हिन्दी को सर्वमान्य बनाना है तो गैर हिन्दीभाषियों के प्रति उदारता बरतनी होगी
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपत्नी कह दिया। परिणामस्वरूप भाजपाकी महिला सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने चीखते हुए संसद को सिर पर उठा लिया। उनका हमला अधीर रंजन पर कम और सोनिया गांधी पर अधिक था। स्मृति ईरानी ने कहा कि सोनिया गांधी को माफी मांगनी होगी। महिला मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के नेता ने भारत के राष्ट्रपति का अपमान किया। कांग्रेस महिला विरोधी है, आदिवासी विरोधी है, गरीब विरोधी है। यही नहीं राष्ट्रपति तीनों सेना का प्रमुख होता है, कांग्रेस ने भारतीय सेना का अपमान किया है। वगैरह-वगैरह। हंगामा इतना बढ़ा कि दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। लेकिन मामला शांत नहीं हुआ। फिर स्मृति ईरानी अपनी पसंदीदा टार्गेट सोनिया गांधी से उलझ गयी। सांसद रमा देवी जब अधीर रंजन के बारे में बात करने पहुंची तो सोनिया ने कहा- अधीर रंजन ने माफी मांग ली है फिर मेरा नाम क्यों लिया जा रहा है? इस पर तमतमायी स्मृति ईरानी ने कहा- मैडम, मैं आपकी मदद कर सकती हूं तो सोनिया ने पलट कर कहा- डोंट टाक टू मी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि सोनिया ने भाजपा की महिला सांसदों को धमकाया। फिर संसद के बाहर अधीर चौधरी ने माफी मांगने से साफ इनकार किया पर बोले- गलती से मैंने मुर्मू को राष्ट्रपत्नी कह दिया, अब आप मुझे फांसी पर चढ़ाना चाहते हैं तो चढ़ा दीजिये। सत्ताधारी दल तिल का ताड़ बनाने की कोशिश कर रहा है। अधीर रंजन ने यह भी कहा- राष्ट्रपति भवन जाकर मुर्मू जी से माफी मांगूंगा, पाखंडियों से नहीं। इसकी प्रतिक्रिया में स्मृति ईरानी ने सदन में कहा, अपनी गलती पर माफी मांगने की जगह कांग्रेस सीनाजोरी कर रही है।
संसद में स्मृति ईरानी ने भृकुटी तानी
राजनीति के गलियारे में जुबान फिसलने की यह पहली घटना नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने जब अपने भाषण में बेटियों को बचाओ, बेटी 'पटाओ कह दिया था तब बेटियों के उस अपमान पर क्या मोदी ने माफी मांगी थी। जबकि निर्विवाद है कि अधीर चौधरी ने 'राष्ट्रपत्नी जान बूझ कर या राष्ट्रपति को अपमानित करने के लिए नहीं कहा। अधीर ने जब कह दिया कि जुबान फिसल गयी तो मामला वहीं शांत हो जाना चाहिये था। इस पर चित्कार क्यों? लगता है स्मृति ईरानी की पुत्री पर गोवा में आबकारी विभाग ने गैरकानूनी बार चलाने का खुलासा किया और कांग्रेस ने यह मुद्दा संसद में उठाया, उसी की खींझ उन्होंने अधीर पर निकाली और उसके कन्धे पर बन्दूक रखकर निशाना सोनिया पर साधा। अमेठी से स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में पटखनी दी थी। इसके बाद लगता है स्मृति ईरानी को राहुल-सोनिया विरोध का दायित्व दे दिया गाय है। संसद में इस मुद्दे पर विरोध में कहीं कोई विचारशीलता नहीं है। न ही संसद में दो दिन हंगामा से लोकतंत्र के क्षय का औचित्य है।
भाजपा अधीर के जुबान फिसल को मुद्दा बनायेगी क्योंकि महंगाई, जीएसटी, बेरोजगारी जैसे ज्वलन्त सवालों पर संसद में आवाज को हाशिये पर घसीटा जा सके। स्मरण होगा पांच वर्ष पूर्व गुजरात विधानसभा चुनाव के कुछ पहले कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने संसद मं प्रधानमंत्री को 'नीच कह दिया था। राहुल गांधी ने त्वरित कार्रवाई की और मणिशंकर को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा। मणिशंकर ने यह कह कर माफी मांग ली थी कि मैं हिन्दीभाषी नहीं अत: मैंने गलत शब्द का इस्तेमाल कर दिया। इसके बावजूद भाजपा ने मणिशंकर की बदजुबानी को गुजरात चुनाव में काम पर लगाया और उसका भरपूर इस्तेमाल किया। गुजरात चुनाव में भाजपा चुनाव जीती पर गोली कान के नीचे से निकल गयी। मुश्किल से 8 सीटें ही ज्यादा आई और किसी तरह भाजपा ने गुजरात जैसे अपने अभेद्य किले में मामूली बढ़त से सरकार बनायी। अधीर को भी ममता से ज्ञान लेना चाहिये। ममता भी बंगाली है और कई बार हिन्दी में भाषण देती है और बातचीत करती है पर उसकी जुबान आज तक नहीं फिसली फिर अधीर को भी हिन्दी सम्हल कर बोलना चाहिये था।
एक बात और बहुत अहम् है कि भारतीय लोकतंत्र को जिन्दा रखने हेतु धैर्य और सहिष्णुता बहुत जरूरी है। भारत एक बहु-भाषी देश है। हिन्दी राष्ट्रभाषा है एवं संविधान की आठवीं सूची में उसे राजभाषा यानि सेतु भाषा का दर्जा दिया जा चुका है। संसद में गैर हिन्दी भाषी चाहे वह अधीर चौधरी हो या वित्तमंत्री सीतारमण जब बोलें तो उनकी हिन्दी अशुद्ध भी हो सकती है। कभी-कभी शब्दों का मामूली हेरफेर अनर्थ कर देता है किन्तु अगर आप चाहते हैं कि हिन्दी का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो तो हमें उन गलतियों का खयाल नहीं करना चाहिये जो गैर हिन्दी भाषी अक्सर करते हैं। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए हिन्दी जानना बहुत जरूरी है। उनके कहने का तात्पर्य था कि उन्हें हिन्दी आती तो वे देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे।
अब हम फिर राष्ट्रपति और राष्ट्रपत्नी वाले मुद्दे पर आ जायें। राष्ट्रपत्नी कहना देश की महिलाओं को नागवार गुजर सकता है क्योंकि इसका अर्थ हुआ कि क्या 'राष्ट्रपत्नी समूचे देश के पुरुषों की पत्नी है? यह तो बहुत ही निकृष्ट सोच है। पर इसी कसौटी पर जरा सोचिये कि क्या (पुरुष) राष्ट्रपति देश की सभी पत्नियों का पति है? जाहिर है दोनों ही गलत है, दोनों ही अपमानजनक है। अत: राष्ट्रपत्नी और राष्ट्रपति दोनों शब्द समान रूप से मर्यादाहीन है। इस पर शब्द एवं भाषा वैज्ञानियों को मंथन करना चाहिये। हिन्दी में कोई ऐसा शब्द गढ़ा जाये जो सभी के लिे सम्मानजनक हो और जिसमें संविधान के उच्चतम पद की गरिमा की रक्षा हो सके। राष्ट्रपत्नी शब्द पर स्मृति ईरानी की चीख में निश्चित रूप से महिलाओं के अपमान का दर्द नहीं बल्कि कहीं उनका अपना दर्द छिपा है जो उनकी चीख के रूप मनें जाहिर हो गया।

पति का अर्थ होता है स्वामी राष्ट्र का स्वामी राष्ट्रपति। जैसे उद्योग पति, अतः राष्ट्र पति शब्द उभयलिंग है । बंगला भाषी लिंग की त्रुटि कड़ते हैं अतः अगर जानबूझ कर गलती नहीं कि तो इतना उधम मचाना उचित नहीं वैसे भी शासक दल को बड़प्पन दिखाना चाहिए हसल्ल कर संसद बाधित करने हसि यो विपक्ष को दोष क्यों
ReplyDeleteराष्ट्राध्यक्ष। ये संबोधन दोनों के लिए हो सकता है, जैसे प्रधानमंत्री। पर चाहे तो महिला के लिए राष्ट्राध्यक्षा कहा जा सकता है।
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