उफ गर्मी, पर इतनी भी नहीं कि आप दूसरों की सुध न लें

उफ गर्मी, पर इतनी भी नहीं कि आप दूसरों की सुध न लें

गर्मी बढऩे के साथ दोपहर के वक्त बाहर निकलने को मजबूर कामकाजी लोगों, छात्रों और खुले में रहने वाले लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं। डाक्टरों के मुताबिक कुछ सावधानियों के जरिये लोग खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। 

अगर गर्मी है, तो सबके लिए है। मौसम की नजर में सब लोग बराबर हैं, लेकिन मौसम की तपिश का असर सभी पर एक जैसा नहीं होता। कुछ लोगों के पास गर्मी से राहत पाने के साधन होते हैं लेकिन कुछ के पास इसकी कमी होती है, वहीं सबका स्वास्थ्य भी एक जैसा नहीं होता इसलिए असर भी अलग अलग होता है।

यह विडम्बना है कि जो लोग ज्यादातर समय एयर कंडीशन घरों में बिताते हैं वे इस गर्मी से ज्यादा परेशान रहते हैं। घर में एसी, गाड़ी एसी फिर दफ्तर भी सेन्ट्रल एसी, वे भी गर्मी का रोना रोते हैं तो लगता है हमारी संवेदनशीलता शून्य तक पहुंच गई है। एक समय था जब लोग प्याऊ खोलने की सोचते थे कि गरीब को इस गर्मी में राहत मिले। कोलकाता में ही एक बड़ी संस्था जो गर्मी में प्यासों को पानी पिलाने के लिए पूरे देश में जानी जाती थी, ने एक दिन निर्णय लिया कि सभी प्याऊ को बंद कर देगी परिणामस्वरूप सभी गुमटियों में ताले लग गये। खैर राहत की बात यह है कि ‘रूपा’ (बनियान) वालों ने कोलकाता एवं आसपास कई ठंडे जल की गुमटियां खोली। लेकिन कई क्षेत्रों में पानी की व्यवस्था नहीं है। खासकर जिन क्षेत्रों में मजदूरों की बहुतायत है वहां आज भी पानी पिलाने की व्यवस्था नहीं के बराबर है। आलू पोस्ता, मटियाब्रुज, हावड़ा पिलखाना, सियालदह स्टेशन, खिदिरपुर, तारातल्ला रोड, सलकिया आदि आदि क्षेत्र जो कोलकाता महानगर एवं उसके आसपास हैं में जल पिलाने की व्यवस्था जरूरत की तुलना में बहुत कम है।

हीट वेभ जब चलती है हीट स्ट्रोक की चपेट में आने से त्वरित इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। चंूकि इसका शिकार गरीब, मजदूर एवं वृद्ध लोग होते हैं, उनकी उपेक्षा की जाती है। कई बस्तियों में पीने के पानी की शिकायत अक्सर की जाती है। पीने के पानी के लिए लोग सुबह अपने बर्तन समेत लाइन में लग जाते हैं। ऐसे दृश्य आपस को बस्तियों में देखने को मिलते हैं। कार्पोरेशन दावा करती है कि बस्तियों में पानी का अभाव नहीं है पर आप किसी बस्ती में जाकर इस दावों की असलियत देख सकते हैं। खैर, गर्मी से बचने के लिए कई नुस्खे एवं उपाय डाक्टरों ने सुझाये हैं जिनको जन हितार्थ मैं यहां प्रस्तुत कर रहा हंू। इससे आम लोग लाभान्वित हो सकते हैं एवं अन्य लोगों को भी परामर्श देकर आप उन्हें उपकृत कर सकते हैं।

डॉक्टर बताते हैं कि गर्मी में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, अपने शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना। पसीना आने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का ह्रास होता है। इसके लिए बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन मिलते हैं, लोग इसे ले सकते हैं।

इसके अलावा मौसमी फलों जैसे कि तरबूज इसका बहुत अच्छा स्रोत है। इसका सेवन करना चाहिए। नींबू पानी, नारियल-पानी और वैसे फल ज़्यादा से ज़्यादा खाने चाहिए जिनमें पानी की मात्रा होती है। इसके साथ ही मौसमी सब्जियों का सेवन शरीर को ठीक रखने के लिए ज़रूरी है।

अगर बजट में जूस फिट नहीं बैठता हो और बने-बनाए ओआरएस खऱीदने की स्थिति में नहीं हों तो नमक-चीनी का घोल बेहद ज़रूरी हो जाता है। यह आसानी से बनाया भी जा सकता है और इसमें ख़र्चा भी नहीं है। वहीं, छाछ भी अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे पोटाशियम मिल जाता है। शरीर में सोडियम और पोटाशियम सॉल्ट की मात्रा का संतुलन रहना बेहद ज़रूरी होता है। धूप में बाहर निकलने और पसीना आने की स्थिति में शरीर के लिए ये दोनों तत्व अहम हो जाते हैं। हालांकि, जो लोग किडनी या दिल की बीमारी से ग्रसित हैं, वे डॉक्टर की सलाह से ही कोई उपाय अपनाएं।

इस समय देश के कई इलाक़े हीट वेव या लू की चपेट में हैं। मैदानी इलाक़ों में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक या सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है तब लू जैसे हालात की घोषणा की जाती है। गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। ऐसी स्थिति में बाहर निकलने से शरीर में नमी की मात्रा कम होने लगती है। अगर लू चल रही हो तो बाहर निकलने से जितना बच सकते हो बचें। काम का समय बदल लें।  दोपहर 12 बजे से लेकर शाम चार बजे तक खुले में निकलने से बचें। हालांकि, हर कोई ऐसा नहीं कर सकता है क्योंकि गर्मी के साथ-साथ रोजी-रोटी का भी सवाल है। तो ऐसे में लोगों को गर्मी और लू की चपेट में आने से बचने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए।

गर्मी से बचने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनकर निकलें ताकि वो ज़्यादा गर्मी ना सताए। सूती कपड़े पहनना भी अच्छा विकल्प है। जो लोग शारीरिक रूप से थकने वाला काम ज़्यादा करते हैं, उन्हें ओआरआस ज़रूर पीना चाहिए। सादे पानी में चीनी-नमक का घोल बनाकर पीते रहें ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहे। नींबू पानी और छाछ बेहतर विकल्प हैं। सिर में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, चक्कर आना, मांस पेशियों में खिंचाव, मितली जैसा महसूस होना लू की चपेट में आने के अहम लक्षण हैं। अगर किसी को ऐसा महसूस हो तो तुरंत छांव या ठंडे स्थान में जाएं। पंखे या एसी में जा सकते हैं तो बेहतर है। पेड़ की छाया में भी बैठ सकते हैं। पानी और ओआरएस पी सकते हैं। अगर किसी को लग रहा हो कि उसके शरीर से पसीना आना बंद हो गया है और बुखार, चक्कर आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। डॉक्टरों की सलाह पर ही दवाई लें। गर्भवती महिलाओं को यह कोशिश करनी चाहिए कि वह घर से बाहर न निकलें। अगर निकलें तो पानी की बोतल अपने साथ रखें।  अगर आप धूप में बाहर रह गए तो इसका असर रक्तचाप पर पड़ता है। ऐसे में शरीर के अंदर एक तरह की अस्थिरता आ जाती है। अगर गर्भवती महिला की स्थिति गंभीर हो जाती तो इसका असर बच्चे पर भी पड़ता है। मौसम विभाग हीट वेव (लू) घोषित कर रहा है, ऐसे में बच्चों के स्कूलों को बंद करना ही अच्छा विकल्प है।  अगर बच्चे स्कूल या बाहर जा रहे हैं तो उनके अभिभावकों को ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत है क्योंकि बच्चे लू लगने के लक्षण को पहचान नहीं पाते हैं। बच्चे खेलने में लगे रहते हैं। उनको बिना छाते के बाहर नहीं निकलने देना चाहिए और पानी की पर्याप्त मात्रा की ज़रूरत हर किसी पर लागू होती है तो यह ध्यान रखें कि बच्चे पर्याप्त मात्रा में पानी पी रहे हैं या नहीं। हर मौसम का असर हमारी त्वचा पर होता है लेकिन गर्मी में इसकी तासीर कुछ ज़्यादा ही महसूस की जा सकती है। धूप में निकलते ही इसका सबसे पहला वार हमारी त्वचा ही बर्दाश्त करती है। 

इस तरह गर्मी के घरेलू उपचार हमने ऊपर दिये हैं जो हमें विभिन्न डाक्टरों एवं स्वास्थ्य मामलों के विशेषज्ञों ने दिये हैं।


Comments

  1. सार्थक लेख. पेयजल की व्यवस्था एक जटिल समस्या है इसके साथ जुड़ी कई कठनाईयां भी

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  2. पानी की किल्लत की तस्वीर और तपती हुई गर्मी से बचाव पर अच्छा लेख....

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