हरिमोहन बांगड़ ने
किक मारी
और जमाना देखता ही रह गया
फुटबॉल ऐसा खेल है जो दुनिया में सबसे अधिक खेला जाता है। दो सौ देशों में फुटबॉल टीम है और 300 करोड़ से अधिक लोग इसे देखते हैं। जब फुटबॉल का नाम आता है -बंगाल की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। कोलकाता की क्लब ईस्ट बंगाल, मोहन बगान, मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब, आर्यान्स आदि पूरे बंगाली समाज को अपने पहलू में बांधे रखती थी। इनमें जब भी कोई क्लब हारती तो उसके लाखों चाहने वालों के घर चुल्हा नहीं जलता था। ऐसी दिवानगी दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलती। पर धीरे-धीरे क्रिकेट के महापाश में बंगाली इतना जकड़ गया कि फुटबॉल से बेवफाई कर बैठा। तीन वर्ष पहले फीफा (अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ) का पहली बार टूर्नामेन्ट भारत में हुआ। तब आशा जगी कि फुटबॉल का भारत में पुनर्जागरण होगा। बंगाल में भले ही फुटबॉल का वह उन्माद अब नहीं रहा हो पर आज भी साल्टलेक स्टेडियम में दो टीमों की भिड़न्त को देखने भीड़ पर नियंत्रण करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कोलकाता मैदान में गोष्ठो पाल का बुत इसका जीता जागता उदाहरण है। क्रिकेट के किसी खिलाड़ी का बुत नहीं बना पर गोष्टो के बुत को देख बंगाली का सीना फूल जाता है।
परिकल्पना: सतीश राय
फीफा के अध्यक्ष ने एक बयान में कहा था कि भारत फुटबॉल में सोयी हुई शक्ति है। इस सोयी हुई शक्ति को जगाने में 2 सितम्बर 2020 का दिन स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा जब कोलकाता की प्राचीन ईस्ट बंगाल क्लब को अंतत: प्रायोजक के रूप में कोलकाता स्थित सुप्रसिद्ध बांगड़ घराने द्वारा संचालित ''श्री सीमेन्ट का साथ मिला। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस दिन सौ साल पुराने क्लब और श्री सीमेन्ट कंपनी के बीच संयुक्त उपक्रम की घोषणा की। इसके साथ ही ईस्ट बंगाल ने इस साल इंडियन सुपर लीग (आई एस एल) में खेलने की दावेदारी पेश की। राज्य सचिवालय में घोषणा करते हुए ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि श्री सीमेन्ट के आने से बंगाल आईएसएल में खेलने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आत्मनिर्भर हो गया है। मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण बात यह बोलीकि कोरोना महामारी के समय कोई भी पैसा खर्च करने को तैयार नहीं है लेकिन श्री सीमेन्ट आगे आया। दीदी ने स्वीकार किया कि इससे अलग स्तर की खुशी और संतुष्टि मिली है। यह हार के कगार पर जीतने की तरह है। आज सभी प्रशंसक खुश है कि ईस्ट बंगाल आईएसएल में खेलेगा।
ममता ने शायद पहली बार किसी निजी प्रतिष्ठान के अवदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। श्री सीमेन्ट के प्रबन्ध निदेशक श्री हरिमोहन बांगड़ जो अभी पूरे परिवार के साथ दुबई में हैं ने ''छपते छपते '' को फोन पर बताया कि ईस्ट बंगाल के प्रशंसकों को यह जान लेना चाहिए कि हम ईस्ट बंगाल का पुराना गौरव वापस लायेंगे। हमारा उद्देश्य क्लब के गौरवपूर्ण अतीत को लौटाना है। श्री बांगड़ ने कहा कि हमारी शीर्ष प्राथमिकता देश की नम्बर एक लीग इंडियन सुपर लीग में जगह बनाना है जिसका सांतवा सत्र गोवा में नवम्बर से मार्च तक खेला जायेगा। बांगड़ जी ने मुझे यह भी बताया कि पिछले दस वर्षों में बिगड़े हुए खेल को फिर से जचाने में कुछ वक्त तो लगेगा पर हमारा प्रयास होगा कि ईस्ट बंगाल को देश में फुटबॉल के पुनर्जागरण की संजीवनी बनाया जाय। हम अच्छे विदेशी हुनर वाले खिलाडिय़ों के साथ उत्कृष्ट प्रशिक्षकों को भी अनुबंधित करेंगे। पिछला एक साल ईस्ट बंगाल के लिये अच्छा गुजरा है, सुखद संयोग है कि यह इस क्लब का शताब्दी वर्ष है। हमारा लक्ष्य है कि हम अपने खिलाड़ी तैयार करें। एक वैज्ञानिक योजना बनाकर इस लक्ष्य की ओर प्रक्रिया शुरू की जायेगी, श्री बांगड़ ने बड़े आत्मविश्वास के साथ मुझे फोन पर यह बात कही।
श्री हरिमोहन बांगड़ को जो लोग जानते हैं, वे यह स्वीकार करेंगे कि 68 वर्षीय हरिमोहन जी की बात में कितना दम होता है। बांगड़ परिवार का वर्ष 1992 में डिवीजन जब हुआ हरिमोहन जी के पिता श्री वेणुगोपाल जी के हिस्से में आयी श्री सीमेन्ट के मात्र 2 प्लान्ट राजस्थान के बयावर में थे। उनके सुपुत्र युवा हरिमोहन जी ने अपनी सूझबूझ एवं पिताश्री के परामर्श से श्री सीमेन्ट के पौधे का पोषण किया। उस वक्त सीमेन्ट उद्योग की स्थिति कोई अच्छी नहीं थी। बाजी पलटने में महारथी हरिमोहन जी का यह भी सौभाग्य है कि अपने पिताश्री का सक्रिय मार्गदर्शन उन्हें मिला। और अब पुत्र प्रशान्त भी इस ''मार्च पास्टÓÓ में शामिल हो गये हैं। इसी का प्रतिफल है कि आज सिर्फ राजस्थान में श्री सीमेन्ट के 14 प्लान्ट हैं। राजस्थान की मिट्टी में सोना उपजाने के बाद छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अलावा कर्नाटक, उड़ीसा और महाराष्ट्र (पुना) में भी श्री सीमेन्ट ने एक-एक प्लांट के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज की है। दुबई के पास भी एक सीमेन्ट प्लान्ट के अधिग्रहण के साथ अब यह मल्टीनेशनल कार्पोरेट हाऊस बन गया है।
केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक एच. एम. बांगड़ एक उद्योगपति के रूप में अपनी दुनिया में कुछ अलग से हैं। वे ''सिम्पल लीविंग, हाई थिंकिंग'' यानि ''सादा जीवन उच्च विचार'' में विश्वास रखते हैं और इसकी पुष्टि वे लोग ही कर सकते हैं जो व्यक्तिगत रूप से इनको जानते हैं। न तो इन्हें लक्जरी गाडिय़ों का शौक है न ही महानगर में उच्च घरानों की पार्टियों में शामिल होने का। सत्ता के इर्द-गिर्द मंडराने की उन्होंने कभी आवश्यकता महसूस नहीं की। परम्परागत विचारों के प्रति निष्ठा रखते हुए कुछ अलग करने और लकीर से हटकर काम करने की उनकी शैली छिपी हुई नहीं है। अपने काम की समझ के लिये विषय की तह तक पैठला उनकी सफलता का राज है।
''एच. एम.'' (लोग प्यार एवं सम्मान से उन्हें कहते हैं) से मेरी दो दशकों की मुलाकात है। बहुत बारीकी से मैंने उनकी कार्य और जीवन शैली को ''ऑब्जर्व'' किया है। उनके व्यक्तित्व के बारे में एक लाईन में व्याख्या करने को मुझे कोई कहे तो मैं कहूंगा - हरिमोहन जी बहुत तेज दौड़ते हैं पर अपना स्थान कभी नहीं छोड़ते ( (HM runs very fast but does not leave his place)। और इसी आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि ईस्ट बंगाल को बंगाल का मुकुटमणि बनाने में उनकी वही कोशिश होगी जो श्री सीमेन्ट के पौधे को बरगद का पेड़ बनाने में रही है।

I like your thinking sir! Really I become astonished. Continue sir. Thank you so much for sharing your ideas with me. 😊😊☺☺
ReplyDeleteRegards,
Tapashi Bose
Thank you Sir
ReplyDeleteFor trying to take position in the Football World Cup.
Highly impressed by ur article respected Bishambharji nd leart about the success journey of respected HariMohan Bangurji. Wishing him a long nd prosperous life.
ReplyDelete