देवकुमार सराफ ने आनंदलोक के भ्रमजाल में फंसी एक अप्रवासी महिला को ठगा
आनन्दलोक पाखंड पुरुष के डी के सराफ की धोखाधड़ी के बारे में पहले भी मैंने कई बार लिखा है। उसको लेकर सामाजिक क्षेत्र में काफी हलचल है। बड़ी संख्या में लोगों ने मुझे डी के सराफ का असली चेहरा दिखाने पर बधाई दी। यह व्यक्ति लगभग प्रतिदिन बड़े विज्ञापन के माध्यम से अपनी डुगडुगी बजाता है। आत्म प्रशंसा की सारी सीमायें तोड़कर इन इश्तहारों में झुठे आंकड़े और दावे किये जाते हैं। मैंने कुछ दिनों पूर्व देवकुमार सराफ को यह खुली चुनौती दी थी कि उनके द्वारा कई बार दावा किया गया कि 18 हजार गरीबों को पक्के मकान बनाकर दिये, इस दावे को साबित करें। मुझे पुख्ता जानकारी है कि पक्का मकान बनाने के नाम पर बिड़ला जी एवं अन्य लोगों से चन्दा तो जमकर लिया पर ज्यादातर मकान जमीन पर नहीं कागज पर बनाये गये। 18 हजार मकानों का दावा उतना ही झूठ है जितना कि उनका इस बात की ताल ठोकना कि वे सबसे सस्ता इलाज करते हैं। सूची दीजिये जिनको आपने मकान बनाकर दिये। सराफ जी का यह कहना कि उन्होंने भारत के राष्ट्रपति को सूची दी है, झूठ नहीं सफेद झूठ है।
भूमि पूजन में बैठी श्रीमती दीप्ति दे। उनके पीछे बैठे हैं आनन्दलोक के श्री देवरतन राठी।
मैं इस बात को भी फिर से दोहराता हूं कि आनन्दलोक के नाम से छपे विज्ञापन (प्रोपगण्डा) में उन्होंने अपनी तरफ से दिये गये व्यक्तिगत धन और अपने कई मकान को दान देने की जो बात लिखी है उसका उनके लेखा (एकाउन्ट) में कहां जिक्र है, बतायें। मेरा यह सुझाव है कि पूर्वी भारत में चार्टर्ड एकाउन्टेट्स की प्रतिनिधि संस्था अपनी तरफ से किसी सीए को नियुक्त करे जो सराफ जी के विज्ञापन में किये गये दावों एवं उनके लेखा जोखा (एकाउन्ट्स), बैलेंस शीट आदि की जांच करे। डी के सराफ की पोल खुल जायेगी।
आनन्दलोक की बंगला मासिक पत्रिका (जून 2005) में श्रीमती दीप्ति दे द्वारा अपने प्रोविडेन्ट फंड से निकालकर साढ़े 17 लाख रुपये का दान डी के सराफ को देती हुई का चित्र एवं समाचार।
आनन्दलोक के लोक लुभावन विज्ञापन एवं गरीबों के लिए घडिय़ाली आंसू बहाने से जो भी भ्रमित हो गया, उनको श्वेत वस्त्रधारी देवकुमार सराफ ने मूंड लिया और दानदाता को बाद में हाथ मलना पड़ा। एक अप्रवासी भारतीय महिला भी सराफ जी के मायाजाल में फंस कर हाथ मल रही है। उसने अपनी कहानी भेजी है जिसको मैं यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
आनन्दलोक को कई बार दिये गये श्रीमती दीप्ति दे द्वारा चन्दे की रसीद।
श्रीमती दीप्ति दे ऐसी ही एक अप्रवासी महिला हैं जिसने आनन्दलोक के देवकुमार सराफ के 'देव रुपÓ से प्रभावित हो गयी। कोलकाता के साल्टलेक में रहने वाली श्रीमती दीप्ति दे सराफ जी के भ्रम जाल में फंसकर आज तक हाथ मल रही हैं। इस महिला ने आनन्दलोक को नियमित चन्दा देना शुरू कर दिया। चन्दे की रसीद भी ेक प्रति यहां छपी है-पाठक देख लें। वर्ष 2004 में डी के सराफ ने दीप्ति दे की उदारता को देखकर उससे सम्पर्क साधा। महिला से मिलकर एवं उसकी उदारता से सराफ जी ने इसकी उदार भावनाओं का पूरा दोहन करने का षडयंत्र रचा। सराफ ने उस महिला को हृदय चिकित्सा हेतु एक अस्पताल बनाने का प्रस्ताव दिया। महिला की सहज स्वीकृति के बाद सराफ जी ने कहा कि इसके लिए शीघ्र जमीन खरीदनी होगी। महिला ने बड़े उत्साह के साथ हां भर ली। बातचीत के बाद सराफ जी को उस महिला ने 17,50,000/- रुपये का चेक आनन्दलोक हॉस्पीटल के नाम से दिया। उक्त महिला ने अपने भविष्यनिधि (प्रोविडेन्ट फंड) की जमा राशि से रकम निकाल कर 23 क_ा जमीन खरीदने के लिए एवं उस पर 'हर्ट सर्जरी यूनिटÓ खड़ा करने का आश्वासन पर भरोसा कर यह दान सराफ जी को दिया। सराफ जी ने उक्त महिला को एक जमीन दिखाई और कहा कि यह उसी अस्पताल के लिए ली गयी है, एवं उस पर भूमि पूजन भी कर डाला। भूमि पूजन का फोटो भी यहां प्रकाशित कर रहा हूं।
महिला को आश्वासन पर आश्वासन दिया गया। 17-18 वर्ष बीत गये वह तथाकथित अस्पताल अभी तक नहीं बना है। अब सराफ जी उस महिला के फोन का जवाब भी नहीं देते हैं। आनन्दलोक के एकाउन्ट्स एवं उसकी रंग बिरंगी प्रचार सामग्री में इस कथित अस्पताल या उसके लिये ली गयी कथित तौर पर जमीन का कोई जिक्र नहीं है। हमारे एक प्रतिनिधि ने जब उस महिला से सम्पर्क किया तो उसने सभी प्रमाण दिये। भूमि पूजा की फोटो, आनन्दलोक द्वारा अंग्रेजी और बंगला में प्रकाशित बुलेटिन में प्रकाशित फोटो चन्दे की रसीद व सभी कागजात दिये हैं जो इस ठगी की कहानी बताते हैं। महिला का कहना है कि सराफ जी ने उसे ठग लिया। वह महिला चूंकि विदेश में रहने लगी हैं इसलिये स्वयं कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। महिला ने सभी कागजात मेरे पास भेज दिये ताकि मैं सराफ जी को बेनकाब कर सकूं।
सराफ जी जरा अपनी डींग हांकने और झूठे और भ्रामक आंकड़े देने की दिनचर्या से कुछ समय निकाल कर बतायें कि क्या उक्त महिला ने उन्हें चन्दा नहीं दिया? चन्दे के एवज में जो जमीन दिखायी गयी एवं जिसका भूमि पूजन करवाया गया वह जमीन कहां है? उस चन्दे का आनन्दलोक के एकाउन्ट्स में कहां उल्लेख है? फिर वह हर्ट सर्जरी के लिये अस्पताल जिसके नाम पर आपने श्रीमती दीप्ति दे को ठगा, उस अस्पताल का क्या हुआ?
आनन्दलोक द्वारा प्रकाशित बुलेटिन में श्रीमती दे द्वारा दिये गये दान की स्वीकारोक्ति।
देवकुमार सराफ कृपया वह पुस्तक भी प्रस्तुत करें जिसमें उनके अनुसार स्वर्गीय कृष्णा कुमार बिड़ला, स्व. सरला जी बिड़ला ने उनकी आरती उतारी है। गरीबों को दिये गये पक्के मकान की सूची दें। आपने अब तक आनन्दलोक को कितने मकान और कितना धन दिया है, यह भी बतायें। आपके पिछले दो-तीन विज्ञापनों में आपने स्वयं लिखा है कि उन्हें अब चन्दा नहीं मिलता है तो यह भी बताने का कष्ट करें कि उन्हें चंदा मिलना बन्द क्यों हो गया? आनन्दलोक करोड़ों कमाता है, आपका दावा है फिर आप अपनी दरिद्रता का क्यों रोना रोते हैं? आदि कई यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब दें वर्ना अपनी कुटिया में बैठकर आपने सिरफिरे अन्दाज में मारवाड़ी समाज जिसके चन्दे पर आनन्दलोक अस्पताल बनाया गया एवं आप फूले फले उसको अपनी बदजुबानी से क्यों 'नवाजतेÓ हैं। बुद्धिजीवियों को कोसते हैं और किसी न किसी बुद्धिजीवी से अपना प्रोपैगण्डा लिखवाते हैं। अपने भ्रम फैलाने और सस्ता इलाज की झूठी कहानी गढऩे पर क्षमा याचना करें।




Your editorial is thought provoking. Thanks for Frank writings.
ReplyDeleteआँखे खोलता सच । बड़ी सावधानी से पात्र पहचानने की जरुरत आन पड़ी है ।।
ReplyDeleteबहुत वर्षों पहले मैं इनसे मिली थी न जाने क्यों मुझे यह तभी ढोंगी लगे थे
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