गरीब बच्चों को श्रावण मास में दूध पिलायें
भगवान शिव आपके सभी मनोरथ पूरा करेंगे
सावन (श्रावण) माह भगवान शिव को अति प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि अगर मनचाहा फल प्राप्त करना है तो सावन मास में शिवजी का अभिषेक करें। भगवान शिव को पूजन में जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, ईत्र, चंदन, केसर, भांग इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। शिवपुराण में बताया गया है कि इन चीजों से शिवलिंग को अभिषेक स्नान कराने पर सभी इच्छाएं पूरी होती है। लेकिन मुख्यत: शिवलिंग पर गंगाजल की वर्षा की जाती है। कांवडिय़ा बन्धु लाखों की संख्या में गंगा से पानी लाकर शिव मन्दिर में शिवलिंग को जल चढ़ाते हैं। बैद्यनाथ धाम देवघर में जिसे बाबा की नगरी कहा जाता है, भक्तगण कांवड़ लेकर उसके दोनों छोर पर मटके में गंगाजल से मीलों पैदल चलकर बाबा को जल चढ़ाने आते हैं। इसके अलावा शिव जी पर दूध चढ़ाने का भी प्रचलन है। मन्दिरों में शिव भक्त शिवलिंग पर मनो मन दूध चढ़ाते हैं। वे इसे श्रेष्ठ पुण्य कार्य मानते हैं अत: मंदिरों में कलश या बाल्टी भर कर भगवान शिव पर दुग्ध विसर्जित किया जाता है।
लगभग तीस वर्ष पहले मैं होटल एसोसियेशन ऑफ नेपाल (HAN) के आमंत्रण पर काठमांडू गया। हिमालियन हॉलीडेज के प्रभारी श्री कुंजबिहारी सिंघानिया ने इसका संयोजन किया था। कई पारिवारिक मित्रों ने मेरी इस यात्रा का लाभ लेते हुए मुझे वहां के सुप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मन्दिर में उनकी ओर से दूध चढ़ाने का आग्रह किया। किसी ने 10 किलो तो किसी ने 20 किलो तो किसी ने सौ रुपये का या किसी ने पांच सौ रुपये का दूध चढ़ाने की फरमाइश की। परिजनों का यह निवेदन था पर आप सहमत होंगे यह आदेश होता है, जिसे पूरा करना हमारा सामाजिक फर्ज है। खैर, मैंने उन सबकी मनसा पूरी की। सुबह-सुबह जाकर भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन किये। फिर फरमाईश के अनुसार एक दूधवाला जो मन्दिर में ही उपलब्ध था, से लेकर भगवान शिव पर दूध चढ़ाने का उपक्रम भी पूरा किया। अपनी तरफ से भी और परिजनों की ओर से भी। ऐसा महसूस हुआ कि बड़ा पुण्य का काम हुआ। दूसरों का उपकार कर बड़ा संतोष मिला।
मन्दिर के बाहर आया तो कुछ गरीब बच्चे अद्र्धनग्न, कुछ पूर्ण नग्न अवस्था में वहां चहलकदमी करते दिखे। मुझे देख उन बच्चों ने घेर लिया। उस वक्त मेरा मन बड़ा द्रवित हुआ और कुछ देर पहले शिवजी पर कई बाल्टी दूध चढ़ाकर मैं अपने किये हुए पुण्य कार्य पर इतरा रहा था, लेकिन इन निहायत गरीब बच्चों को देखकर लगा कि मैंने बड़ी गलती की और मुझे प्रायश्चित हुआ कि भगवान को बड़ी मात्रा में दूध चढ़ाकर मैंने पुण्य नहीं पाप किया है। दूध पर इन बच्चों का पहला हक होता है। फिर चढ़ाया हुआ दूध बहकर पास की एक गन्दी नाली में चला गया। इन बच्चों के सामने मैं एक अपराधी के रूप में खड़ा था। बड़ी आत्मग्लानि महसूस हुई।
हम ईश्वर को खुश करने दूध का स्नान करवाते हैं और उसे अभिषेक की संज्ञा देते हैं। क्या भगवान हमें इस बात के लिये क्षमा करेंगे कि बच्चों के मुंह से दूध छीन कर हमने अंततोगत्वा नाली में बहा दिया। हमारे देश में भी ऐसे करोड़ों बच्चे होंगे जिन्हें नहीं पता कि दूध का रंग सफेद होता है या काला। पोषण का न्यूनतम आधार तत्व दूध जब उन्हें नसीब नहीं होता तो वे मर-मर के जीते हैं। दूसरी तरफ हम कथित पुण्य के नाम पर दूध का शिवलिंग पर विसर्जन कर देते हैं। ऐसा कर हम अपने आराध्य का सम्मान कर रहे हैं या उनका उपहास करते हैं? इस अपराधी मन से मैं काठमांडू से कलकत्ता लौटा। फिर कई सभाओं में मैंने श्रावण मास में दूध चढ़ाकर पुण्य प्राप्त करने की अपराधिक प्रवृत्ति का जिक्र किया। कई बुजुर्ग पुरुष व महिलाओं का मुझे कोपभाजन बनना पड़ा, पर कुछ युवक-युवतियों ने मेरी सोच का समर्थन किया, हालांकि उनकी संख्या कम थी।
कल यानि सोमवार से श्रावण महीने का आरम्भ हो रहा है। पहली बार अद्भुत संयोग है कि सावन माह 14,15 या फिर 16 को नहीं 6 जुलाई को शुरू होने जा रहा है। यह पहला अवसर है जब सावन माह की शुरुआत जुलाई माह के प्रथम सप्ताह से होगी। इससे पूर्व 14 से लेकर 16 जुलाई के बीच में संक्रांति के साथ ही सावन माह का आगाज होता है। भगवान शिव को अतिप्रिय इस पवित्र माह के बीच इस बार कई अद्भुत संयोग भी बनने जा रहे हैं। इसमें सावन का महीना सोमवार से शुरू होकर सोमवार को संपन्न होने के साथ-साथ इस माह के बीच कई प्रसिद्ध धार्मिक त्योहार भी मनाये जायेंगे। यही कारण है कि शिव भक्तों में इस पावन माह को लेकर भारी उत्साह है। किन्तु श्रावण मास में कांवड़ लेकर जाने का मेला कोरोना के कारण नहीं होगा। शिवजी पर जल चढ़ाने या दूध चढ़ाने का क्रम भी सम्भव नहीं है। किन्तु शिव भक्तों को पुण्य प्राप्त करने से कौन रोक सकता है। श्रावण मास में सेवा का व्रत जारी रहना चाहिये। विपरीत परिस्थिति नये अवसर को जन्म देती है। भगवान शिव पर चढऩे वाला दूध गरीब बच्चों में बांटिये। इसलिये मेरा यह मानना है कि इस बार श्रावण के पूरे मास भगवान शिव के अमृत-प्रसाद के रूप में गरीब बच्चों में दूध का वितरण करें। मेरा विश्वास है, भगवान आपकी मनोकामना पूरी करेगा। गरीब बच्चों को दूध का पौष्टिक आधार मिलेगा। बड़ा होकर वह आपके उपकार को भूलेगा नहीं। एक स्वस्थ नागरिक तैयार होगा। एक नयी परिपाटी शुरू होगी। वास्तव में धर्म की स्थापना होगी। दूसरी तरफ दूध को गन्दी नाली में बहने से आप रोक लेंगे।
इस बार महानगर की सुप्रसिद्ध सेवा संस्था भारत रिलीफ सोसाइटी भी यही कार्य कर रही है। कोलकाता, हावड़ा, तारकेश्वर, बैद्यनाथ धाम सभी शिवालयों के आसपास गरीब बच्चों में दूध का वितरण एक अच्छी शुरुआत है। हो सकता है अगले साल से भगवान शिव की हम इसी रूप में पूजा करें।


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