तुष्य तुभ्यम् समर्पयेत-यानि
तेरा तुझको अर्पण
आज 8 मई है। संयोग से
रविवार भी। सुखद संयोग यह भी है कि आज ही मैं अपने जीवन के 80वें पादान में पैर रख रहा हूं। मैंने
कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। मित्रों, परिजनों ने शुभकामना
भेजी तो नतमस्तक होकर स्वीकार कर ली। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मेरे जन्म के दिन
अक्षय तृतीया थी। इस बार पांच दिन पहले बीत गयी। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसदिन
जिसका जन्म हो उसका क्षय नहीं होता। मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं कि इस
पवित्र दिन मेरा जन्म हुआ। अब 80वें वर्ष में प्रवेश
कर रहा हूं तो वह भी नतमस्तक होकर स्वीकार है। उम्र के इस पायदान पर मैं अपने को
यही शुभकामना का सम्प्रेषण कर रहा हूं कि आकाश छूने का जज्बा रखो और सुपुर्द-ए-खाक
होने के लिए तैयार रहो। फिर भी बचपन से आशावादी रहा हूं, आज भी हूं। दकियानूसी कभी नहीं रहा, अंधविश्वास का घोर विरोधी रहा हूं।
वैज्ञानिक सोच पर मेरा भरोसा है पर आस्था की प्रबलता को मानता रहा हूं। कई
धर्मपरायण एवं ईश्वर या अनिश्वरवादियों से बहस होती है तो मैं अक्सर एक बात अवश्य
कहता हूं कि ईश्वर के अस्तित्व को किसी तर्क से साबित नहीं कर सकते। बस एक ही
बिन्दु है जिससे आप परमात्मा को होने को प्रमाणित कर सकते हैं और वह है आस्था।
आस्था, विश्वास एवं भरोसे पर
कोई तर्क नहीं होता। आपको विश्वास है तो है नहीं तो नहीं है। पत्थर को पूजो तो वह
भगवान है, वर्ना रास्ते का
लावारिस। बचपन में बहुत ''मुंह फट'' होकर मैंने कई बड़े लोगों को नि:शब्द
किया है पर जब बाद में मैंने महसूस किया कि यह मेरी कोरी शेखी है। वह चुप इसलिये
हो गया कि उसने समझा कि इस टुच्चे से मुंह लगने में फायदा नहीं है। वह व्यक्ति
जीवन में आगे बढ़ गया और मैं शेखी बघारता पीछे ही रह गया। खैर जीवन में ऐसे कई
थपेड़े खाये हैं। गिर गिर के सम्हला हूं। किसी ने गिराया है तो किसी ने उठाया भी।
देर से ही मैंने अंग्रेजी के adjustment (तालमेल) और compromise (समझौता) में मूलभूत
फर्क को समझा और मुझे ब्रह्मज्ञान हुआ कि जीवन में लचीला होना ही चाहिये, तालमेल बैठाना चाहिये किन्तु अगर अपने
मूल सिद्धान्तों के साथ समझौता किया तो फिर अधोगति भी निश्चित है। घमंड एवं अपने
को मातवर समझना लूडो के सांप सीढ़ी के खेल की तरह है।
जीवन के 80वें वर्ष में अनुभव तो कुछ हुआ ही है पर मुझे अहसास हुआ है कि अनुभव से अधिक अहमियत विवेक यानि conscience की होती है। यही आदमी को ऊपर उठाता है वर्ना अनुभव से आप बाल सफेद कर सकते हैं पर ऊपर उठने के लिए विवेक की जरूरत होती है। विनम्रता के साथ आपकी दृष्टि एवं सृजनता या सकारात्मक सोच ही आपको वेतरणी पार कराती है।
जिंदगी ने हमें सब कुछ दिया ! ये सोचना की सब हमारा है तो ये
गलत है !क्योकि जिंदगी जैसे हमें कोई चीज़ देती है, वो
वैसे ही हमसे छीन भी सकती है ! हर कोई इंसान चाहता है कि वह एक बहुत अच्छी जिंदगी
जिए, लेकिन कभी कभी जिंदगी
ऐसे करवट लेती है,की इंसान फिर जिंदगी
जीता नहीं है, वो जिन्दगी को काटना
शुरू कर देता है! ये हिस्सा जिन्दगी का सबसे बुरा हिस्सा होता है ! ये हर उस इंसान
को सोचने पर मजबूर कर देता है कि एक अच्छी और बेहतरीन जिन्दगी कैसे जिए !
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ राष्ट्रपति भवन में लेखक।
अगर आप अपनी तुलना
किसी दूसरे से कर रहे हैं तो आप अपना ही मूल्य घटा रहे हैं!अपनी तुलना कभी भी दूसरे
से ना करे ! तुलना अपने साथ ही करे कि हम किर तनाव का शिकार हो जाते है, जो जिन्दगी में बहुत नुकसान पहुचाती है
! स्वास्थ्य ही धन है, ये हमने बहुत बार
सुना और सत्य भी है ! अगर हम सवस्थ ही नहीं है तो फिर एक अच्छी जिंदगी जीने की
कैसे सोच सकते हैं!
इस बात को कम महत्व
दें कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं- दूसरे लोग आपके नियंत्रण से बाहर
होते हैं और अगर आप अपनी इमेज के बारे में चिंता करना छोड़ नहीं सकते तो आप खुलकर
नहीं जी पाते। आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते इसलिए अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि
आप ऐसा कर सकते हैं तो समय आपको अलग-थलग और निराश करके छोड़ देगा।
कई लोग काफी पैसा
होने का सम्बन्ध आजादी से जोड़ते हैं, लेकिन पैसे के प्रति
आपकी लालसा बताती है कि पैसा ही आपके लिए सब कुछ है, स्वतंत्रता
नहीं। धनोपार्जन सम्मानित जीवन जीने हेतु आवश्यक है। इसे साधन समझें तो पैसा का
उपयोग कर सकते हैं। जहां आपने पैसा कमाना ही साध्य समझें तो ऐसा करने वालों का
बुढ़ापा बड़े कष्ट में गुजरा है।
दोस्तों का साथ
सहानुभूति की भावना लाता है, आपको समझदार बनाता है, और चीज़ों को समझने से आपका स्वास्थ्य
भी सुधर सकता है जिससे एंडोर्फिन के निकलने में मदद भी मिलती है। साथ ही, दोस्तों के साथ अंतरंग समय बिताने से और
सामाजिक बनने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ जाता है जो आपके आंतरिक स्वास्थ्य को
सुधारने के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
मनुष्य हमेशा अपने भविष्य के लिए चिंतित रहता
है। वह अतीत की सोचता है, भविष्य की सोचता है, क्योंकि डरता है वर्तमान से , वर्तमान के क्षण में जीवन भी है और
मृत्यु भी। वर्तमान में ही दोनों है एक साथ है क्योंकि वह वर्तमान में ही मरेगा और वर्तमान में ही जियेगा । न तो कोई
भविष्य में मर सकता है और न भविष्य में जी सकता है।
जीवन ने बहुत कुछ
दिया। दोस्तों एवं शुभेच्छुओं से असीम प्यार मिला। कहीं-कहीं ठोकर भी खा ली, वह भी सम्हलने के लिये। आंख बंद कर किसी
भी बात कर विश्वास नहीं किया। तर्क के आधार पर निर्णय लेने की जुगत में रहा।
आज जब जीवन का एक
लम्बा अंतराल बिता चुका हूं। वैदिक ऋषि चारवाक की सोच को तर्क एवं जीवन संगत मानता
हूं कि - यथो जीवेत सुखम जीवेत- यानि जब तक जीओ सुख से जीओ।
बस एक पंक्ति में ही
अपने जीवन को सार्थक मानता हूं- ''तेरा तुझको अर्पण''। सभी ने प्यार दिया, सम्मान दिया, रास्ता, चलना
सिखाया, चुटकी ली, गिरा या गिराया गया, सम्हला और सम्हाला गया।
सबके प्रति कृतज्ञता। लम्बा जीवन जीना चाहता हूं पर उस घड़ी के लिये भी तैयार हूं जो हर व्यक्ति के जीवन में आती है।

जनमदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteस्वस्थ,सुखी,सम्पन्न रहें।उन्नतशील
आपका अनमोल जीवन उपवन
सदा हरा भरा,सुरभित रहे।🙏🙏🌷🌷🍧🍧📒✍️
सदा स्वस्थ रहें और नये कीर्तिमान स्थापित करें
ReplyDeleteBeautiful as well as inspirational. You are our pride. Age is just a number and your energy, your spirit to work has proved it always. Thank you for sharing. Many many happy returns of this day. Lots of good wishes. Happy Birthday! Stay happy like this always
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