राजू परेशान क्यों है?

राजू यानि मेरा पुराना मित्र राजकुमार बोथरा इन दिनों बड़ा परेशान है। 80 वर्ष आयु की कगार पर राजू को मैंने कई बार कहा कि नाहक परेशान न हों क्योंकि जिन समस्याओं और विसंगतियों से तुम उद्विग्न हो जाते हो यह बदलते समय की उपज है। परेशान होकर अपनी बची खुची ऊर्जा को बर्बाद मत करो। कुछ वर्ष पूर्व राजू को 'हर्टÓ की व्याधि हुई थी। मुझे पता लगा तो मैं तुरंत गया। लेक के पास मेनका सिनेमा के बगल में एक नर्सिंग होम में मेरा इस पुराने साथी की चिकित्सा चल रही थी। पैंसठ वर्ष से अधिक के सामाजिक जीवन की लम्बी यात्रा में महानगर का ऐसा कौन सा नामचीन व्यक्ति है जो बोथरा को नहीं जानता हो। पर परिवार के कुछ लोगों के अलावा राजू को किसी ने आकर नहीं सम्हाला। बातों ही बातों में उसका यह दर्द छलका। राजकुमार ने मेरी जिज्ञासा का उत्तर टालते हुए कहा कि लोगों को पता नहीं चला होगा। कोलकाता की पुरानी संस्था श्री काशी विश्वनाथ सेवा समिति जो मुख्यत: पानी पिलाने और जल आपूर्ति का काम करती है, की हर बूंद से राजकुमार का सरोकार है, आमड़ागाछी में बने समिति के भवन की हर ईंट पर उसका नाम खुदा है। चालीस वर्ष लगातार उसकी सेवाओं का उसे यह सिला मिला कि उसके द्वारा बरती गयी कुछ अनियमितताओं के चलते राजू को ससम्मान समिति से ''वी आर एस (स्वैच्छिक अवकाश ग्रहण) लेना पड़ा। दीर्घ सामाजिक जीवन एवं उसके निश्छल स्वभाव को देखते हुए उसे समिति का मार्गदर्शक बना दिया गया। राजू बहुत खुश था। पर उसे यह अहसास हुआ कि- ''चल उड़ जा रे पंछी, अब यह देश हुआ बेगाना-पर वापस मुड़कर देखना उसके लिए संभव नहीं था।




बंगलादेश मुक्ति संग्राम के समय आये शरणार्थियों हेतु काशी विश्वनाथ के लंगर में इन्दिरा गांधी व विजय सिंह नागर के साथ राजू - नीचे बाबू जगजीवन राम के साथ खिचड़ी वितरित करते हुए।

पानी शायद बिना मछली के रह जाये पर राजू को 'सोशल वर्कÓ के बिना जीना गंवारा नहीं है। कुछ समय घर पर गुजारने के बाद 'प्रेम मिलनÓ वालों ने बोथरा के घाव पर मलहम लगाया। अभी प्रेम मिलन चक्षु शैल्य चिकित्सा का धुआंधार कार्य कर रही है। रवीन्द्र सरणी में उसका अपना मकान है जहां लगभग हर हफ्ते आंख का ऑपरेशन होता है। चन्द्रकांत सर्राफ अस्वस्थ चल रहे हैं। उसने राजकुमार को अपने कार्यक्रमों में मंच देना शुरू कर दिया। अखबारों में प्रेम मिलन की फोटो आये दिन छपती है और प्राय: सभी में राजकुमार बोथरा परिलक्षित होते हैं। राजू को पनाह मिली एवं अन्दर ही अन्दर जो अभाव उसे कुरेदे जा रहा था, उस पर झंडू बाम लग गया।

राजकुमार बोथरा बचपन से मेरे साथ रहा है। या यह कहना अधिक न्यायोचित है कि मैं उसके साथ रहा हूं। बड़ाबाजार जिला कांग्रेस जिसका हीरसन रोड (जो अब महात्मा गांधी रोड है) में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सत्यनारायण मिश्रा का राजू प्रिय पात्र रहा। बचपन से ही दौड़ भाग, हर सामाजिक कार्यों में उसकी उपस्थिति दर्ज होती थी। पर उसकी कमजोरी यह थी कि उसने सब कुछ सीखा पर आज की दुनिया की होशियारी नहीं सीखी जिसके लिये यह फिल्मी गाना लोकप्रिय हुआ-''सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी...।ÓÓ राजू की निष्ठा को मैं अतिशयोक्ति रूप में प्रस्तुत नहीं करना चाहता। उसकी कुछ कमजोरियां रही जिसके कारण दीर्घ समय तक सिंचित काशी विश्वनाथ की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। दिन रात काम करने की आपाधापी और आवश्यक औपचारिकताओं के प्रति बेपरवाही का उसे दंड भोगना पड़ा। एक दूसरी कमजोरी यह भी कि प्रत्यक्ष विरोध करने की हिम्मत राजू जुटा नहीं पाया। इसके लिए कभी बेनामी पर्चेबाजी का सहारा लेकर उसने अपनी समझ में अन्याय का विरोध किया। मैंने भी उसकी इस मानसिकता का विरोध किया और उसे सलाह दी कि हिम्मत करते जो भी कहना या लिखना है, अपना नाम देकर करो, वर्ना इसका कोई सकारात्मक असर नहीं होगा। खैर इन्सान में सभी गुण नहीं होते। पर राजू काशी विश्वनाथ के प्रति समर्पित था और प्रेम में आदमी कभी-कभी संयम की उपेक्षा कर बैठता है।

आजकल राजू सामाजिक विसंगतियों से परेशान रहता है। मेरे पास जब भी फोन आता है मैं समझ जाता हूं कि कोई घटना उसको झकझोर कर रही है। इन घटनाओं से राजू का कोई सीधा सरोकार नहीं है, उसके होने या न होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसका एक कारण यह भी है कि राजू की दीर्घ पारी में उसने कभी छल कपट नहीं किया। निश्छल स्वभाव मेरे इस मित्र का आभूषण रहा। राजू संस्था को चलाने में किसी कमजोरी को आत्मसात भले ही कर ले पर मन में कालिमा नहीं रही। कार्यकर्ता का दिल से सम्मान करना उसके स्वभाव का अंग रहा। समाज में दानदाता और कार्यकर्ता के बीच एक सम्मानपूर्वक सम्बन्ध का पैराकोर रहा। समाज के संगठनों में कोई अप्रिय घटना उसे परेशान कर देती है। शायद मैं उसकी 'हमदर्दÓ सूचि में हूं इसलिए सवेरे सवेरे कई बार मेरे इस नादान मित्र का फोन आ जाता है। विधायक और पूर्व विधायक केबीच धक्कामुक्की वह भी मां दुर्गा की मूर्ति के सान्निध्य और एक सांसद की उपस्थिति में उसे विचलित कर देती है तो कभी एक नामी ग्रामी सेवा संस्था में एक कार्यकर्ता पर दूसरे कर्मी द्वारा हाथ उठाने की घटना सुनकर उसे लगता है समाज रसातल में डूब रहा है। चिन्तित और उद्वेलित राजू समाज में हो रही छोटी बड़ी घटना से परेशान है। मैंने कई बार उसे कहा कि राजू यह सब ऐसे ही होता रहेगा, तुम क्यों नाहक अपना खून जलाते हो। जीवन के 80वें पादान के करीब पहुंच गये हो, अब यह सब छोड़ो और परिवार में मन लगाओ। राजू बस चुप हो जाता है। उसके जीवन में सामाजिक कार्य ही उसका पाथेय रहा। जैन समाज का होते हुए भी कभी जैन साधुओं के बीच जाकर जीवन को धन्य करने में कोई रुचि नहीं रखी। न कभी सिनेमा देखने का शौक रहा न ही कभी मनोरंजन की ईच्छा रही। किसी क्लब या आमोद प्रमोद के लिए कहीं मन नहीं लगाया। चारित्रिक रूप से किसी ने उसके बारे में मजाक में भी कोई तंज नहीं कसा। पर राजू समाज के गिरते हुए मूल्यों से परेशान है। साठ वर्ष से अधिक की उसकी सेवाओं की समालोचना की जा सकती है किन्तु उसने अपने लिये बड़ी गाड़ी नहीं खरीदी पर समिति के लिए दर्जन भर पानी की टंकी के लिए चन्दा उसकी झोली में लोगों ने डाल दिया। आमड़ागाछी में काशी विश्वनाथ को  चमन बना दिया पर अपने व्यक्तिगत जीवन की लालसा को परिवार पालन की सीमा तक सीमित रखा।

राजू की परेशानी का कोई समाधान नहीं है। सामाजिक जीवन में जो ह्रास हो रहा है उसे रोकने की न उसमें क्षमता है न सामाजिक पुरोधाओं में ²ढ़ इच्छा। मैं सोचता हूं कि बिना फल की ईच्छा के कोई समाज की चिन्ता करता है तो लगता है कि राख तले कहीं चिनगारी है। आज के सामाजिक वातावरण में कई कमजोरियों के बावजूद दूसरा राजकुमार बोथरा मिलना मुश्किल है। उसके 'मन की बात के लिए ही शायद ये पंक्तियां लिखी गयी है-

अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा 'जाना मुझे,

जिसकी जितनी 'जरूरत थी, उसने उतना ही 'पहचाना मुझे!

ऐसा नहीं कि मुझमें, कोई 'ऐब नहीं है,

पर सच कहता हूं मुझमें कोई 'फरेब नहीं है।



 

Comments

  1. क्या ख़ूब लिखा है आपने

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  2. नमन 🙏ऐसे कर्मठ विशाल व्यक्तिव को

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  3. बहुत ही सुंदर व प्रेरणास्पद सत्यकथा, सधन्यवाद हार्दिक शुभकामनाएं व अंतस बधाई आपको दीपावली पर्व माला के शुभ अवसर पर।

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