूर्ति बना कर पूजने की स्वयंस्फूर्त अभिलाषा नहीं देखी गयी। इन्हीं कारणों के चलते पूरे देश में राम जी के मन्दिर नगण्य मात्रा में हैं जबकि भगवान शंकर, राधा कृष्ण, श्री गणेशजी मां काली, विभिन्न रूपों में विष्णु के मंदिर यहां तक राम भक्त हनुमान जी के मंदिर अनगिनत हैं। आप स्वयं सोचें धर्मपरायण जनता ने सभी देवी-देवताओं के मंदिरों का निर्माण करवाया पर भगवान राम के मंदिर नहीं के बराबर बनाये गये।
राम मंदिर भवन, कोलकाता
कोलकाता महानगर को ही ले लें। यहां राम मंदिर से एक ही मंदिर का खयाल आता है जो चित्तरंजन एवेन्यू के 178 नम्बर में जालान परिवार ने बनाया था। इसके अलावा कोई मंदिर राम का संभवत: इतने बड़े महानगर में नहीं है। यही स्थिति मुंबई, दिल्ली, चेन्नैई जैसे बड़े शहरों की है। नहीं है। खैर जो भी हो कलकत्ता के राजपथ पर इस मंदिर की मान्यता बहुआयामी है। यह मंदिर अपने अंदर मनुष्य के समग्र विकास के गुणों को समेटे हुए है। शिक्षा, चरित्र निर्माण व आस्था के इस केन्द्र बिंदु की स्थापना सेठ मोहन लाल जी जालान ने 1941 में अपने पिताश्री सेठ सूरजमल जालान जी की स्मृति में की थी। यह राम मंदिर सूरजमल जालान स्मृति भवन के नाम से जाना जाता है। इसे सिर्फ मंदिर तक सीमित नहीं रखा गया। इस मंदिर के साथ ही सूरजमल जालान बालिका विद्यालय भी है जहां आज कई हजार लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। इस मंदिर ने सर्वाधिक उपेक्षित नारी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति की। यही नहीं लड़कियों को गीत-संगीत, नृत्य जैसी कलाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता रहा है। एक दातव्य औषधालय भी स्थापित किया गया। वस्तु भंडार, साहित्य केंद्र, एक्यूप्रेसर उपचार केन्द्र आदि कई लोक कल्याण हेतु संस्थान चलाये जा रहे हैं। 32 हजार हिन्दी व संस्कृत ग्रन्थ व पुस्तकों का एक विशाल पुस्तकालय भी हैं। वाचनालय भी है जहां प्रतिदिन सैकड़ों व्यक्ति समाचारपत्र-पत्रिकाओं का पठन-लाभ लेते हैं। तुलसी जयन्ती पर देश के किसी विद्वान व्यक्ति को बुलाकर राम व तुलसी कृतियों पर वक्तव्य रखा जाता है जिसका साहित्यप्रेमी श्रवण लाभ लेते हैं। पुस्तकालय के प्रभारी श्री श्रीमोहन तिवारी ने बताया कि श्री भरत जालान के नेतृत्व में सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय कलकत्ते के सबसे सुव्यवस्थित पुस्तकालयों में है। इसके अतिरिक्त भी कई सारस्वत आयोजन होते हैं। यानि मंदिर को केन्द्र में रख कर ज्ञान प्राप्ति के कई साधन समाहित हैं। वर्तमान में श्री भरत जालान अपने पुरखों की इस धरोहर का कुशलता से एवं पूरी गरिमा से संचालन कर रहे हैं। राम मंदिर के प्रभारी दिनेश शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन हजारों लोग यहां दर्शन हेतु आते हैं एवं उससे भी कई गुना मंदिर के बाहर से ही दर्शन लाभ लेते हैं।
राम मंदिर की मूर्तियां।
जालान परिवार के इस मंदिर का व्यापक रूप राजस्थान के उस गौरवशाली परम्परा का अनुसरण है जिसमें मंदिर के साथ कुआं, धर्मशाला, स्कूल, मवेशियों के लिये प्याऊ आदि-आदि की व्यवस्था भी की जाती है। इसको इस ²ष्टि से भी देखा जा सकता है कि मनुख्य के सर्वांगीण विकास का केन्द्र होता है मंदिर। राजस्थान में मंदिर सार्वजनिक गतिविधियों का ठिकाना होता है। मंदिर की घंटियों के साथ लोगों के व्यक्तित्व विकास को भी झंकृत किया जाता है। आजादी के संघर्ष का इतिहास पढ़ें तो पायेंगे कि मंदिरों में या मंदिर के पीछे क्रांतिकारी बैठकर ब्रिटिश राज के खिलाफ रणनीति बनाया करते थे।
अयोध्या में राम मंदिर का का प्रयोजन इस ²ष्टि के प्रबल है कि इसी स्थान पर हमारी मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का जन्म हुआ था। इस परिपेक्ष में राम मंदिर की सार्थकता समझी जा सकती है। मंदिर की समालोचना भी की जा रही है। हिन्दू धर्म के विधिविधान की ²ष्टि से भी कुछ व्यवस्थाओं पर अंगुली उठायी जा रही है। स्वयं पुरी के शंकराचार्य जी ने प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलने पर कहा क्या मैं वहां जाकर ताली बजाऊं? एक बड़े वर्ग का यह मानना है कि यह राम मंदिर राजनीतिक हितों को साधने की ²ष्टि से बनाया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसके उद्घाटन या प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी कई राजनीतिक पार्टियां सत्ता पक्ष के विरुद्ध भृकुटि ताने हुए हैं। जनतांत्रिक व्यवस्था में सभी को अपनी राय रखने का मौलिक अधिकार है। कोर्ट भी आलोचनाओं से परे नहीं होता।
बहुचर्चित राम मंदिर को भव्य और अद्वितीय बनाने का पोरजोर प्रयास किया जा रहा है। केन्द्रीय सरकार इस मंदिर के निर्माण कार्य में पूरे दमखम के साथ जुटी हुई है। एक प्रश्न यहां स्वाभाविक रूप से उठता है कि यह बहुचर्चित राम मंदिर क्या आस्था का केन्द्र होगा या देश का बेजोड़ पर्यटन स्थल बनकर भारत में शैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बनने जा रहा है। अयोध्या में एक हवाई अड्ड भी बना है, जाहिर है वायु मार्ग से भी देश-विदेश से लोग आयेंगे। ऐसे में मन में एक बात जरूर उमड़ घुमड़ कर आती है कि रामलला का यह मंदिर विशाल होगा, भव्यता में बेजोड़ भी होगा, भारत के पर्यटन स्थलों में शायद ताजमहल को टक्कर भी दे सकता है पर क्या आस्था का केन्द्र बन पायेगा। यहां बड़ी संख्या में लोग मंदिर की भव्यता और विशालता को निहारेंगे या इसमें आस्था और विश्वास तलाशेंगे। यह विषय विचारणीय है। हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं जो बहुत व्यवस्थित नहीं हैं, बहुत सुंदर और आकर्षक भी नहीं हैं किन्तु लोगों की आस्था या विश्वास उन स्थलों के साथ इतना जुड़ा हुआ है कि कष्ट पाकर भी अपने ईस्ट का दर्शन करने जाते हैं। कोलकाता का काली मंदिर, दक्षिणेश्वर, दक्षिम भारत का तिरुपति देवस्थानम, राजस्थान में सालासर में हनुमान जी के मंदिर ऐसे कई उदाहरण हैं जो इस बात को पुख्ता करते हैं कि उनमें भव्यता का अभाव होते हुए भी लोग बड़ी आशा और विश्वास के साथ दर्शनार्थी बनकर वहां जाकर मत्था टेकते हैं। दूसरी तरफ कोलकाता को ही लें, क्विंस पार्क में बिड़ला मंदिर, खिदिरपुर में लक्ष्मी मंदिर में पर्यटकों का रेला रहता है पर आस्था और विश्वास के वे गंतव्य स्थल नहीं बन पाये हैं।
अयोध्या के राम मंदिर को भी उसी तरह व्यापक एवं सर्व जन हिताय का रूप दिया जाने की आवश्यकता है जो कलकत्ता के राम मंदिर में निहित है। राम का मंदिर व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का अनुपम केंद्र बने तो हमारी आध्यात्मिक संस्कृति को बल मिलेगा वर्ना सरजू के तट पर नौका विहार का आनन्द ही उठाया जा सकता हैै। हमारे हृदय में बसने वाले राम को हमारी चेतनाता एवं विवेक का प्राण पुरुष बनाने के लिए यह सक्षम नहीं होगा।
जय श्री राम
ReplyDeleteआपसे काफी जानकारी एवं सचित्र लेख पढने को मिलता है
ईश्वर आपको स्वस्थ चिंतन एवं उतम स्वास्थ्य प्रदान करें 🙏
प्रभु श्रीराम हमारे हृदयों में बसने वाले सभी
ReplyDeleteभारतीयों के आराध्य देव हैं, उन्हें सिर्फ मंदिरों के चारदीवारी में कैद नहीं किया जा सकता है। कोलकाता के राममंदिर का नाम सुनते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है।
धन्यवाद।