हमें आजादी भीख में मिली है - पद्मश्री कंगना रनौत की ऐतिहासिक खोज

 हमें आजादी भीख में मिली है

पद्मश्री कंगना रनौत की ऐतिहासिक खोज

बॉलीवुड की कंगना रानावत की अदाकारी का मैं विशेष रूप से कायल हूं। उसकी अभिनित फिल्में मैंने देखी है, वह सचमुच में एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री है। हमारे कई फिल्मी हस्तियों ने देश की राजनीति में भागीदारी निभायी है एवं उनमें कई चुनाव जीत कर सांसद हुए, कई राज्यसभा में मनोनीत किये गये। कलाकारों को पद्म सम्मान से भी नवाजा गया। जो इन श्रेणियों में नहीं आते उनमें भी कइयों ने अपनी कला से देश के लोगों के दिल में जगह बनायी। कंगना रानावत अपने फिल्मी जीवन से इतर तब लाइमलाईट में आयी जब उसने सुशांत सिंह राजपूत द्वारा कथित आत्महत्या के परिपेक्ष में सुशान्त की प्रेमिका अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती जिसे ड्रग केस में हिरासत में लिया गया के विरुद्ध जंग घोषित की एवं भारतीय जनता पार्टी की चहेती बन गयी।

टाइम्स नाऊ के समिट में कंगना बोलती हुई

सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यपूर्ण मृत्यु उस वक्त हुई जब बिहार का चुनाव सिर पर था। राजपूत बिहार का पुत्र था इसलिये बिहार चुनाव में राजनीतिक उपज के लिए सुशांत कांड बड़ा उपजाऊ एवं उर्वरक समझा गया। इसी परिपेक्ष में सुशांत की प्रेमिका रिया चक्रवर्ती को खलनायिका एवं सुशांत सिंह को शहीद बनाकर पेश करने की चेष्टा की गयी। मुम्बई पुलिस के हाथ से उसकी जांच छीन कर सीबीआई को सौंपी गयी जो केन्द्रीय सरकार की प्रमुख एजेन्सी है। एक्ट्रेस कंगना भी इसी वक्त मैदान में कूदपड़ी और मृत सुशांत के लिये खड़ी होकर उसने बॉलीवुड में चल रहे यौन शोषण, ड्रग के गटर में रंगते कुछ चमकदार कीड़ों की बात को उजागर कर पूरी फिल्म-बिरादरी को उसके चक्रव्यूह में फंसा दिया। राजनीति के एक खेमे को समाजवादी जया बच्चन की काट चाहिये थी तो उन्हें कंगना रानावत के रूप में 'रेडीमेडÓ मिल गयी। कंगना, जया से कम उम्र एवं ज्यादा चमकदार थी। शिवसेना के मुखपत्र सामना में जया बच्चन को सच बोलने और बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए अपने संपादकीय में प्रशंसा की तो दूसरी तरफ कंगना रनौत को भाजपा ने कंधे पर उठा लिया। भाजपा प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने आज तक की डिबेट में कहा ''झांसी वाली रानी नहीं, वह तो मां दुर्गा है।ÓÓ

बस क्या था, कंगना सुपर स्टार से राजनीतिक क्षीतिज पर भी चमक उठी। अटकल लगने लगी कि उसे राज्यसभा भेजा जायेगा। खैर जो हो कंगना अब अपने को सचमुच दुर्गा एवं महिषासुर मर्दनी समझने लगी। तब उन्होंने फिल्मी जगत के ऐसे कुछ लोगों से पंगा लेना शुरू कर दिया जिनकी राजनीति में भी अच्छी पैठ थी। सम्मानित एक्ट्रेस एवं राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सांसद रह चुकी शबाना आजमी पर तब कंगना ने निशाना साधा जब देश में पुलवामा अटैक के बाद वह पाकिस्तान के दौरे पर जाने वाली थी। कंगना ने ट्वीट करते हुए कहा था कि यह वही लोग होते हैं जो भारत में ''तेरे टुकड़े होंगेÓÓ वाले गैंग के साथ खड़े होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके बाद शबाना आजमी ने अपना पाक दौरा ही रद्द कर दिया था।

किसान आंदोलन में प्रदर्शन कर रही दादी पर भी कंगना ने विवादित ट्वीट किया। किसान आंदोलन में प्रदर्शन कर रही दादी बिलकिस बानो के लिए ट्वीट में लिखा था कि यह वही दादी है जिसे टाइम मैगजिन ने अपनी लिस्ट में मोस्ट पावरफुल इंडियन का दर्जा दिया था। कंगना ने कहा था कि पाकिस्तान के पत्रकारों ने भारत में एक इंटरनेशनल पीआर हायर किया हुआ है। इस ट्वीट के बाद कंगना की काफी आलोचना हुई। साथ ही उनके खिलाफ केस भी दर्ज हुआ।

मई 2021 में ट्विटर ने कंपनी को अपमानजनक व्यवहार नीति और घृणित आचरण नीति के अनुसार, रनौत के अकाउंट को स्थायी रूप से निलंबित कर दिया। ट्विटर के प्रवक्ता के अनुसार, रनौत को ऑफलाइन नुकसान और हानिकारक ट्वीट्स की शृंखला में शामिल पाया गया था।

कंगना रानावत को पद्मश्री का सम्मान दिया गया तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। सभी सरकारें अपने चहेतों को पद्मश्री अवार्ड एवं कई तरह के सम्मान दिलवाती रहीहैं तो कंगना को पद्म पुरस्कार मिलना भी स्वाभाविक है। इस बार 141 लोगों को पद्म पुरस्कार दिये गये।

कंगना रनौत को भी पद्म पुरस्कार देना राजनीतिक ²ष्टि से भाजपा की राजनीति को रास आया होगा किन्तु भाजपा की चहेती अभिनेत्री कंगना को पद्मश्ी देकर गलती की है, यह सवाल कई बार सोशल मीडिया पर उठाया गया। कुछ लोगों ने सरकार पर व्यंग्य किया कि कंगना के उच्च कद को देखते हुए यह बहुत छोटा सम्मान है वह तो भारत रत्न की पात्रता रखती हैं। जबकि कुछ पद्मश्री से सम्मानित लोग इसे अब अपना अपमान मान रहे हैं। टाइम्स नाऊ के समिट में कंगना ने ऐसा बयान दे डाला जो चौंकाने वाला है। रनौत ने अपने स्वम्भू ऐतिहासिक शोध के आधार पर कहा कि 15 अगस्त 1947 को हमें मिली वह तो भीख में मिली आजादी थी। असली आजादी 2014 को मिली जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने। यहां यह उल्लेखनीय है कि देश की आजादी के बाद ''यह आजादी झूठी हैÓÓ कहा गया था क्योंकि कम्युनिस्टों ने इसे महज सत्ता का हस्तांतरण माना था। उनका कहना था कि मूलभूत परिवर्तन इस आजादी से नहीं होगा, कुछ क्रान्तिकारियों का भी यही मानना था। उनके इस विचार से मैं सहमत नहीं हूं किन्तु कहने वालों ने उसके औचित्य के बारे में कई विचारपूर्ण आलेख लिखे हैं। कंगना का यह कहना कि आजादी हमें भीख मे ंमिली है, के बारे में अभी तक उसको विस्तार से नहीं बताया कि आखिर वे क्या कहना चाहती है। महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, पं. नेहरू, सरदार पटेल, भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान आदि-आदि इतिहास पुरुषों के संग्राम से मिली हमारी आजादी भीख में मिली है या वे सब भिखारी थे, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया, स्वतंत्रता के लिये शहादत दी। इसके बारे में कंगना ने अभी तक कोई प्रकाश नहीं डाला है। हां, कुछ लोगों ने उनसे पद्मश्री तुरन्त वापस लेने एवं उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

कंगना रनौत ने नशाखोरी के विरुद्ध वक्तव्य देते-देते देश की आजादी पर ही चिह्न लगा दिया। उसकी यह मानसिक दशा इस बात का सबूत है कि कंगना को मिली शोहरत उसके माथे में हिलोरे खाने लगी है जहां पहुंच कर व्यक्ति कभी-कभी यह सोचने लगता है कि ''अहम् ब्रह्मास्मि, द्वितीयो नास्ति।ÓÓ मेरे मुंह से निकला हर शब्द ब्रह्म वाक्य है। अब कंगना को कौन बताये कि तुम अच्छी अदाकार हो इतिहासकार नहीं। शायद कंगना को आजादी का इतिहास पढऩे का कभी मौका ही नहीं मिला है। और अगर उसने पढ़ा है तो वह कौन सा इतिहास है वही बता सकती है। 2014 में देश को असली आजादी मिली यह सुनकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुछ अंध-भक्तों को गुदगुदी हुई होगी पर भाजपा के बहुतेरे लोग भी इस अंध भक्ति पर हैरान में पड़ गये होंगे। बहरहाल कंगना ने आजादी का मुद्दा उठाकर अपनी पार्टी को सोचने पर मजबूर किया हो कि देश के इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है जिसमें कोरोना की इस नायाब 'डिस्कवरीÓ को सुर्खियां मिले।




Comments

Post a Comment