खेल के मैदान से देशद्रोह का फतवा
भारत-पाक में क्रिकेट मैच कुछ लोगों के लिए महायुद्ध से कम नहीं है। पिछले रविवार को टी20 गोल्ड कप के अन्तर्गत दुबई में हुए मैच में भारत को विश्वकप टी20 के पहले मैच में पाकिस्तान ने बुरी तरह हरा दिया। पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत किसी भी फार्मेट के विश्वकप में पाकिस्तान से हारा है। इससे पहले विराट कोहली की कप्तानी में ही आईसीसी ट्रॉफी मैच में भारत हारा था।
भारतीय कप्तान विराट कोहली टी20 क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं और नम्बर वन पर काबिज हैं। कोहली ने 90 मैचों में 28 अर्धशतकों की मदद से 3159 रन बनाये हैं।
भारत-पाक मैच में भारत की करारी हार पर पाकिस्तान के एक मंत्री ने टिप्पणी कर दी कि यह इस्लाम की जीत है। पाक मंत्री के इस पागलन के जवाब में भारत में त्वरित प्रतिक्रिया होना जरूरी था वर्ना हम पाकिस्तान से मुकाबला कैसे करेंगे? सोशल मीडिया में ''फ्लड गेट" खुल गया। कश्मीर में कुछ लोगों ने पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया। रोशनी की गयी, आतिशबाजी हुई। वैसे कश्मीर में कुछ लोग पाकिस्तान परस्त हैं, यह कई बार साबित हो चुका है। कश्मीर के भारत में विलय के बावजूद वे आज भी बेसुरा अलाप जापते हैं। 370 धारा निरस्त करने के बाद ऐसे तत्वों की सक्रियता लगता है, कम नहीं हुई है। भले ही वहां के युवकों के हाथ में पत्थर न हों पर उनके मुंह पर ताले नहीं लगे हैं। हमारी सरकार ने दावा किया है कि 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर की राजनीतिक आवोहवा बदल गयी है पर शायद यह हमारी खुशफहमी है। गृहमंत्री ने कहा था कि स्थिति सामान्य होते ही कश्मीर को पूरे राज्य का दर्जा लौटा देंगे। यही नहीं वहां चुनाव करवाकर विधानसभा को पुनर्जीवित कर दिया जायेगा। लेकिन अभी तक ऐसा कोई लक्षण नहीं नजर आ रहा है। इससे भी लगता है कि स्थिति सामान्य होने से बहुत दूर है। कश्मीर में पाँच लाख से अधिक भारतीय सेना के जवान तैनात हैं। चप्पे-चप्पे पर सेना के लोग मुस्तैद हैं। कश्मीर छावनी में तब्दील हो गया है। कश्मीर के सभी छोटे-बड़े नेता गृहबन्दी बना दिये गये। कश्मीर केजो हालात हैं वहां पाकिस्तान की जीत का जश्न नहीं मनाया जायेगा तो फिर कहां मनाया जायेगा? इसमें आश्चर्य की बात नजर नहीं आती।
लेकिन देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी पाकिस्तान की जीत की खुशियां मनायी गयी। इस अपराध में लोगों की गिरफ्तारी और कार्रवाई की खबरें हैं। उदयपुर (राजस्थान) की एक प्राइवेट स्कूल की टीचर को गिरफ्तार किया गया है, यूपी के पांच जिलों में सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी। कश्मीर के श्रीनगर में दो मेडिकल
कॉलेजों के कुछ छात्रों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया। इस धारा के अन्तर्गत आमतौर पर आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की जाती है।
क्रिकेट एक खेल है जिसे स्वस्थ मनोरंजन माना गया है। खैर यह अलग मुद्दा है पर किसी मैच में खिलाड़ी भावना को ताक पर रखकर अगर नफरत की भावना या विषवमन किया जाये इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति और क्या हो सकती है। किसी टीम या खिलाड़ी का समर्थन करना, उसे चीयर करना अपने आप में गुनाह नहीं हो सकता। कोई समाज अपने लोगों पर इस तरह की बंदिशें नहीं लगा सकता कि वे खेल के मैदान में इस या उस टीम के पक्ष में न बोलें या किसी अच्छे शॉट की तारीफ न करें। हाँ मैच के बहाने माहौल बिगाडऩे एवं अशांति फैलाने की व्यापक साजिश करने वालों पर गाज गिरनी चाहिये। पर किसी क्रिकेट फैन द्वारा खेल के मिजाज में स्वाभाविक रूप से अपनी प्रतिक्रिया देता है तो इस पर यूएपीए जैसी कठोर धाराओं का इस्तेमाल करना या इसे देशद्रोह करार देना न केवल अनावश्यक है बल्कि यह पुलिस और शासन व्यवस्था के प्रति आम नागरिकों का अविश्वास बढ़ायेगा। खेल अथवा खिलाड़ी या उसकी टीम की प्रशंसा करना हर खेलप्रमी का अधिकार है भले ही वह भारत के खिलाफ ही क्यों न खेला गया हो। इस आधार पर पुलिस कार्रवाई संविधान द्वारा दिये गये नागरिक अधिकारों का उल्लंघन मानी जायेगी।
भारतीय खिलाड़ी मोहम्मद शमी को भारत की पराजय का दंश सिर्फ इसलिये झेलना पड़ा क्योंकि वह मुसलमान है। उसके खिलाफ जहर उगला गया, भारत की हार का ठीकरा उसके सिर फोड़ा गया। परिणामस्वरूप भारत के कई दिग्गज खिलाडिय़ों को भी इस तरह के दुव्र्यवहार की निन्दा करनी पड़ी और वे शमी के साथ खड़े हुए।
हमारे देश में कुछ तथाकथित स्वयम्भू देशभक्तों की टोली है जो अपने मापदंड के आधार पर देशप्रेम एवं देशद्रोह का फतवा जारी करते रहते हैं। यही नहीं वे देशद्रोह की मिसाइल छोड़कर किसी के खिलाफ जघन्य कार्रवाई भी कर बैठते हैं। आम लोग डर से कुछ नहीं बोलते। इस प्रक्रिया में हम ऐसे समाज को बढ़ावा दे रहे हैं जो अपराध की प्रवृत्ति में लिप्त रहता है। किसी की लिंचिंग एवं किसी साधारण आदमी को नंगा कर घुमाना एवं उस पर हिंसक आक्रमण की प्रवृत्ति देखी जाती है। प्रशासन भी इस तरह के अपराधियों को परोक्ष समर्थन देता है। इसी का नतीजा है कि संगीन अपराध करने के बाद कुछ लोग जेल गये और वहां से रिहा होने के पश्चात् माला पहनाकर अपराधियों का स्वागत होता है। खेल, खेल है उसे दिमाग एवं दिल के खुलेपन से खेला जाना चाहिये। खेल में भारत के पिछड़ेपन की जड़ में भी यह वहशीपना है जिसे हम कभी-कभी देशप्रेम या देशभक्ति की संज्ञा देने की भूल कर बैठते हैं।
खेल, खिलाड़ी और खेल प्रेमियों को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। किसी भी खेल में हार और जीत तो लगी रहती है। यदि इन्हें हम तथाकथित विवादों से घेर देते हैं तब भय,आक्रोश कुंठा के कारण खेल, खिलाड़ी और खेल प्रेमी सभी आहत होंगे जिसका दुष्परिणाम वर्तमान,भूत और भविष्य सभी भुगतने पड़ेंगे। विचारणीय आलेख 👌👌
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