क्या केरल की ये बालाएं राजनीति की मैली गंगा साफ करेंगी?
भारत में राजनीति के अधोपतन की चर्चा हम अक्सर करते हैं। चौपाल हो या काफी हाऊस, कॉलेज का परिसर हो या सामाजिक अनुष्ठान राजनीति और राजनीति से जुड़े लोगों की जमकर खिंचाई की जाती है। हर बुराई की जड़ भी हम राजनीतिक नेताओं को मानते हैं। भ्रष्टाचार आज की राजनीतिक व्यवस्था की ही ऊपज है यह बात तो हम ऐसे कहते हैं जैसे कोई ब्रह्मवाक्य हो।
निराशा और अराजकता के इस माहौल में लेकिन आशा की किरण भी देखने को मिली। अभी कुछ दिन पूर्व हमने समाचार पत्र में पढ़ा कि केरल की राजधानी तिरुवनंतपुर ा् की मेयर पद पर 21 वर्ष की एक मलयाली कन्या को चुना गया है। एक अभी-अभी हुई वयस्क बालिका को दक्षिण के एक जागरुक प्रान्त जहां लोग शत-प्रतिशत शिक्षित हैं, के महानगर के रखरखाव का शीर्ष दायित्व एक बच्ची के कंधों पर दिया गया है। केरल भारत के सुदूर दक्षिण में लाल मिर्ची की तरह ऊपर से नीचे फैला हुआ समुद्री तट का राज्य है। इस प्रान्त के असाधारण व्यक्तित्व के बारे में बड़ी रोमांचक जानकारियां हैं। केरल में शिशुओं की मृत्यु दर भारत के राज्यों में सबसे कम है और स्त्रियों की सं या पुरुषों से अधिक है (2001 की जनगणना के आधार पर)। ईसा की पहली शताब्दी तक केरल में ईसाई धर्म पहुंच गया था। ईसा मसीह ने सेंट थामस को यहां धर्म प्रचार हेतु भेजा था। लगभग इसी समय केरल का अरबवासियों के साथ समुद्र मार्ग से व्यापार चल रहा था। आठवीं ईस्वी से ही केरलवासी इस्लाम धर्म से परिचित हो गये। केरल में हिंदू, इस्लाम एवं ईसाई धर्मों की त्रिवेणी है। करेल में तीानों धर्म के पूजा स्थल एक-दूसरे से सटे हुए मिलेंगे और आज तक कोई विवाद नहीं हुआ।
केरल को भारत की राजनीतिक प्रयोगशाला कहा जा सकता है। पहली बार दुनिया में क युनिस्ट पार्टी चुनाव जीत कर केरल में सत्ता में आई। देश में मशीनी मतपेटी का प्रथम प्रयोग भी केरल में हुआ। राजनीतिक दलों में कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, जनता दल (एस), मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (एम), केरल कांग्रेस (जे) आदि प्रमुख हैं। ट्रेड यूनियों की सं या की भरमार है। 1973 में केरल में पंजीकृत ट्रेड यूनियनों की सं या 1680 थी जो 1996 में बढ़कर 10326 हो गयी। केरल में कुछ वर्ष पहले तक अंग्रेजी का कोई भी अखबार प्रकाशित नहीं होता था। वहां दैनिक मलयालम मनोरम की प्रसार सं या 15 लाख के करीब है।
भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् पहली गैर कांग्रेसी सरकार केरल में बनी जिसके मु यमंत्री ई एम एस न बूदरीपाद थे। न बूदरी पाद को मैंने अपने छात्र जीवन में कलकत्ता में अंग्रेजी में भाषण देते सुना था। वे बहुत हकलाकर बोलते थे लेकिन उनको सुनने के लिए दो घंटे लोग एकाग्र होकर बैठे रहते थे। बाद में केरल की इस चुनी हुई सरकार को अपदस्थ कर दिया जिसका श्रेय श्रीमती इन्दिरा गांधी को जाता है। वे कांग्रेस की उस वक्त अध्यक्ष थी। श्रीमती इंदिरा गांधी की असल राजनीतिक यात्रा केरल से इसी घटनाक्रम से शुरू हुई। मैं एक बार त्रिवेन्द्रम गया था प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की सात दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने। त्रिवेन्द्रम हवाई अड्डे पर बड़ी सं या में महिलाओं की उपस्थिति देखकर मुझे कौतूहल हुआ। पता लगा कि केरल से दुनिया के कई देशों में नर्सें भेजी जाती हैं। केरल की नर्स चिकित्सा सेवा में सबसे अग्रणी होती हैं।
केरल के बारे में इतना सब लिखने का कारण यह है कि भारत के इस सुदूर दक्षिणी प्रान्त की खूबियों के बारे में हमारी जानकारी बहुत कम है। मैंने ऊपर ही लिखा कि अभी-अभी केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम की मेयर इक्कीस वर्षीया एक लड़की को उसकी पार्टी ने मनोनीत किया है। अविश्वसनीय किन्तु सत्य यह लड़की केरल के सबसे बड़े शहर की देखभाल करेगी। लड़कियों के सशक्तिकरण का सिलसिला यहां से शुरू हुआ है। आर्या राजेन्द्रन एवं पंचायत की सबसे कम उम्र की अध्यक्षा रेशमा मरियम राय दोनों इक्कीस साल की हैं। इन दोनों के इस उम्र की दहलीज पार करने की प्रतीक्षा थी क्योंकि चुनाव लडऩे की उम्र 21 से ही शुरू होती है।
अमृता सी इत्तिवा ग्राम पंचायत (जिला कोलाम) की अध्यक्षा हैं। राजनीति इनका पेशा नहीं है। ये अच्छी गायक हैं। अपनी पार्टी सीपीएम के कई जलसों में गीतों के माध्यम से अपने अंचल में लोकप्रिय हो गयी। 23 वर्षीय अमृता संगीत की क्लास भी लेती हैं। परिवार के अर्थोपार्जन हेतु इसने क प्यूटर कोर्स किया। इसी तरह त्रिवेन्द्रम की नयी मेयर भी एक कुशल गायिका है। मृदुभाषी आर्या गणित में बीएससी हैं और सीपीएम के बाल संगठन बाला संगम की सक्रिय सदस्यता रही है।
अनास रोसना स्टेफी पोझुथाना ग्राम पंचायत की प्रमुख हैं। वायनाड जिले की इस पंचायत की अध्यक्षा स्टेफी की उम्र 23 वर्ष की है। जियोलॉजी में स्नातक हैं। भारतनाट्यम में और मंजना चाहती थी पर अब उनकी पार्टी ने इतना दायित्व दे दिया है कि कुछ नहीं कर सकती। अब राधिका माधवन (उम्र 23 वर्ष) की बात करें। मलामपुझा गांव की पंचायत की वे सभापति चुनी गयी है। यह पलाक्कड जिले में है। एमए की द्वितीय वर्ष की छात्रा एक कमरे के घर में रहती है अपने छोटे भाई और माता-पिता के साथ जो पेशे से मजदूर हैं। राधिका ने माना कि आर्थिक दुरावस्था के कारण वह नृत्य संगीत का शौक पूरा नहीं कर सकी। ओलवाना ग्राम पंचायत की अध्यक्षा सारुती भी 23 साल की है एवं स्कूल स्तर की हैंडबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं। फिर छात्र संगठन एसएफआई के जरिये वह राजनीति में आई। अभी कोरोना काल में कोविड केयर सेंटर कोझीकोड को पता लगा कि उनके मोहल्ले में राशन दुकानदार को कोरोना हो गया अत: खाद्य वितरण बंद हो गया है। इसी लड़की ने राशन बांटने का काम अपने हाथ में लिया।
प्रियंका प्रताप कदमबनद ग्राम पंचायत की मुखिया बनी हैं। त्रिवेन्द्रम विश्वविद्यालय कॉलेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। दस वर्ष से भरतनाट्यम नृत्य कार्यक्रम कर रही है। इसके अलावा मोना एक्टिंग एवं पब्लिक स्पीकिंग कोर्स भी कर रही हैं। प्रियंका छात्र राजनीति में भी सक्रिय हैं।
केरल की इस नयी फसल को सलाम- इनके जज्बे को सलाम और केल की बहुआयामी लोक संस्कृति का अभिनन्दन। अंधेरे में आशा की किरण और रसातल में बैठी भारतीय राजनीति की इस संजीवनी की रंगीन सुबह का स्वागत।

रहिमन देखिन बड़ेन को , लघु न दीजिये डारि ।
ReplyDeleteजहाँ काम आवे सुई , कहाँ करे तरवारि।।
अगर इस दोहे से परिचित हैं तो बालिका की उम्र और तजुर्बे में न जाएँ, जब ये महिलाएं अपने कार्य और व्यवहार से यहाँ तक पहुंची हैं तो आगे भी ऐसे ही अपना और देश का नाम रोशन करेंगी।