प्यासे को पानी पिलाया नहीं...
बाद अमृत पिलाने का क्या फायदा?
किसी वस्तु की जब हमें नितान्त आवश्यकता होती है, उस वक्त वह उपलब्ध न हो तो बाद में लिकर भी उसका महत्व नहीं होता। जीवन में आप सबने ऐसा अनुभव किया होगा। आज पूरे विश्व में एवं उसी तरह हमारे देश में भी स्वास्थ्य सेवाओं की जीवन रक्षा हेतु अभूतपूर्व जरूरत है। कोरोना संक्रमण का सब जगह उपचार सम्भव नहीं है, सरकार ने भी उसके लिये अलग अस्पताल बनाये हैं जहां उनका उपचार का प्रयास किया जाता है। किन्तु कोरोना के चलते बाकी बीमारियां थम नहीं गयी हैं। वे अपना चक्र यथावत् चला रही हैं। कुछ देर के लिये हम कोविड-19 को एक बार अलग भी कर दें ते शरीर की अनेक व्याधियां हैं जो किस समय काल बनकर हमारे सामने खड़ी हो जायेंगी कोई नहीं जानता। हर्ट अटैक, कैंसर, डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियां ही नहीं अन्य रोगों का प्रकोप भी बरकरार है। हमने कोरोना की तो बहुत बात कर ली - उसकी समालोचनाएं एवं समीक्षा दिन रात हो रही हैं किन्तु आज कोई आकस्मिक घटना होने पर आम आदमी कहां जाये। दुर्भाग्य से स्थिति यह है कि कई अस्पतालों में रोगियों को बेआबरू होकर वापस कर दिया जाता है। पिछले एक महीने में कई बीमार आदमियों को इसलिए अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि समय पर अस्पतालों में भर्ती नहीं ली गयी।
''चैरिटी बिगिन्स एट होमÓÓ के परिपेक्ष में मैं मारवाड़ी समाज की ही बात करूं। इस समाज ने धर्म के बाद सबसे अधिक दान चिकित्सा एवं शिक्षा के लिए दिया है। मारवाड़ी समाज की कर्मभूमि रही वृहत्तर बड़ाबाजार में समाज के द्वारा स्थापित कई अस्पताल बंद होकर इतिहास के पन्नों में सिमट चुके हैं। हावड़ा में हनुमान अस्पताल पांच दशक पहले ही बंद हो गया था। हरिसन रोड का हरलालका अस्पताल अब दुकानों एवं गोदाम में तब्दील हो गया है। स्ट्रैंड रोड का मेयो अस्पताल को बंद हुए जमाना गुजर गया। पोस्ता का भिवानीवाला अस्पताल आठ-दस वर्ष पहले बंद हो गया था। इनके बदले अभी तक कोई नया अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्र नहीं खुला है जबकि बड़ाबाजार की आबादी पचास वर्षों में दस गुनी हो गयी है और यहां के लोगों की आमदनी सहस्त्र गुना बढ़ी है।
वर्तमान में जब कोरोना का संक्रमण अपने पूरे चरम पर है चिकित्सा सेवाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है। ऐसी स्थिति पहले कभी न हुई न शायद भविष्य में हो। आज मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी पिछले तीन हफ्तों से बंद है। यही स्थिति अम्हस्र्ट स्थित श्री विशुद्धानन्द मारवाड़ी अस्पताल की है जो कई वर्षों बन्द रहने के बाद पिछले कुछ सालों से सुचारू रूप से चल रहा था, वहां भी अब रोगियों की भर्ती बन्द है। वृहत्तर बड़ाबाजार का पुराना मेटरनिटी होम लोहिया मातृ सेवा सदन की भव्य इमारत खड़ी है पर अस्पताल अंतिम सांस ले रहा है। हावड़ा के प्रसिद्ध जैन हॉस्पिटल में दो कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को दो हफ्ते के लिए बंद करने की नोटिस दे दी। किन्तु अस्पताल के सेक्रेटरी श्री प्रदीप कुमार पटवा की त्वरित चेष्टा के बाद एवं हावड़ा के विधायक और राज्य के मंत्री श्री अरुप राय के हस्तक्षेप से अस्पताल को चालू रखने की अनुमति मिल गयी। इससे क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली।
जिन्हें मारवाड़ी समाज पर नाज है, वे ही बतायें कि इस स्थिति के लिए उत्तरदायी कौन हैं? अस्पतालों में रोगी भर्ती बंद होने के अपने कारण हो सकते हैं, समस्यायें हो सकती हैं पर क्या इसका इलाज रोगियों की भर्ती पर विराम लगाना है? देश भर में मीडिया कर्मी भी काफी दबाव में काम कर रहे हैं। विभिन्न अस्पतालों में डॉक्टरों की सेवा पर तो जनता जनार्दन ने थालियां बचायी थी, फूल बरसाये थे, उनकी देवतुल्य सेवाओं को शंख ध्वनि कर गुंजायमान किया गया था, पुलिस भी विपरीत परिस्थिति में काम कर रही है, फिर इन अस्पतालों की समस्यायें भी क्या इतनी लाइलाज है कि उन्हें ऐसे समय बंद किया गया जब इनकी आवश्यकता प्राणवायु की तरह है। मैंने मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी के महामंत्री गोविन्द राम जी अग्रवाल से बात की। गोविन्दरामजी प्रतिदिन सात-आठ घंटे का समय सोसाइटी को देते हैं, जीवनदानी व्यक्ति हैं। अभी सोसाइटी उनकी सेवाओं से वंचित है। उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि वे एक-दो दिन में ही अस्पताल में मरीजों (कोरोना के अलावा) की भर्ती शुरू कर देंगे।
मुझे महाभारत का एक प्रसंग याद आ गया जिसका उल्लेख करना इस संदर्भ में सापेक्ष है। जब श्री कृष्ण महाभारत युद्ध के पश्चात् लौटे तो रोष में भरी रुक्मिणी जी ने उनसे पूछा कि द्रोणाचार्य, भीष्म पितामाह जैसे धर्मपरायण लोगों का वध आपने किया क्योंकि दुशासन द्वारा द्रोपदी चीरहरण के समय इन धर्माचार्यों के मौन रहने से इस एक पाप से बाकी उनकी धर्मनिष्ठा छोटी पड़ गई थी, पर आपने कर्ण वध क्यों करवाया? वह तो दानवीर था, उसके द्वार से कोई खाली हाथ नहीं गया, उसकी क्या गलती थी? श्रीकृष्ण ने कहा, जब अभिमन्यु सभी युद्धवीरों को धूल चटाने के बाद युद्ध क्षेत्र में आहत हुआ भूमि पर पड़ा था तो उसने कर्ण से, जो उसके पास खड़ा था, पानी मांगा, कर्ण जहां खड़ा था उसके पास पानी का एक गड्डा था किन्तु कर्ण ने मरते हुए अभिमन्यु को पानी नहीं दिया...!!! इसलिये उसका जीवन भर दानवीरता से कमाया हुआ पुण्य नष्ट हो गया।
इसलिये दुर्दिन एवं आपातकाल में ही सेवा की सबसे अधिक जरूरत होती है और उस वक्त अगर आपका दरवाजा बंद है तो फिर सारी सेवाओं एवं त्याग पर पानी फिर सकता है।
कोलकाता के एक मशहूर शायर 'नूर की दो पंक्तियों की कविता (शेर) पर गौर फरमाइयेगा-
इक आग सी लगी है, इधर जिस्मोजान में
पानी भटक रहा है, कहीं आसमान में।

बहुत यथार्थ समाज का चित्रण इसके बाद भी सरकार की आंख नहीं खुलेगी तो इस सरकार का समाज के प्रति उदासीन व्यवहार ही माना जाएगा
ReplyDeleteआज की समस्या का बहुत यथार्थ चित्रण अगर इन अस्पतालों की सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया जाए तो शायद मरीजों को सेवा अच्छे से सही समय पर मिल।जाएगी
ReplyDeleteजितेन्द्र धीर
ReplyDeleteआपने एक बहुत ही जरूरी मुद्दे को उठाया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मारवाड़ी समाज की एक बड़ी भूमिका चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल में रही है। जैसा आपने उल्लिखित किया है, मारवाड़ी समाज द्वारा बनाए गए अस्पताल आज अच्छी स्थिति में नहीं हैं। इस कोरोना काल में कोरोनावायरस के अलावा भी अन्य प्रकार की बिमारियों से भी लोग ग्रस्त हैं जिनके उपचार की व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा है।इस ओर आपने ध्यान दिलाया है,जो आज की
जरूरत है। इसके लिए आपको धन्यवाद। मारवाड़ी समाज द्वारा बनाए गए अन्य अस्पतालों की दशा यदि सुधर जाए और वह इस संकटकाल में रोगियों को उपचार की सुविधा उपलब्ध करा सके तो यह सबसे बड़ी मानव सेवा होगी जो किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से बढ़ कर है।
समय पर की जाने वाली सहायता का ही मूल्य है। अन्यथा सब बेकार। आपके विचारों से सहमत हूं।
Beautiful article which tells us that we should always be available at the time of emergency.It also tells us that we should not repeat the same mistake which was done in the past(Mahabharata) I will wait for your next article.
ReplyDeleteRegards,
Tapashi Bose
Very good thinking! The whole article was based on true facts of today! All the things were perfect. Very nice😄article. I liked this article! I will be waiting for your next article
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