इनवेस्ट राजस्थान: थोड़ा है थोड़े की जरूरत है

 इनवेस्ट राजस्थान:  थोड़ा है थोड़े की जरूरत है

गहलोत का ग्रैण्ड मास्टर स्ट्रोक

7-8 अक्टूबर को हुए इनवेस्ट राजस्थान में डेलीगेट की हैसियत से भाग लेने का मौका मिला। जयपुर में सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र के जेईसीसी में आयोजित इस सम्मेलन में देश के कई शीर्ष उद्योगपतियों ने शिरकत की। राजस्थान के निवासियों ने देश के प्राय: हर भाग में व्यापार-उद्योगों की सृष्टि की पर अपने प्रदेश को अभी तक उनके उद्यमी हुनर का अपेक्षित प्रसाद नहीं मिल पाया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह आयोजन राजस्थान में कितना पूंजी निवेश कर पायेगा, यह तो भविष्य ही बतायेगा किन्तु उन्होंने इस सम्मेलन में कारोबार करने वाले उद्यमियों के प्रति अपनी निष्ठा को दिल खोलकर रखा। समारोह स्थल में मंच पर गहलोत के दायें-बायें दो शीर्ष कुबेर - गौतम अडानी और अनिल अगरवाल की उपस्थिति के साथ मंच पर कई बड़े उद्यमियों की उपस्थिति कुछ ऐसा ही बयां कर रही थी। इस आयोजन की तैयारी को बड़ी चुनौतियों के दौर से गुजरना पड़ा। पूरे दो वर्ष कोविड-काल के ग्रास बन गये फिर जब सामान्य स्थिति होने लगी तो गहलोत साहब की नैया राजनीतिक भंवर में कभी डूबते कभी उबरते देख कर लोगों को हैरत हुई कि आयोजन को किसी अशुभ शक्ति की नजर लग गयी है। लेकिन कुशल तैराकी गहलोत आखिर किनारे पर पहुंच गये। उनके चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक थी। राजस्थान में कितने उद्योग लगेंगे पता नहीं पर मुख्यमंत्री गहलोत साहब की टीम ने यह सबके गले उतार दिया कि इस प्रदेश में कुछ करने की प्रचुर संभावनायें हैं। राजस्थान खनिज की रत्नगर्भा धरती है, तेल और गैस बस कुछ हाथ की दूरी पर है। पर्यटन इसके चप्पे-चप्पे में रचा बसा है। कभी अकाल और सूखे से जूझने वाला यह राज्य आज इन्दिरा गांधी नहर के पानी से लहलहा रहा है। गहलोत साहब ने कुछ उपलब्धियां बताते हुए विशेष रूप से जिक्र किया कि 89 विश्वविद्यालय एवं गत 3 वर्षों में 210 कॉलेज का सारस्वत जाल बिछाया है। राजस्थान के राजमहलों में रोशनी देखकर कभी लोग बिजली की चमक का अनुमान लगाते थे। 13 मेगावाट बिजली से आज 23 हजार मेगावाट बिजली राज्य में कौंध रही है। वेदान्ता समूह के सुप्रीमो अनिल अगरवाल ने धार्मिक कथा का हवाला देकर बताया कि भक्त दो प्रकार के होते हैं- निर्गुण और सगुण। निर्गुण जो सारा समय भक्ति में गुजारते हैं, सगुण वे जो कभी भक्ति करते नहीं दीखते पर ईश्वर को अपनी कृतियों की सौगत देते हैं। भगवान कृष्ण ने कहा उन्हें सगुण भक्त अच्छे लगते हैं। राजस्थान से उठे इस शिल्पपति ने कहा कि गहलोत सगुण भक्तों में हैं। देश के शीर्ष उद्योगपतियों की दौड़ में 'रनर गौतम अडानी इस शिल्प मेले में विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। अनिल अगरवाल ने बहुत कुछ कहा पर राजस्थान में वल्र्ड क्लास का स्टेडियम बनाने की उनकी घोषणा का स्वागत तालियों की गूंज से हुआ। कोलकाता के दो बड़े घरानों के प्रतिनिधि- हरिमोहन बांगड़ और चन्द्रकांत बिड़ला मंच पर विराजमान थे।



इनवेस्ट राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं गौतम अडाणी में गुफ्तगू।

इस व्यवसायिक सम्मेलन को राजनीति से भरसक दूर रखा गया पर कुछ राजनीतिक मायने इस सम्मेलन की 'बिटवीन द लाइन्स में झरोखे से देखा जा सकता है। गहलोत साहब के साथ मंच पर विधानसभा स्पीकर सी पी जोशी एवं बीकानेर के विधायक राज्य के शिक्षा व संस्कृति मंत्री बुलाकी दास कल्ला परिलक्षित हुए। उद्योगमंत्री श्रीमती शकुन्तला रावत की उपस्थिति विशुद्ध समायपेक्ष ही थी।

गहलोत जी के इस उद्यमी जमघट को बहुआयामी बनाने के प्रयास की प्रशंसा की जानी चाहिये। इस मंच पर राजस्थान रत्न से एल एन मित्तल (उपस्थित नहीं हो सके) और अनिल अगरवाल (वेदान्ता ग्रुप) के साथ न्यायपालिका क्षेत्र के दो कर्मवीरों को भी सम्मानित किया गया। पर सबसे खास बात यह रही कि लक्ष्मी के इस भंडारे में सरस्वती को भी पूरी गरिमा के साथ पूजा गया। सांस्कृति क्षेत्र से केसी मालू (वीणा म्यूजिक) के अलावा उर्दू के मशहूर शायर शीम काफ निजाम को भी राजस्थान रत्न से नवाजा गया। अधिकांश लोगों को भ्रम है कि निजाम साहब मुसलमान हैं पर सत्य यह है कि वे राजस्थानी ब्राह्मण हैं। लगता है इसी भ्रम के कारण उनके सम्मान को हल्की तालियों से ही दर्ज किया गया। अर्थ, न्याय, साहित्य, संस्कृति का संतुलन बनाकर इनवेस्ट राजस्थान को व्यापक ²ष्टि प्रदान की गयी। अर्थ की धूरी पर केन्द्रित इस आयोजन को राजस्थानी कलेवर से भटकने की इजाजत नहीं थी। इसीलिये कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की इन पंक्तियों का एन्कर ने उल्लेख किया-''धरती धौरां री, इमें देव रमण नै आवेÓÓ। देवता रमण करने आते हैं तो देश के शिल्पपति भी आकर यहां नीयति का सृजन करें इस उद्देश्य को बखूबी परोसा गया। धन्यवाद ज्ञापन के अन्त में राम राम सा ने फिर राजस्थानी परम्परा का छौंक लगाया।

गहलोत साहब बहुत लच्छेदार वक्ता नहीं हैं पर अपनी बात को मजबूती से रखने की हुनर रखते हैं। अडानी की उपस्थिति का लाभ उठाकर उन्होंने कुछ राजनीतिक मिसाइलें भी दाग दी जो समयानुकूल एवं यथार्थ थी। उन्होंने कहा कि पड़ोसी प्रांत होते हुए भी गुजरात से राजस्थान की तुलना नहीं की जानी चाहिए। गुजरात आजादी के पहले से ही उद्यमशील एवं समृद्ध रहा है। गुजराती स्वभाव से व्यापारी होते हैं। जबकि राजस्थान दुर्भिक्ष के थपेड़ों के बीच पला है। पानी के संकट में इसकी जबानी परवान चढ़ी है। राजस्थान के व्यवसायिक घराने के लोग खाली हाथ देसावर गये थे। अब हमें राजस्थान में खुशहाली लाने के लिए पापड़ बेलने पड़ेंगे। साथ ही अलग संदर्भ में उन्होंने कहा-सरकारें बदलती हैं, पर विकास के काम नहीं रोकने चाहिये। उनके पूर्व मुख्यमंत्री काल के दौरान राजस्थान में तेल शोधक (आयल रिफाइनरी) की नींव डाली गयी। उस वक्त यह 40 हजार करोड़ का प्रकल्प था। सरकार बदली। उसने इस प्रकल्प को ठंडे बस्ते में डाल दिया, वर्ना ाजस्थान की तस्वीर बदल जाती। हम फिर सरकार में आये हैं और अब हमें 70 हजार करोड़ खर्च करने होंगे। दूसरी तरफ वसुन्धरा सरकार की कई प्रकल्प हमने जारी रखा और उसको आगे बढ़ाया। गहलोत जी ने डॉ. मनमोहन सिंह की उदार अर्थनीति को बड़ा कदम बताते हुए उन्हें दो बार स्मरण किया। इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी का भी किसी संदर्भ में हवाला दिया। गहलोत का यह स्वभाव उनके इस संकल्प का प्रतीक है कि आदमी तेज दौड़े पर उसे अपना स्थान कभी नहीं छोडऩा चाहिये।

इनवेस्ट राजस्थान में 11 लाख करोड़ के संकल्प हस्ताक्षरित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि संकल्पित सारे प्रकल्प पूरे नहीं हो पाते किन्तु राजस्थान में नये संकल्पों की फसल लहलहायेगी यह तय है।



Comments