रंग दे तू मोहे गेरुआ

 रंग दे तू मोहे गेरुआ


गेरुआ वस्त्र को बहुसंख्यक हिन्दू धर्मावलम्बी पवित्र मानता है। आम तौरपर इसे साधु, संन्यासी, साधक, पहनते हैं। धर्म के प्रति समर्पित हिन्दू समाज का यह एक प्रकार से यूनिफार्म है। अभी हिन्दी फिल्म पठान जो जनवरी के अंतिम सप्ताह रिलीज होने वाली है में एक गाने जिसके बोल है - ''बेशरम रंग। रंग से तात्पर्य भगवना रंग से है। पठान फिल्म के एक ²श्य में दीपिका पादुकोण नृत्य में पीत परिधान में नृत्य करती हुई दिखती है। परिधान के नाम पर केवल शरीर के कुछ वर्जित अंग ही ढके हुए हैं। स्वाभाविक है हमारे कुछ धर्मावलम्बियों को यह नागवार गुजरा कि पीत वस्त्र यानि केसरिया पहनाकर ही उसको शाहरुख खान के साथ उत्तेजक मुद्रा में नृत्य करते हुए क्यों फिल्माया गया। दलील यह भी दी गयी कि कोई और रंग चुन लेते। भगवा ही क्यों पहनाया गया। फिर कुछ और मुद्दे इसमें जोड़ दिये गये। दीपिका ने जेएनयू में बामपंथी संगठनों द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन के पास खड़े होकर उसे समर्थन दिया था। टुकड़े-टुकड़े गैंक के समर्थन में उतरी थी दीपिका वगैरह वगैरह। फिल्मी भाषा में इसे बोल्ड सीन कहा जाता है। इस बोल्ड सीन के लिए कई हिन्दू संगठनों ने पठान फिल्म के सर्टिफिकेट को रद्द करने की मांग की तो कइयों ने इस फिल्म को बायकॉट करने का नारा लगाया। फिल्म पठान को रिलीज होने में अभी एक महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है पर यह फिल्म और उसका 'बेशरम रंग लोगों की जुबान पर चढ़ गया। फिल्मों के शौकीन लोगों का मानना है कि शाहरुख की हाल की कुछ फिल्में फ्लाप हुई है इसलिये यह सोची -समझी चाल है ताकि फिल्म बाक्स ऑफिस पर हिट हो सके। रिलीज से पहले विवादों में घिरी फिल्मों के प्रकोष्ठ में पठान शामिल हो गयी। स्मरण हो कि पद्मावती फिल्म के प्रदर्शन के पहले कुछ ऐसा ही बवाल मचा था। करणी सेना एवं कुछ जातीय संगठनों ने कहा कि हम इस फिल्म को किसी हालत में रिलीज नहीं होने देंगे क्योंकि यह राजपूत जाति का अपमान है। लेकिन पद्मावती का नाम बदल कर पद्मावत कर दिया गया और इस छोटे से संशोधन के साथ फिल्म ज्यों की त्यों रिलीज हुई और सुपरहिट भी हुई। इसके पहले कई बार शिवसेना ने धार्मिक भावना को ठेस होने का बहाना बनाकर कई फिल्मों का जोरदार विरोध किया था। पोस्टरों में आग लगायी, प्रदर्शन किये गये। पर क्या आपको याद है कि ऐसी कोई फिल्म जो रिलीज नहीं हुई हो।

हम फिर पठान की चर्चा पर आ जायें। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मध्य प्रदेश में फिल्म रिलीज नहीं होने देंगे। महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसी ही आवाज उठी। मिश्रा जी ने इन्दौर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि गाने में दिखायी गयी वेशभूषा प्रथम ²ष्टया अत्यधिक आपत्तिजनक है। साफ दिख रहा है कि गाना दूषित मानसिकता के कारण फिल्माया गया है। सोशल मीडिया यूजर्स ने शाहरुख खान पर भगवा रंग को बदनाम करने का इल्जाम लगाया है। एक यूजर अभय प्रताप सिंह ने लिखा कि शाहरुख खान की फिल्म 'पठानÓ में पवित्र भगवा रंग को 'बेशरम रंगÓ बताते हुए अश्लील चित्रण किया जा रहा है। उनका कहना है कि एक तरफ शाहरुख खान माता वैष्णो देवी जा रहे हैं दूसरी तरफ भगवा को बेशरम रंग बताकर अश्लील ²श्य फिल्मा रहे हैं।

पठान फिल्म कितने का कारोबार करेगी यह तो रिलीज के उपरान्त ही पता चलेगा किन्तु पठान ने घर बैठे प्रचार में बाजी मार ली। बहुत से लोगों का मानना है कि ²श्य वैसा ही रखा जायेगा पर संभव है कि दीपिका के उस मामूली कपड़ों या बिकनी का रंग बदल दिया जाये। ऐसा करने पर माननीय नरोत्तम मिश्रा जी एवं उनकी मानसिकता वाले बहुत से लोग अपनी जीत मानकर शांत हो जायेंगे। सारे शोर शराबे की इतिश्री बेशरम रंग को बदरंग करके हो जाये। प्रोड्यूसर कुछ रुपये खर्च को पठान का मुफ्त प्रचार में एडस्ट कर लेगा।

विडम्बना यह है कि हमारी धार्मिक भावना कुछ हेराफेरी तक सिमट कर रह जाती है। हम इस तरह विभाजित हो गये हैं कि बड़े मुद्दे और देश के सामने चुनौतियां अन्तध्र्यान होती जा रही है। अश्लीलता एक समस्या है जिसे फिल्मों में भी देखा जाता है। समाज विशेषकर किशोर एवं युवक समाज पर उसका असर पडऩा स्वाभाविक है। किन्तु मुख्य मुद्दा यानि 'मिलियन डालर क्वश्चनÓ अश्लीलता नहीं है अपितु रंग है जो हमारी भावना से जोड़ दिया गया है। यह भी दिलचस्प है कि शाहरुख की ही फिल्म दिलवाले का यह गाना-''रंग दे तू मोहे गेरुआÓÓ जिसे अरिजीत सिंह ने गाया, भी बहुत लोकप्रिय हुआ। शाहरुख खान उस वक्त भी मुसलमान ही था। इस गाने से वह हिन्दू परास्त तो नहीं हुआ, फिर 'बेशरम रंगÓ में गेरुआ वस्त्रधारी दीपिका के 'हॉट सीनÓ से हिन्दू धर्म की भावना कैसे आहत हो गयी? इसका उत्तर माननीय नरोत्तम मिश्रा जी एवं उनके अनुयायी ही दे सकते हैं। क्या विचित्र बात है कि हम इस कदर बंट गये हैं पीला रंग हमारा, हरा तुम्हारा। गाय हमारी बकरी तुम्हारी।

कुछ महीने पूर्व मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर जाने से भी हमारा भाइयों में बड़ा क्षोभ था। वे हिजाब पहनकर क्यों जायेंगी। वहीं दीपिका बिकनी के रूप में कपड़े नकार कर हॉट सीन करती है तो उस पर भी आपत्ति है। आखिर हमारे देश में ये मुद्दे कब तक फोकस होते रहेंगे। बिहार में जहरीली शराब पीकर 76 गरीबों की मौत हो चुकी है और इस तरह की त्रासदी होती रहती है। पर हमारे मुल्क में 'हिजाबÓ पहनना या भगवा रंग की बिकनी पहनकर हॉट डान्स अधिक वजन रखते हैं क्योंकि हम व्यवस्था से अधिक भावनाओं को महत्व देते हैं। मुझे अकबर इलाहाबादी का वह शेर याद आ गया-

बेपर्दा नजर आई जो कल चन्द बीवियां

अकबर जमीं में गैरते कौमी से गड़ गया

पूछा जो उनसे, आपका परदा कहां गया

कहने लगी कि अक्ल पे मर्दों की पड़ गया।

Comments

  1. बहुत सपष्ट व्याख्या आपने की है इससे फिल्म को फायदा होगा सिर्फ बिकनी का रंग रिलीज होने के ऐन वक्त पर बदल दिया जायेगा.

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  2. पठान फिल्म को मुफ्त की पब्लिसिटी मिल गई।

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