चेहरे ने लाखों को लूटा
फेसबुक के बारे में पाठकों को बताने की अब जरूरत नहीं है। यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। जैसा कि इसके नाम से विदित है यह हमारा-आपका और उन सबका चेहरा है जो हमारे इर्द-गिर्द हैं। जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ सबमें हम इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं यह हमारे व्यकिगत जीवन में भी ''बिग बॉस" की तरह झांकता है। हमारे सामाजिक जीवन का आइना बन गया है फेसबुक। लगता है स्मार्ट फोन का आविष्कार ही फेसबुक के जलवे को दिवाने-आम बनाने के लिए ही किया गया है। अब तो देश का पढ़ा-लिखा वर्ग का दिमाग और अनपढ़ लोगों का दिल फेसबुक पर ही धड़कता है। इसके निकाल लो तो हमारे पास हाड़-मांस के सिवा कुछ नहीं बचता है।
29 करोड़ से अधिक यूजर्स के साथ भारत फेसबुक का सबसे बड़ा बाजार है - जो दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है। पीएम मोदी के 4 करोड़ 50 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स के साथ फेसबुक पर दूसरे सबसे ज्यादा फॉलो किये जाने वाले नेता हैं।
क्या भारत में फेसबुक बीजेपी का मुखपत्र है?
क्या फेसबुक देश में बीजेपी समर्थक प्रोपगंडा चला रहा है?
क्या फेसबुक भाजपा के हितों को साधने के लिये मुस्लिम विरोधी मुहिम चला रहा है?
अमेरिका के एक प्रमुख पत्र दी वाल स्ट्रीट जर्नल में पहले पृष्ठ पर छपी एक रिपोर्ट के बाद इन सवालों ने भारत के सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है जिसके अनुसार फेसबुक इंडिया ने जान बूझकर बीजेपी नेताओं के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की ताकि सरकार को परेशानी न हो। लेकिन जो सवाल उठ रहे हैं वो ये कि क्या फेसबुक सही में बीजेपी नेताओं के लिए नियमों को ताक पर रख देता है?
यह बात स्पष्ट हो जाती है जब अन्य घटनाओं में इसी फेसबुक ने नफरत भरे भाषणों पर अलग तरह से काम किया।
दी वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में तीन विवादास्पद बीजेपी नेताओं - टी राजा सिंह, अनंत कुमार हेगड़े और कपिल मिश्रा के उदाहरणों का हवाला दिया गया है - सभी नफरत भरे भाषण देने के लिए जाने जाते हैं। फेसबुक के अपने कम्युनिटी गाईडलाईंस के अनुसार, इन नेताओं के पोस्ट तुरंत हटा दिये जाने चाहिए थे और उनके अकाउंट बंद कर देने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों?
आप यह भी जानना चाहेंगे कि दिशा निर्देश में क्या लिखा है। फेसबुक जातिसूचक बातों, राष्ट्रीय मूल पर टिप्पणी, धर्म, सेक्सुअल ओरिएंटेशन, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव, हिंसक या अमानवीय, अंधविश्वास, किसी को छोटा बताने, अलगाव वाले पोस्ट को ''हेट स्पीच" यानि घृणा उगलने वाला मानता है। जिन तीन नेताओं का जर्नल में जिक्र है उनके इतिहास को देखते हैं तो टी राजा सिंह खुले तौर पर मुस्लिम विरोधी भाषण देने और नफरत वाली बातों को पोस्ट करने के लिए बदनाम हैं। अनंत कुमार हेगड़े ने मुसलमानों पर कोविड-19 फैलाने का आरोप लगाया है। जर्नल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उनके भड़काऊ पोस्ट को पिछले हफ्ते हटाया गया। हालांकि टी राजा का कहना है कि उनका ऑफिसियल फेकबुक पेज ही नहीं है और अगर ''फैन क्लब" कुछ आपत्तिजनक पोस्ट करे तो वे इसके जिम्मेवार नहीं है।
लेकिन यह जान लीजिए कि फेसबुक ने दूसरे ''हेट स्पीच" अथवा गलत सूचनाओं के खिलाफ क्या किया है? फेसबुक ने गत जून में ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के शेयर किये गये वीडियो को हटा दिया जिसमें उन्होंने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर निराधार दावे किये थे। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कोविड-19 से बच्चों के ''लगभग सुरक्षित" होने के बारे में गलत जानकारी वाले एक पोस्ट भी हटा लिया था।
इससे यह सोचना स्वाभाविक है कि अगर राष्ट्रपति के कद के लोग हानिकारक या गलत पोस्ट के लिए फेसबुक की कार्रवाई का सामना कर सकते हैं तो फेसबुक इंडिया को बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से किस बात ने रोका?
भारत में मौजूदा बहस से संबंधित एक व्यक्ति जिसने खुद को इस राजनीतिक तूफान के सामने पाया है वो भारत, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए फेसबुक की पब्लिक पालिसी हेड अंखी दास है। अंखी दास ही तय करती हैं कि फेसबु में किस तरह का ''मसाला" भरा जायेगा। इन्हीं अंखी दास पर यह आरोप है कि उसने चुनाव संबंधी मुद्दों पर सत्तारुढ़ बीजेपी को फेवर किया। यही नहीं कोविड-19 और ''लव जिहाद" के प्रसार के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। फेसबुक व्यवसय की सुरक्षा कर रहा है और उसके लिये राजनीतिक झुकाव को सही ठहरा रहा है। फेसबुक ने इस साल रिलायंस जियो के साथ 5.7 बिलियन डॉलर का सौदा किया, जो उसका सबसे बड़ा विदेशी निवेश है। यह हम पहले ही बता चुके हैं कि भारत फेसबुक का सबसे बड़ा बाजार है जहां 29 करोड़ लोग इसके यूजर्स हैं। इन आंकड़ों के मद्देनजर यह स्पष्ट है कि बीजेपी के खिलाफ कथित कार्रवाई न करना व्यवसाय को सुरक्षित रखने के लिए राजनीतिक झुकाव जरूरी है।
फेसबुक पर दुनिया भर के कई देशों में गंभीर आरोप लग चुके हैं। अमेरिका में तो खुद सीईओ मार्क जकरबर्ग को सीनेट से माफी मांगनी पड़ी थी। अब फेसबुक पर भारत में गंभीर आरोप लग रहे हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे फेसबुक इंडिया ने कुछ खास लोगों के ''हेट स्पीच" को जान बूझकर नहीं हटाया। अब इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी की संसदीय समिति ने फेसबुक को समन किया है, जिसमें फेसबुक के प्रतिनिधि को बुलाया गया है। संसदीय समिति के चेयरमैन कांग्रेस के नेता शशि थरूर हैं। अब फेसबुक और मंत्रालय को समन जारी होने के बाद बीजेपी नेताओं ने शशि थरूर को हटाने की मांग शुरू कर दी है। उनका आरोप है कि थरूर इसका दुरुपयोग कर भाजपा को निशाना बना रहे हैं।
फेसबुक पर भड़काऊ भाषओं की ही उपज है दिल्ली में दंगा जिसमें 53 लोगों की जान गयी। बेंगलुरू में भी इसी उत्तेजना ने बड़ा नुकसान किया। इसलिये फेसबुक को मर्यादित करना बहुत जरूरी है। संसदीय समिति में सभी पार्टियों के लोग हैं, वे सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकें। वर्ना चीन की तरह भारत में भी फेसबुक की ''नो इन्ट्री" हो सकती है।



सही बात है बीजेपी के नेताओं पर भी कार्यवाही होनी चाहिए आखिर गलत तो गलत होता है
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