राजस्थान सूचना केन्द्रगहलोत साहब! जयपुर-कलकत्ता के इस सेतु को बंद मत कीजिये
कलकत्ता महानगर में भारत के कई प्रान्तों के भवन हैं। उत्कल, असम, मेघायलय, त्रिपुरा, नागालैंड, सिक्किम, मणिपुर की सरकारों के अपने मकान हैं। ये सभी प्रान्त पूर्वी भारत के हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का गेस्ट हाऊस और सूचना केन्द्र भी है। कभी जम्मू कश्मीर का एक सूचना केन्द्र हुआ करता था पर बाद में उसे बन्द कर दिया गया। एक निजी पंजाब बिरादरी भवन है जहां शादियां एवं अन्य सामाजिक गतिविधियां होती हैं। सुदूर प्रान्तों में हाजरा रोड पर महाराष्ट्र भवन है जो अपने प्रान्त के लिये सक्रिय रहता है। राजस्थान सरकार ने लगभग 50 वर्ष पहले कामर्स हाऊस (मिशन रो) में लगभग 1700 वर्गफीट का एक कार्यालय भाड़े पर लिया। इसमें राजस्थान पर्यटन का अधिकारी भी कार्यरत था एवं सूचना केन्द्र के माध्यम से राजस्थान एवं प. बंगाल के बीच समन्वय के उद्देश्य से गतिविधियां होती थी। कोलकाता में बाहरी प्रान्तों के जितने भी भवन या कार्यालय हैं, इनमें राजस्थान सूचना केन्द्र सबसे सक्रिय रहा है। इस स्थान पर सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक आदि विविध गतिविधियों, गोष्ठियों, परिचर्चा होती रही हैं। इन पचास वर्षों में हजारों छोटी बड़ी बैठकें यहां हे चुकी है। सूचना केन्द्र में एक वाचनालय है जहां राजस्थान एवं स्थानीय समाचार पत्रों के पाठक इसका उपयोग करते हैं एवं इसी वाचनालय को गोष्ठियों का बैठकखाना बना दिया जाता रहा है। लगभग पचास लोगों तक की उपस्थिति यहां संभव है। लेकिन इस स्थान पर केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर, वरिष्ठ साहित्यकार, सांस्कृतिक शिल्पियोंने समय समय पर उपस्थिति दर्ज की है। राजस्थान से आये हुए हर क्षेत्र के व्यक्ति का इस सूचना केन्द्र में आना उनके प्रवास का अनिवार्य हिस्सा माना जाता रहा। पहले तल्ले पर इस केन्द्र के होने से लिफ्ट के लिये इन्तजार नहीं करना पड़ता। कुल मिलाकर कोलकाता के सभागारों को छोड़ दिया जाये तो राजस्थान सूचना केन्द्र बहुआयामी हलचल का केन्द्र रहा है।
इस केन्द्र की भारी उपयोगिता के बावजूद राजस्थान सरकार को कई बार यह बोझ लगने लगा तो इसके बन्द करने की नौबत आ गयी। किन्तु अंततोगत्वा इस तरह के निर्णय को वापस ले लिया गया। मुझे स्मरण है कि एक बार राजस्थान सूचना केन्द्र को बंद करने का ऑर्डर निकल गया था। मैं जयपुर गया। श्री हरिदेव जोशी उस वक्त मुख्यमंत्री थे। उनसे मिला। जोशी जी ने मेरे निवेदन पर सूचना केन्द्र बंद करने के निर्णय को वापस ले लिया। उसके बाद केन्द्र में गतिविधियां और बढ़ायी गयी। यही नहीं यह भाड़े की जगह थी। उस वक्त कामर्स हाऊस के लैंडलोर्ड से बात कर केन्द्र की जगह को राजस्थान सरकार ने खरीद लिया। तब वह ओनरशिप में परिवर्तित हो गयी। हां कई बार इसके रखरखाव में कुछ खामियां देखी गयी। एयर कंडीशन ठीक से काम नहीं करता था। शिकायतें भी रहीं, काम भी होता रहा। राजस्थान सूचना केन्द्र में हर शनिवार, छुट्टियों के दिन एवं वर्किंग डेज में सूचना केन्द्र में बैठकों हेती रही है। कई गोष्ठियां तो ऐतिहासिक महत्व की हुई। इस स्थान पर काव्य गोष्ठियां, कवि सम्मेलन हुए एवं राजस्थान का ऐसा कोई लेखक या साहित्यकार नहीं होगा जिसने अपने प्रवास के दौरान राजस्थान सूचना केन्द्र में अपनी उपस्थिति दर्ज न करायी हो।
एक समय था जब राजस्थान से लोग रोजगार के सिलसिले में कलकत्ता आते थे। अब यह सिलसिला लगभग बंद हो गया है और राजस्थान के लोग अब कलकत्ता या और कहीं नहीं जाते। राजस्थान में औद्योगिक विकास हुआ है एवं वहां का बाजार भी काफी विकसित हुआ है जिसके फलस्वरूप अब राजस्थान से रोजगार हेतु पलायन रुक गया है बल्कि कलकत्ता या बंगाल से लोग राजस्थान गाहे-बगाहे काम धंधे के लिये राजस्थान जाते हैं।
राजस्थान सरकार का सूचना केन्द्र राजस्थान प्रवासियों के दिल की धड़कन है। इसका बन्द होना बहुत ही दुर्भाग्यजनक होगा। बल्कि सूचना केन्द्र की गतिविधियां बढ़ायी जानी चाहिये। राजस्थान पर्यटन को इस केन्द्र से प्रोत्साहन मिलने की हमेशा गुंजाइस है। राजस्थान के पर्यटन स्थलों का बंगाली हमेशा दिवाना रहा है एवं सपरिवार राजस्थान जाने की इच्छा रखता है।
| तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री बसन्त साठे प्रेमचंद शताब्दी पर ''छपते छपते" द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन करते हुए- राजस्थान सूचना केन्द्र में हुए ऐसे सैकड़ों कार्यक्रम। |
इन सब बिन्दुओं के मद्देनजर राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत साहब को स्वयं इस मामले की गम्भीरता समझते हुए सूचना केन्द्र को बंद करने का निर्णय वापसल लेना चाहिये। मुझे पूरी उम्मीद है गहलोत साहब इस पर विचार करेंगे। उन्हें अग्रिम धन्यवाद और आभार।

किसी भी राज्य में चल रहे सूचना केन्द्र को राजस्थान सरकार बंद करने की बजाय उसके उचित देख रेख व उसके लिये सक्षम अधिकारी को नियुक्त कर अपने राज्य की विकास योजनाओं का प्रचार प्रसार के केन्द्र बनाया जाना चाहिए। कोलकाता जैसे महत्वपूर्ण शहर में चल रहे सूचना केन्द्र कोई हर हाल में विकसित किया जाए ना कि बंद करने की सोचना चाहिए
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