वैवाहिक परिचय सम्मेलन का दौर
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भारतीय समाज में विवाह एक अहम् संस्थान है। हमारे देवी-देवताओं की पूजा जोड़े के साथ होती है। शिव-पार्वती, राम-सीता, कृष्ण-रुक्मिणी, विष्णु-लक्ष्मी, ब्रह्मा-सरस्वती आदि-आदि। हर अच्छे मुहूर्त पर किसी एक कस्बे या शहर में सैकड़ों शादिायं होती है। कभी-कभी तो शादियों की इतनी भरमार होती है लगता है कि अब कोई कंवारा नहीं बचा होगा। अगले मुहूर्त पर फिर उतनी ही शादियां। यानि शादियों का दौर खत्म ही नहीं होता। इस पर भी स्थिति यह है कि आज भी बेटी के जन्म के दिन से जब तक उसके हाथ पीले नहीं होते माता-पिता बड़े तनाव में रहते हैं। वैवाहिक सम्बन्धों की जटिलता आज भी बनी हुई है। लेकिन जहां समस्या होती है वहां उसका समाधान भी निकलता है। विवाह की गुत्थी भी सुलझाने में समाज पीछे नहीं है। पहले के समय में परिवार का नाई या पंडित शादी तय करके आ जाते थे। उस वक्त शादी दो परिवारों का मिलन कहा जाता था। पात्र-पात्री यानि लड़का-लड़की गौण थे। लेकिन अब समय बदल गया है। बदला नहीं बहुत बदला है। लड़का और लड़की दोनों पढ़े-लिखे होते हैं और अब वैवाहिक सम्बन्ध में पात्र-पात्री की सीधी वार्ता बहुत आवश्यक है। दोनों की पसन्द अहम् हो गयी है। इसी परिवर्तन के परिपेक्ष्य में अब परिचय सम्मेलन का दौर शुरू हो चुका है।
परिचय सम्मेलन आयोजित होने से समाज को अपने भाई बहिनों के रिश्ते तय करने में आसानी होती हैं। विभिन्न समाजों के द्वारा जो परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। वहीं आज के इस आधुनिक जीवन शैली और समय के अभाव के चलते हम युवक-युवतियों की ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं और हर वक्त यही मन में सवाल रहता है कि सबसे से पहले कहां से शुरूआत करें और हमें इसके लिए एक गांव से दूसरे गांव जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसे की बर्बादी होती है। लेकिन आज हर समाज द्वारा इस तरह के परिचय सम्मेलन आयोजित किए जा रहे जिससे समय तो बचता ही है और साथ ही सभी युवक-युवतियों को जानने और पहचानने का मौका भी इन परिचय सम्मेलन के माध्यम से मिल जाता है।
अब परिचय के माध्यम से हम जीवन के उस क्षेत्र को छूते हैं, जहां कोमल भावनाऐं, वाणी को माध्यम न बनाकर नयन की भाषा में अपने प्यार का संकेत देती है। मन की विचार श्रंखला चेहरे पर अपनी चमक बिखेरकर उस उम्र का परिचय कराती है। युवा हृदय अपने लिए जीवन साथी के सपने संजोने लगते हैं, और माता पिता की चिन्ता! बेटी के पीले हाथ और बेटे को बहू का साथ कराने के लिए जमी आसमां एक कर देते हैं।
परिचय सम्मेलन के माध्यम से एक मंच पर, एक साथ माता पिता सगे संबंधियों के साथ युवा और युवती उपयुक्त जीवन साथी का चयन करने के लिऐ स्वतन्त्र और निश्चिन्त रहते है। सबको देखने परखने और चर्चा करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है ।
परिचय सम्मेलन में अपरिहार्य कारणों से युवक युवति उपस्थित नहीं हो सके तो वे परिचय पुस्तिक जो संबंध बनाने का एक विश्वसनीय साधन और माध्यम है के द्वारा योग्य परिवारों से संम्पर्क कर सकते हैं। कई परिवार परिचय सम्मेलन की सूचना के अभाव में या अन्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सकते हैं वे भी परिचय पुस्तिका पाप्त कर बेटे बेटियों के लिए अच्छा रिश्ता तय कर सकते हैं।
परिचय सम्मेलन का यह आयोजन उन सक्रिय और विचारवान युवा-युवतियों के लिए होता रहता है, जो अपने माता पिता की चिन्ता से भली-भांति परिचित होकर सामाजिक मंच के माध्यम से अपने क्रान्तिकारी विचारों के व्दारा अन्य युवा युवतियों में प्रेरणा जाग्रत कर अपने लिऐ योग्य जीवन साथी का चयन करते हैं। परिचय सम्मेलन आपको आर्थिक और मानसिक चिन्ता के बोझ से भी मुक्ति दिलाता है।
परिचय सम्मेलन में प्राफिट का ग्राफ उच्चस्तर का है। इसके माध्यम से आपके सम्पर्क का क्षेत्र तो विस्त्रत होगा ही, बच्चों के जीवन साथी चयन करने के भी अनेक अवसर मिलेगें उनका लाभ लेकर आप चयनित परिवार को अपने घर बुलाकर सारी जानकारी लेने के बाद रिश्ता तय करें। अपने बच्चों के लिए अनमोल जीवन साथी का चयन सामाजिक मंच पर आयोजित इन परिचय सम्मेलन के माध्यम से कर आर्थिक और मानसिक पेरशानी से बचाया सकता है। परिवार से समाज बडा होता है और वह अपनी जिम्मेदारी का अहसास करते हुए जीवन साथी चयन की व्यवस्था दे रहा है, इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिये।
परिचय सम्मेलन अब इस बात की भी इजाजत देता है कि आप जाति और जन्म की सीमा लांघ कर सम्बन्ध बना सकते हैं। कम्प्यूटर एवं डिजिटल युग में इन संयंत्रों का भी भरपूर सहयोग लिया जाता है। विवाह योग्य लड़के-लड़कियों का जातिगत, आयुगत, क्षेत्रगत डाटा तैयार कर लिया जाता है। यह कहना अतिशयोक्ति होगी कि परिचय सम्मेलन दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों से निजात दिला सकता है किन्तु यह सिलसिला ठीक चलता रहा तो दहेज जैसी अमानवीय प्रथाओं में काफी कमी आ सकती है। परिचय सम्मेलन के पश्चात् सामूहिक विवाह इसकी अंतिम कड़ी होती है जहां एक स्थान पर, एक मुहूर्त पर कई सारे जोड़ों का विवाह सम्पन्न किया जाता है। इसमें जाति-जन्म की दीवारों को फांद कर शादियां भी होती है। ऐसा भी देखा गया है कि समाज के कुछ लोग आगे आकर इन जोड़ों को गृहस्थी चलाने के साजो-सामान से लैश करते हैं। उन्हें दाम्पत्य जीवन को सफलीभूत करने के लिये भौतिक सामानों का पूरा खजीरा दिया जाता है। समाज अपने कर्तव्य का पालन करता है। बस यह जरूर है कि परिचय सम्मेलन अथवा सामूहिक विवाह की शानदार परम्परा आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का संकट मोचक बन पायी है। अभी बड़े या सम्पन्न लोग सहयोग का हाथ बढ़ाते हैं पर अपने बच्चों के लिये इस तरह की व्यवस्था से परहेज रखते हैं।
खैर, सामाजिक व्यवस्था में क्रान्तिकारी परिवर्तन से अभी हम बहुत दूर हैं किन्तु वर्तमान सामाजिक अराजकता से उबरने हेतु परिचय सम्मेलन एवं सामूहिक विवाह दोनों ही रामबाण दवा है। इसलिए समाज को इस तरह के उद्यम को प्रोत्साहित करना चाहिये। यह एक सुखद तथ्य है कि परिचय सम्मेलन मंच पर महिलाओं ने अपना वर्चस्व बनाया है। कई महिलायें व्यक्तिगत तौर पर वैवाहिक सम्बन्न के लिये उद्यमी है तो कई महिला संगठनों ने यह कार्य अपने हाथ में ले रखा है।

शानदार , पठनीय एवं अनुकरणीय।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सराहनीय कदम, समाज को प्रेरित करती हैं,जय हिन्द वन्दे भारत
ReplyDeleteVery much important topic this is. The POV of yours is extremely true, thank you for sharing this article..I hope that the society someday changes it's thought. 🙏
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteरूढ़िवादी विचारकों को अनुकरण करने की आवश्यकता है। समाज कल्याणकारी व प्रासंगिक आलेख!!
ReplyDeleteVery important message to the society.
ReplyDeleteयह प्रयास बहुत दिनों से चल रहा है और सराहनीय भी है ।
ReplyDeleteपरन्तु चूंकि इस समारोह में उच्च वर्ग के लोग सम्मिलित नहीं होते इसलिये मध्यम वर्ग हिचकता है ।
अब समय आ गया है कि लोग अपनी गाढी कमाई फिजूलखर्ची में बरबाद न कर सामूहिक विवाह करें । दुख का विषय है कि अपने को आधुनिक मानने वाला युवा वर्ग भी इस ब्यवस्था से सहमत नहीं होता और अपने माता पिता का अपने विवाह में कर्ज से लाद देता है ।
आज वृद्ध मातापिता की दुर्दशा देखते हुए माता पिता का को अपने भविष्य का ख्याल करके भी ऐसी विवाह ब्यवस्था को सहर्ष स्वीकार करना चाहिये ।
बढ़िया आलेख. परिचय सम्मेलन और सामूहिक विवाह समय और धन की तो बचत है ही, साथ ही कई बिला वजह की परेशानियों और आडम्बरों से मुक्ति भी है.
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