कैरियर की दुनिया में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है
सोनू सूद फिल्मी एक्टर से बना
प्रवासी श्रमिकों का मसीहा
रुपहले पर्दे पर हम जिन्हें देखते हैं उनके वास्तविक जीवन के बारे में अंदाज नहीं लगा सकते। फिल्म में हीरो किसी को बचाने के लिये चार-चार लोगों को एक मुक्के में धराशायी कर देता है। वह आसमान से चांद भी ला सकता है और सितारों से अपनी हिरोइन की मांग भी भर सकता है। पर्दे पर वह अत्यन्त शरीफ होता है, ऊर्जावान, दयावान, धर्मात्मा, हर दिल अजीज। पर अपनी निजी जिन्दगी में अधिकांश फिल्मी हस्तियां पैसा कमाने के लिये क्या कुछ नहीं करते। पैसा कमाकर वे अय्यासी में शराब के ''स्विमिंग पूल में नहाकर जीवन के आनन्द को भोगते हैं और बदकिस्मती से फिल्मी दुनिया में पिट गये तो शराब पी कर गम गलत भी करते हैं। लेकिन हम यह मान लें कि सभी फिल्मी सितारे ड्रीम लैंड यानि स्वप्न लोक में विचरण करते हैं तो यह भारी भूल होगी।
फिल्म जगत में कुछ अपवाद हैं जिन्होंने गरीबों की मदद करने को अपने जीवन का मिशन बनाया। फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में ऐसे भी विरले लोग हैं जो प्यासा कुएं तक नहीं, कुआं प्यासे तक पहुंचने की उल्टी गंगा बहाकर आज लोगों की जुबान पर है। ऐसा ही एक शिल्पी हैं सोनू सूद। वैसे सोनू कोई सुपर स्टार नहीं है तो उसकी फिल्मी ख्याति से लोग अनभिज्ञ भी नहीं है। उनकी जिन्दादिली और मजदूरों के लिए उनकी पहल से इन दिनों वे सुर्खियों में हैं।
बालीवुड एक्टर सोनू सूद कोरोना संक्रमण के फलस्वरूप हुये लॉकडाऊन के दौरान मजदूरों के लिए मसीहा बनकर उभरे। हर रोज हजारों प्रवासी श्रमिकों को अपने पैसों से उनके घर पहुंचाने का काम किया। इसे लेकर सोशल मीडिया पर उनकी खूब वाहवाही भी हो रही है। कहीं वे फल बेचने वाले बूढ़े की मदद करते नजर आ रहे हैं तो कहीं किसी भिखारी को उसकी जेब में नोटों का बंडल डालकर उसे घर जाने की सलाह दे रहे हैं। एक पुस्तक विक्रेता की सारी किताबें उन्होंने खरीद ली और दो गुने पैसा देकर उसे कहते नजर आये कि यह आपकी उम्र मेहनत करने की नहीं है।
सोनू सूद ने एक साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने मजदूरों को घर भेजने का फैसला आखिर कैसे लिया और फिर कैसे इसका इन्तजाम किया। उन्होंने कहा- मुझे मजदूरों के एक्सीडेंट्स से दुख हुआ था। मैंने जब सुना कि इस जगह इतने मजदूरों की मौत हो गई। तब मैंने अपनी दोस्त से बात करके उनकी हेल्प करने की कोशिश की। अलग-अलग राज्य की सरकारों से परमिशन ली और फिर लोगों को उनके घर भेजा। सोनू ने आगे कहा- मैंने पुलिस से बात की और वो भी मदद करना चाहते हैं।
सोनू सूद ने ये भी बताया कि वो नहीं चाहते थे कि मजदूरों के बच्चे बुरी यादें लेकर बड़े हों। वो बोले- मुझे पता था कि ये वो लोग हैं जिनका कोई हाथ नहीं थाम रहा। इन मजदूरों का सबसे विश्वास उठ चुका था। मैं नहीं चाहता था कि उनके छोटे-छोटे बच्चे अपने मां बाप को मुश्किलों से गुजरते हुए याद रखें। मैंने जिन लोगों की मदद की मैंने उनको जनता भी नहीं था, बस चाहता था कि वो अपने घर पहुंचे। इसमें पुलिस ने भी मेरी हेल्प की। सोनू सूद ने बातचीत में बताया कि अब वो जल्द ही अपना टोल फ्री नंबर लाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा- मुझे इतने सारे मेल और मेसेज आ रहे हैं कि समझ नहीं आ रहा कैसे जवाब दूं।
पब्लिसिटी स्टंट : सोशल मीडिया पर बहुत से लोग सोनू के इस नेक आम को पब्लिसिटी स्टंट बता रहे हैं। इस बात का जवाब देते हुए सोनू ने कहा- मैंने अपने काम की जगह पर एक भी मीडिया के आदमी को नहीं आने दिया। मैंने 1000 लोग भेज दिए लेकिन मीडिया का एक भी बंदा नहीं अपने पास नहीं पहुंचने दिया।
सोनू सूद ने बताया कि वे अपनी दोस्त नीति गोयल के साथ मिलकर मजदूरों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने नीति के साथ मिलकर 10-12 लोगों की टीम बनाई है जो मजदूरों के नाम फाइल करते हैं। जिससे उनकी मदद की जा सके। सोनू इस समय दिन के 20-22 घंटों तक काम कर रहे हैं। वो सुबह 6 बजे लोगों को बसों में बैठकर खाना देकर उनके घर रवाना कर देते हैं। सोनू ने कहा- मजदूरों का फाइलिंग का प्रोसेस बहुत लंबा है। जब तक प्रोसेस पूरा होता है तब तक मजदूर पैदल ही घर को निकल जाता है। उन्होंने आगे कहा- इन मजदूरों को फॉर्म भरने पड़ते हैं, जो उन्हें नहीं आते। तो हम उनके लिए फॉर्म भरते हैं। ऐसे में मैं बस यही कहना चाहता हूं कि इस प्रोसेस को थोड़ा छोटा कर दिया जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी। मजदूर तो घर जाएंगे ही चाहे पैदल जाएं या फिर हमारी बस में लेकिन प्रोसेस छोटा हो जाए तो आसानी हो जाएगी।
मजदूरों के मसीहा बनते ही सोनू सूद से लोगों की अपेक्षायें इतनी बढ़ गयी कि किसी समस्या के लिए लोग इस युवक से मदद मांग रहे हैं। हाल ही में एक लड़के ने सोनू से अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भागने की मदद मांगी। उसको भी लेकिन सोनू ने निराश नहीं किया। सूद ने जवाब दिया कि उनके पास एक बेहतर आइडिया है। क्यूं न आप दोनों के साथ आपके परिवार को भी भेज दूं। चट मंगनी पट ब्याह।
प्रवासी मजदूरों के बाद भारत की सीमा पर मौजूद चीनी सेना को उनके घर वापस भेजने के मामले में भी सोनू ने अपना मुंह नहीं फेरा। दरअसल एक शख्स ने एक्टर से जब सीमा पर मौजूद चीनी सेना को वापस भेजने की गुहार लगायी, तो सोनू ने भी इसका बखूबी जवाब दिया। उस शख्स ने ट्विट पर कहा, मेरा खायल सोनू सूद को लद्दाख भेज दो, चाइनीजों को उनके घर वापस सुरक्षित भेजने के लिए। एक्टर ने उस पर जवाबी ट्विट किया, आप चाइनीज लोगों की लिस्ट भेज दो।
सोनू का जन्म लुधियाना में हुआ है। उनके पिता मामूली कारोबारी थे और मां टीचर। किसी का बैकग्राउंड फिल्मी से नहीं रहा पर उन्होंने फिल्मों को ही अपना करियर बनाया और उसमें वे सफल भी हुए। सोनू की पत्नी सोनाली है जिनसे उनका एक बेटा भी है ''इशांत। सोनू सूद ने फिल्म जीवन की शुरुआत शहीद-ए-आजम से की थी जिसमें उन्होंने भगत सिंह का किरदार निभाया था। इसके बाद उन्होंने कई छोटी-बड़ी फिल्मों और अन्य भाषाओं - तमिल, तेलगू में भी काम किया। हिन्दी में तो उनकी कई फिल्में हैं जैसे - चंद्रमुखी, आशिक बनाया आपने, जोधा अकबर, सिंह इज किंग, बुड्ढा होगा तेरा बाप, हैप्पी न्यू ईयर आदि-आदि।
फिल्मी कैरियर के बीच गरीबों का मसीहा बनने का शायद कोई दूसरा ऐसा उदाहरण नहीं है।

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