राष्ट्रगान पर मजहबी ग्रहण
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रगान अनिवार्य होने के बाद अब मध्य प्रदेश के विधायक रामेश्वर शर्मा का कहना है कि हर प्रदेश में राष्ट्रगान गाया जाएगा। गाना अनिवार्य होना ही चाहिए, जो प्रदेश इसमें देरी करेंगे, जनता वहां विद्रोह करेगी। यूपी की तरह मध्यप्रदेश में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने को लेकर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि सब जगह फैसला होगा, सुमोटो होगा। खुद गाओगे तो ठीक है, वरना दूसरी तरह से गवाया जाएगा। नहीं गाओगे तो अनुदान बंद हो जाएगा। हर प्रदेश में राष्ट्रगान गाया जाएगा, एमपी, महाराष्ट्र, दिल्ली सब गाएंगे। गाना अनिवार्य होना ही चाहिए, जो प्रदेश इसमें देरी करेंगे, जनता वहां विद्रोह करेगी। वहीं प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले में कहा कि राष्ट्रगान हर जगह होना चाहिए।
सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि यूपी के सभी मान्यता प्राप्त अनुदानित और गैर अनुदानित मदरसों में आगामी सेशन की क्लासेस शुरू होने से पहले दुआओं के साथ टीचर्स और स्टूडेंट्स के लिए राष्ट्रगान भी अनिवार्य होगा। इस आदेश का पालन करवाने के लिए अल्पसंख्यक अधिकारी को नियमित निगरानी करने का भी आदेश दिया गया है। मदरसा शिक्षा परिषद बोर्ड ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि मदरसों के छात्र राष्ट्रगान के बाद ही क्लास में पढऩे जाएंगे। 12 मई से ये फैसला लागू हो गया। मुसलमानों ने बग़ैर किसी विरोध या आपत्ति के इस फैसले को माना। किसी भी संगठन या धर्मगुरु ने इस पर कोई ऐतराज़ नहीं जताया। इससे पहले मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने और सड़कों पर नमाज़ पढऩे पर लगाई गई पाबंदी का भी कोई विरोध नहीं हुआ। इसके उलट मुस्लिम संगठनों ने आगे बढ़कर इन सभी फैसलों का स्वागत किया। क्या प्रदेश की राजनीति बदल गई है? या फिर मुसलमानों ने हालात से समझौता कर लिया है?
ऐसे तमाम सवाल उठने लाजि़मी हैं। सबसे अहम सवाल ये है कि आमतौर पर योगी सरकार का विरोध करने वाले मुसलमान आखऱि उनके दूसरे कार्यकाल में हर फ़ैसला बग़ैर विरोध के क्यों मान रहे हैं? मदरसों में राष्ट्रगान गाने का ज़रूरी बनाने का फैसला 9 मई को लिया गया और 12 मई से लागू कर दिया गया। ये फैसला प्रदेश के सभी 1600 से ज्यादा मदरसों पर लागू हुआ है। मदरसा बोर्ड से मदरसों पर भी और निजी रूप से चल रहे मदरसों पर भी ये फैसला लागू होगा। योगी सरकार के फैसले पर प्रदेश में कहीं से किसी तरह के विरोध का सुर नहीं उठा।
मदरसों में राष्ट्रगान गाने को अनिवार्य किए जाने का उलेमा ने पहल कर स्वागत किया कि इसमें हैरत वाली कोई बात नहीं है। सभी मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाता रहा है और आगे भी गाया जाता रहेगा। फकऱ् सिर्फ इतना है कि पहले गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस या अन्य कार्यक्रमों के मौक़े पर राष्ट्रगान गाया जाता था। अब सरकारी आदेश के मुताबिक़ इसे रोज़ गया जाएगा। मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि 26 जनवरी और 15 अगस्त के मौके पर मदरसों में तिरंगा फहराया जाता है और राष्ट्रगान गाया जाता है। अब सरकार की तरफ से मदरसों में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने का आदेश आया है तो इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं है।
ओवैसी को क्यों है एतराज- प्रदेश के किसी भी मदरसा संगठन ने एतराज नहीं जताया है। एतराज जताया है तो हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने। ओवैसी ने मुसलमानों को बीजेपी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से देशभक्ति का प्रमाण पत्र नहीं चाहिए। जब स्वतंत्रता संग्राम लड़ा जा रहा था तो इसमें संघ परिवार ने हिस्सा नहीं लिया था जबकि मदरसे अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हो गए थे। ओवैसी ने कहा है कि मदरसों में देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जाता है। लेकिन बीजेपी और संघ परिवार से जुड़े लोग मदरसों को संदेह की नजरों से देखते हैं।
रमजान में अलविदा जुमे से ठीक पहले सड़कों पर नमाज़ होने पर लगाई गई पाबंदी के फैसले का भी मुसलमानों की तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ। बल्कि इसका स्वागत ही किया गया। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर हैरानी जताई जा रही है कि आखिर मुसलमानों की सरकार के धार्मिक रीति-रिवाजों से जुड़े इस तरह के फैसले को बगैर विरोध और एतराज के क्यों स्वीकार कर रहे हैं। इसकी कोशिश भी करता रहा है। सड़क पर नमाज़ का मामला हो या फिर लाउडस्पीकर का या मदरसों में राष्ट्रीय पर्व और मनाने और राष्ट्रगान गाने का मामला हो, मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से में बहुत पहले से ही इन मुद्दो पर सकारात्मक सोच रही है। लिहाज़ा इन पर योगी सरकार के फैसलों पर मुस्लिम समाज की तरफ से विरोध नहीं हुआ। मुस्लिम समाज में अब ये सोच बढ़ रही है कि हर मुद्दे पर सरकार से टकराव सही नहीं है।
टैगोर ने एक छोटी सी पुस्तिका प्रकाशित की थी जिसका नाम था 'नेशनलिज्मÓ। इसमें उन्होंने बताया कि सच्चा राष्ट्रभक्त वही हो सकता है जो दूसरों के प्रति आक्रमक न हो। पिछली सरकार ने सिनेमा हॉल में राष्ट्रगीत अनिवार्य किया था। पिक्चर खत्म होते ही स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ राष्ट्रगीत शुरू होता था। लेकिन सिनेमा हॉल में फिल्म देखते लोगों का मूड राष्ट्रगीत का नहीं होता था। ऐसा भी देखा गया कि सारे लोग खड़े भी नहीं होते थे। खड़े होकर भी आलू चिप्स या पोपकॉर्न खातेे बड़े ही अनमनस दर्शक राष्ट्रगान गाते थे। अन्त में सरकार ने आदेश को वापस ले लिया।
यूपी सरकार का फरमान मदरसों पर लागू हुआ है जहां मुस्लिम परिवारों के बच्चे मजहबी तालीम पाते हैं। मदरसा में शिक्षा दी जाती है लेकिन कुरान या उनके मजहबी रसूल के उसूलों की। वे राष्ट्रगान को कितना हृदयंगम करेंगे कहा नहीं जा सकता। इसे राजनीतिक रंग भी दिया जा सकता है। कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन बाद में सवाल उठा सकते हैं कि सरकार का यह कदम मुसलमानों पर ही क्यों उठाया गया है। बौद्ध, जैन या ईसाई धर्म की पाठशालाओं में राष्ट्रगीत गाने का फरमान क्यों नहीं किया गया? यानि देर सबेर इस आदेश पर टकराव होगा। फिर मुसलमानों की देशभक्ति पर बार-बार सवाल उठाये जाने से देश का माहौल भी बिगड़ेगा। अगर सरकार चाहती है कि राष्ट्रप्रेम की भावना राष्ट्रगीत से उभरेगी तो यह आदेश पूरे राष्ट्र में सभी तरह की स्कूलों में लागू किया जाना चाहिये था। मुसलमानों ने इसे स्वीकार कर लिया है और अभी तक कोई सवाल नहीं उठाया है। किन्तु यह मुद्दा मुसलमानों में कट्टरपंथियों को उकसायेगा। ओबैसी को पूरी कौम का नेता बनने का रास्ता प्रशस्त होगा। इसका लाभ ओबैसी जैसे कट्टरपंथियों को मिलेगा जिसके बारे में यह साबित हो चुका है कि वह भाजपा को परोक्ष रूप से लाभ पहुंचा रहा है। ज्यादा अच्छा होता कि राष्ट्रगीत का फरमान मुस्लिम संगठनों एवं उनके नेताओं विशेषकर उनके धार्मिक रहनुमाओं से बातचीत करने के बाद जारी किया गया होता तो बेहतर था।
बारासात में चर्च के पुरोहित फादर सुनील रोजैरियो ने इस मुद्दे पर मेरी हुई बातचीत में कहा- भारत का राष्ट्रगान दुनिया के राष्ट्रगीतों में सर्वश्रेष्ठ है। भारत विविधता की खूबसूरती वाला अद्वितीय राष्ट्र है। राष्ट्रगीत का राजनीतिकरण या इसे थोपने की चेष्टा इसमें नीहित राष्ट्रभत्ति एवं हमारी एकता की सूझबूझ को क्षति पहुंचा सकती है। राष्ट्रगीत को स्कूल में प्रतिदिन नियमित रूप से गायन से राष्ट्रगीत का उपहास ही होगा। सिनेमा हॉल में राष्ट्रीय गीत को अनिवार्य करने का जो हस्र हुआ, शायद वैसा ही कुछ न हो जाये। राष्ट्रगीत की अहमियत इसी में है कि हम इसकी गरिमा एवं इसमें नीहित भावना का सम्मान करें।

Beautiful article
ReplyDeleteसारगर्भित लेख। एक गंभीर विषय पर लिखा गया है। पढ़कर अच्छा लगा। धन्यवाद आपका नेवर जी।
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