नये साल का उपहार
बड़ाबाजार से एक और स्कूल की विदाई
छपते छपते के इसी स्तम्भ में हमने एकाधिक बार इस बात का उल्लेख किया है कि बुजुर्गों ने जिन सार्वजनिक हित की संस्थाओं एवं प्रतिष्ठानों को बनाया था, वे या तो बन्द हो गये हैं या फिर बन्द होने की कगार पर हैं। बड़ाबाजार और मारवाड़ी समाज लगभग पर्यायवाची हैं। इसी अंचल में राजस्थान से मारवाड़ी समाज के लोग आकर बसे थे। लगभग यही स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार से आने वाले बन्धुओं की है। यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान इन सभी उत्तर भारत के प्रान्तों के लोग रोटी-रोजगार की जुगाड़ में कलकत्ता आये थे।
बड़ाबाजार सत्यानारायण पार्क के सामने स्थित दिगम्बर जैन विद्यालय का भवन।
फिलहाल हम मारवाड़ी समाज की बात करते हैं। राजस्थान से आकर अपना कारोबार शुरू करने एवं उसको बढ़ाने में पूरी निष्ठा एवं मेहनत से इस समाज ने काम किया। व्यापार में अपने को स्थापित करने के बाद मारवाड़ी ने पूरे परिवार के साथ आकर कलकत्ता में घर बना लिया। इस समाज के हाथ में व्यापार था, उद्योग था, परिणामस्वरूप लक्ष्मी की कृपा हुई। महत्वपूर्ण बात यह नहीं कि मारवाड़ी सफल कारोबारी हुआ, ध्याम रखने वाली बात यह है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए इस समाज ने व्यापारोत्तर भी फसल बोई। स्कूल, कॉलेज से लेकर धर्मशाला, अस्पताल स्थापना कर समाज ने पूरे देश में साख बनायी। वे स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे पर शिक्षा के महत्व को समझते थे। दूरदर्शी थे। इसलिए धर्म के पश्चात् शिक्षा एवं चिकित्सा के लिए उन्होंने अपनी थेलियां खोल दी।
आज लेकिन स्थिति में बड़ा बदलाव आ गया है। समाज की वर्तमान पीढ़ी का कारोबार तो बढ़ा है पर परोपकारी गतिविधियां सिकुड़ रही हैं। परिणामस्वरूप सामाजिक, शैक्षण्रिक गतिविधियों पर गाज गिरने लगी। आत्म केन्द्रित नयी पीढ़ी ने ‘‘सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय’’ के मूल मंत्र को ताक पर रख अपने शौक पूरे करने एवं उन्हें पुष्पित पल्लवित करने में अपना उपार्जित धन खर्च करना शुरू कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि जन कल्याण के सभी प्रतिष्ठान धीरे-धीरे धराशायी होते रहे हैं। हरलालका अस्पताल बंद हुए एक युग हो गया, स्ट्रैण्ड रोड का मेयो बंद हुए कई दशक बीत गये। आलू पोस्ता का भिवानीवाला अस्पताल में ताला लटक चुका है। चितपुर रोड का लोहिया मातृ सेवा सदन, मैटर्निटी होम में फिल्मों की शूटिंग हो रही है। हावड़ा का हनुमान अस्पताल इतिहास के पन्नों में सिमट गया है। यही हाल स्कूल-कॉलेजों का है। एस बी माडर्न स्कूल को ताला लग गया, बालकृष्ण बि_लनाथ विद्यालय को बन्द करने का उपक्रम चल रहा है। माहेश्वरी विद्यालय एवं बालिका विद्यालय को सिर्फ नाम के वास्ते घसीटा जा रहा है। इनमें छात्र-छात्राओं की संख्या चौथाई भी नहीं रह गयी। माहेश्वरी पुस्तकालय में वाचनालय बंद हो गया है, पुस्तकालय पहले ही बंद हो चुका। भला हो मुस्लिम परिवारों का जो अपने बच्चे मारवाड़ी समाज द्वारा स्थापित स्कूलों में भेजकर किसी तरह उन स्कूलों के साइन बोर्ड को बचा कर रख सके हैं क्योंकि मारवाड़ी परिवार के बच्चे अब दक्षिण कलकत्ता की मिशनरी एवं इंगलिश मीडियम स्कूलों में पढऩे जाते हैं। बड़ाबाजार की स्कूलों में या तो यूपी, बिहार प्रवासियों के या अब मुस्लिम परिवार अपने बच्चों को पढऩे भेजते हैं।
अभी पता चला है कि सत्यनारायण पार्क के सामने विराट भवन में 1956 में जैन समाज द्वारा स्थापित श्री दिगम्बर जैन विद्यालय को बन्द करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। वर्तमान में लगभग सात सौ छात्रों को पढ़ाने वाली इस स्कूल को सत्यानारायण पार्क से स्थानान्तरित किया जा रहा है। प्रबन्धकों ने घोषणा की है कि आगामी 1 जनवरी 2024 से यानि नये साल से यह स्कूल 30 वाराणसी घोष स्ट्रीट स्थित एक मकान में स्थानान्तरित की जा रही है। विद्यालय के सचिव श्री सुशील कुमार जैन ने पी34/35 कॉटन स्ट्रीट के पांच मंजिला मकान में स्थित स्कूल को 30 वाराणसी घोष स्ट्रीट में स्थानान्तरित करने संबंधी नोटिस स्कूल के तीनों प्रधान शिक्षकों राजश्री मुखर्जी (प्राइमरी), हर्ष नारायण मिश्रा (सेकेंड्री) एवं प्रशांत कुमार पांडे (कक्षा 10 एवं 11) को दे दी है।
स्कूल के वर्तमान भवन में मरम्मत कराने का बहाना बनाया गया है। मात्र 67 वर्ष पहले बनी इस स्कूल में मरम्मत की आवश्यकता है या यह स्कूल बन्द करने की भूमिका है, भविष्य ही बतायेगा। किन्तु माहेश्वरी विद्यालय (शोभाराम बैसाख स्ट्रीट) का मकान एक सौ वर्ष पुराना है। नोपानी विद्यालय (नन्दो मल्लिक लेन) का भवन 66 वर्ष, श्री डीडू माहेश्वरी विद्यालय का भवन 80 वर्ष, श्री विशुद्धानन्द सरस्वती विद्यालय का 85 वर्ष पुराना भवन है। टांटिया हाईस्कूल 55 वर्ष पहले बना था। बताया जाता है कि वाराणसी घोष स्ट्रीट जहां दिगम्बर जैन विद्यालय स्थानान्तरित होने जा रहा है कि मकान में इतनी जगह ही नहीं है कि वहां स्कूल चलाया जा सके। यही नहीं वह गली भी संकरी है एवं वहां पहले से एक स्कूल राजस्थान विद्या मंदिर चल रहा है। स्कूल के शिक्षकों एवं बच्चों के अभिभावकों को आशंका है कि इस स्कूल को बन्द कर यहां कटरा, मॉल या व्यवसायिक केन्द्र बनाया जायेगा। मजे की बात यह है कि प्रबन्धकों ने स्कूल स्थानान्तरित किये जाने का नोटिस तो दे दिया है किन्तु भवन के नीचे बड़ी संख्या में दुकानों को अभी तक कोई नोटिस नहीं दी गयी है। इसी से साफ जाहिर है कि मकान में व्यवसाय के लिये विद्या के मन्दिर को बंद किया जा रहा है। कमिटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स के अध्यक्ष श्री मनोज परासर ने स्कूल को बंद करने की साजिश के विरुद्ध आंदोलन की घोषणा की है। सभी 40 शिक्षक एवं छात्रों के अभिभावक ने आरोप लगाया कि प्रबंधन मरम्मत के नाम पर स्कूल को बंद करने की जुगत में हैं।

समाज अपने दायित्व के प्रति उदासीन रहा है सिर्फ अध्यक्ष सचिव आपके यहाँ नगर पार्सद विधायक बनकर समय व्यतीत किया है तो झंझट में कौन जायेगा।
ReplyDeleteऐसा हर शहर में हो रहा है।
आपको धन्यवाद🙏💕