सोशल मीडिया पर जहर - बुल्ली बाई ऐप

 सोशल मीडिया पर जहर

बुल्ली बाई ऐप

इंटरनेट पर मुस्लिम महिलाओं की अपमानजनक और छेड़छाड़ की गईं तस्वीरें पोस्ट करने का मामला एक बार फिर सामने आया है। एक साल से कम समय में यह दूसरी बार है, जब मुस्लिम महिला के साथ ट्रोल्स ने इस तरह की अभद्रता की है। पिछले साल जुलाई में कुछ अज्ञात लोगों ने सुली डील्स नामक ऐप पर सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की थीं। ठीक उसी तर्ज पर इस बार 'बुल्ली बाईÓ नाम के एक ऑनलाइन पोर्टल ने इन महिलाओं का अनादर करने के एकमात्र इरादे से बिना सहमति इन मुस्लिम महिलाओं की छेड़छाड़ की तस्वीरों का उपयोग कर एक 'नीलामीÓ (अपमानजनक शब्द 'बुलीÓ का उपयोग करके) का आयोजन किया है। कई महिलाओं ने बताया है कि उनकी तस्वीरों का इस प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें द वायर  की पत्रकार इस्मत आरा भी शामिल हैं, जिन्होंने ट्विटर पर इस वेबसाइट का एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया, जिसमें उन्हें 'बुली बाई ऑफ द डेÓ बताया गया है। इस्मत ने दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराकर आईपीसी की धारा 153ए (धर्म के नाम पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना), 153बी (राष्ट्रीय एकता पर प्रभाव डालने वाले भाषण देना या लांछन लगाना), 354ए (यौन उत्पीडऩ), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (स्त्री की मर्यादा का अनादर करने के आशय से कुछ कहना या कोई इशारा करना) और आईटी अधिनियम की धारा 66 ( इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से असंवेदनशील जानकारी भेजना) और धारा 67 (अश्लील संदेश भेजना) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। 


उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि यह शब्द 'बुली ऑफ द डेÓ महिलाओं का वस्तुकरण करने और उन्हें कमतर करने की मंशा से किया गया है। उन्होंने पुलिस से इस वेबसाइट के संबंध में साजिश की जांच करने का भी अनुरोध किया है। इस्मत ने अपनी शिकायत में कहा है, 'सार्वजनिक अभिव्यक्ति का प्लेटफॉर्म होने की वजह से सोशल मीडिया का इस्तेमाल समाज के स्त्री विरोधी वर्गों द्वारा महिलाओं विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं को नीचा दिखाने और उन्हें अपमानित करने के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने शिकायत में आगे कहा है, 'यह देखना वास्तव में निराशानजक है कि नफरत फैलाने वाले ये लोग बिना किसी डर के मुस्लिम महिलाओं को निशाना बना रहे हैं और उन्हें दंडित भी नहीं किया जा रहा। 

सोशल मीडिया पर मुखर कई अन्य मुस्लिम महिलाओं को भी अपनी तस्वीरें इस वेबसाइट पर मिली हैं। जेएनयू के लापता छात्र नजीब की मां की तस्वीरें भी इस साइट पर हैं। इस्मत की शिकायत के एक दिन बाद दिल्ली पुलिस ने बताया कि उसने दक्षिणपूर्वी दिल्ली के साइबर थाने में आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 354ए और 509 के तहत एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच पुलिस अधीक्षक मंजूर आलम को सौंप दी है। इस बीच मुंबई पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने समाचार एजेन्सी को बताया है कि उसने इस प्लेटफॉर्म की जांच शुरू कर दी है, जिसे तब से हटा दिया गया है। 

बुल्ली बाई ऐप को गिटहब पर बनाया गया है। यह एक होस्टिंग प्लैटफॉर्म है, जहां पर ओपन सोर्स कोड का भंडार रहता है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बुल्ली बाई ऐप यूजर को गिटहब द्वारा ब्लॉक कर दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस मामले में मुंबई, बेंगलुरु और उत्तराखंड से कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और बताया जा रहा है कि इसके तार नेपाल से जुड़े हैं। इसी मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने उत्तराखंड के रुद्रपुर की रहने वाली एक लड़की को गिरफ्तार किया। मामला संवेदनशील होने के कारण हम उसका नाम यहां पर नहीं दे रहे हैं। यहां पर हम उसको एक नाम दे रहे हैं शालू...18 साल की किशोर उम्र वाली शालू एक अनाथ लड़की है जिसके पिता का देहांत कोविड संक्रमण की वजह से हो गया था। तीन भाई-बहनों में एक शालू अपना गुजारा करने के लिए सरकार से कोविड संकट के दौरान अनाथ हुए बच्चों को मिलने वाली सहायता पर निर्भर है। उसके पास बड़े-बुजुर्गों का मार्गदर्शन नहीं है। क्या यह वजह हो सकती है जिसने उसे एक ऐसा काम करने की तरफ धकेल दिया जिससे वह अब कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है। 

ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आरोपी लड़की ने अपने परिवार की जरुरतों को पूरा करने के लिए और अपनी माली हालत से निकलने के लिए शायद ये रास्ता अपनाया हो और बुली बाई ऐप के जरिए से कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की चाह रखी हो और वह इसमें फंसती चली गई हो। 

इस बारे में मनोवैज्ञानिक डॉक्टर समीर पारिख का कहना है कि हमको सोशल वैल्यूज का ध्यान रखना चाहिए। उनका कहना है कि हमें सामाजिक तौर पर खासकर युवाओं और स्कूल के बच्चों के लिए जरूरी है कि कैसे हम नैतिक एजूकेशन की तरफ जाएं। डॉ. पारिख ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर कई तरह की बुलिंग बढ़ती जा रही है। अगर इस तरह की घटनाओं से बचना है तो लोगों को बच्चों के साथ सोशल वैल्यू का ध्यान रखना चाहिए। हम अपनी पीढ़ी को एजुकेशन से इतर होकर इस तरह की एजुकेशन दें कि उनको समझ आए कि हम क्या कर रहे हैं और क्या नहीं। हमारे विहेवियर का लोगों पर क्या असर पड़ता है इस पर ध्यान रखना जरूरी है। डॉक्टर पारिख का कहना है कि जो हम सीखते हैं समझते हैं उसका असर व्यवहार पर पड़ता है और हम उसी के अनुसार रिएक्ट करते हैं।

पुलिस ने जब शालू (काल्पनिक नाम) को अरेस्ट किया और उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह ऐप से जुड़े तीन अकाउंट को हैंडल कर रही थी। इसी के आधार पर ग्रुप एडमिन के अलावा गिरफ्तार लड़की को मुख्य आरोपी माना जा रहा है। खबरों की मानें तो इस ऐप से नेपाल, दिल्ली, महाराष्ट्र, बेंगलुरु के अलावा कई प्रदेशों के शिक्षित युवा जुड़े हुए हैं। इस संबंध में तीन गिरफ्तारी हो चुकी हैं रुद्रपुर में आदर्श कॉलोनी की रहने वाली आरोपी 18 साल की शालू गिरफ्तार की गई है। शालू पर बुली बाई ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें लगाकर उनकी कथित तौर पर बोली लगाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।  आरोप है कि वह मुस्लिम महिलाओं के फोटोज को एडिट कर सोशल मीडिया की साइट्स पर डालती थी।

सोशल मीडिया के दुरुपयोग एवं उसके द्वारा फैलायी गयी सामाजिक अराजकता का यह एक ज्वलंत नमूना है। इस मायाजाल में हमारी युवा पीढ़ी और वह भी पढ़ी-लिखी युवा पीढ़ी फंसती जा रही है। सरकार और उसका प्रशासन कार्रवाई करता है पर इसका जहर समाज में फैलता जा रहा है। सबसे दु:खद बात यह है कि इस जहर को समाज के सदियों से चल रहे सामाजिक ढांचे को तहस-नहस किया जा रहा है। आजकल हर मुद्दे में साम्प्रदायिक वैमनस्य को बढ़ाने का तंत्र जोड़ दिया जाता है और कुछ लोगों की नजर में ऐसा करना उनका राष्ट्रीय कर्तव्य है। खैर, शैतान अपना काम करता है और करता रहेगा पर इसके विरुद्ध एक सामाजिक चेतनता अति आवश्यक है। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर उसके संदर्भ को हटाकर सोशल मीडिया में उसे ऐसे परोसा जाता है मानों समाज के उद्धार की सुपारी ले ली गयी है। मीडिया का यह भी अंश है जिसके दंश को झेलना समाज को पड़ रहा है। राज्य एवं केन्द्र सरकारों को इस तरह के अपराधों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी होगी साथ ही ऐप के आकाओं पर भी शिकंजा कसना होगा। यह कोई आसान कार्य नहीं है पर इस जहर से समाज को उबारने के लिये कारगार कदम तो उठाने होंगे।


Comments

  1. जनता जनार्दन को भी अपनी सोच और समझ को विकसित करना चाहिए और किसी के कुछ भी कहे सुने और लिखे पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए साथ ही साथ बुरे कर्म करने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।

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  2. किसी भी महिला का अनादर अपनीं संस्कृति के विपरीत है.अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर एक वर्ग विशेष पर धारावाहिक रूप से ऐसा सोसल मिडिया का इस्तेमाल उचित नहीं.

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