झरोखे से कोरोना तालाबन्दी के 12 दिन

झरोखे से
कोरोना तालाबन्दी 
के 12 दिन

कोरोना वायरस से जीवन रक्षा कवच के रूप में पूर्ण तालाबन्दी का आज 13वां दिन है। देश में दो तरह के लोग हैं - एक वो जो घर पर बैठकर तालाबन्दी की घुटन को झेल रहे हैं तो एक बड़ा वर्ग वह भी है जो घर जाने की छपटाहट से व्याकुल है। बहरहाल दोनों की अपनी-अपनी समस्या है। हमें उम्मीद है कि 14 अप्रैल तक हम जैसे-तैसे इस बन्दी की मजबूरी को झेल लेंगे। इस आशा से कुछ ने 15 अप्रैल के बाद की योजना बनानी शुरू कर दी है। ट्रेनों से रिजर्वेशन कराने का सिलसिला शरू हो गया है और 15 अप्रैल के बाद कई दिनों तक ट्रेन में आरक्षण नहीं मिल रहा है, प्रतीक्षा सूची भी लम्बी हो रही है। यही हालत हवाई यात्रा की है। लेकिन प्रश्न है क्या 15 अप्रैल से आवाजाही शुरू हो जायेगी? इसमें संदेह हमें इसलिये है क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में कहना मुश्किल है कि 14 अप्रैल के बाद स्थिति कब तक जाकर सामान्य होगी। कुछ लोगों को भरोसा है कि घोषित तालाबन्दी में कुछ राहत या ढील देनी शुरू की जायेगी। लेकिन उस ढील से कहीं 21 दिन की हमारी तपस्या बेकार नहीं हो जाये। खोली गयी राशन की दुकानों में लम्बी कतार है। कतार में खड़े लोगों के बीच एक मीटर की दूरी भी नजर नहीं आती है। बहरहाल अटकलबाजी का बाजार गर्म है।




इसी बीच सोशल मीडिया लेकिन अपना रंग दिखा रहा है। दिल्ली के निजामुद्दीन में जो घटना हुई उसकी आड़ में तरह-तरह के तथ्यहीन और भड़काऊ संदेश भेजे जा रहे हैं ताकि इस घटना को आधार बनाकर विषवमन किया जा सके। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जब कहा कि वे रविवार को देश के नाम वीडियो संदेश देंगे तो मैंने सोचा कि कोई गम्भीर बात और कम से कम यह अवश्य बतायेंगे कि 10 दिनों में तालाबान्दी से हमारा मकसद कहां तक कामयाब हुआ। कितनी तैयारी वायरस से लोगों को बचाने की हो गयी है। बहरहाल प्रधानमंत्री के संदेश के मुताबिक रविवार को रात 9 बजे घर में अंधेरा कर बाहर दिया जलायेंगे क्योंकि इस वक्त प्रधानमंत्री जो बोलता है उसमें देश की आत्मा होती है। दिये भी जलेंगे, आपके फरमान का पालन किया जायेगा पर हम तब भी अंधेरे में ही रहेंगे कि कोरोना के इस विश्वव्यापी कहर में हम कहां खड़े हैं? खैर अभी न राजनीति का समय है, न टिप्पणी करने का, अभी समय है कि हम अपने कमाण्डर के साथ खड़े हों।

टीवी पर महाभारत और रामायण एक साथ शुरू कर दिये गये हैं। कुछ और भी सीरियल अन्य भाषाओं में प्रसारित हो रहे हैं। महाभारत और रामायण की बहुत बड़ी टीआरपी है। लेकिन आज की पीढ़ी के युवा और  बच्चे सभी बड़ी दिलचस्पी के साथ देख रहे हैं। वे दोनों के प्रसंगों में घालमेल भी कर बैठते हैं। कौन सा प्रसंग रामायण में है और कौन सा महाभारत में - इसमें उन्हें भ्रम हो जाता है। खैर, परिवार में तीन पीढ़ी एक साथ देखती है। जो इनकी कथा से पूरी तरह वाकिफ हैं, वो आस्था के साथ, युवक बड़ी दिलचस्पी के साथ और बच्चे कथा का आनन्द लेते हैं। यह अलग बात है कि कुछ किशोर-किशोरियों की बातें सुनकर कहना पड़ता है - सारी रामायण खत्म हो गयी और पूछते हैं सीता किसका बाप? वे सिर्फ इतना समझते हैं कि कंस और रावण दोनों ''विलेनÓÓ हैं और राम-कृष्ण हीरो।

एक बुरी खबर यह भी आई है कि लॉकडाऊन के दौरान घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह बात राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने कही। उन्हें शिकायत मिली है कि जिसमें पति पत्नियों को गाली दे रहे हैं और उनको कोरोना वायरस बुला रहे हैं। पहले महिलाएं घर छोड़कर अपने माता-पिता के पास पहुंचती थीं लेकिन अब वह विकल्प भी बंद हो गया है। अभी तक महिलायें परम्परागत गालियां सुनने की अभ्यस्त थी पर अब उन्हें ''कोविड-19ÓÓ या ''कोरोना वायरसÓÓ कहा जाता है जो उनके बर्दाश्त के बाहर है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में 2 अप्रैल को छपी एक खबर के मुताबिक एक अवैध शारीरिक सम्बन्धों पर बनी ऐप का दावा है कि भारत में कोरोना वायरस लॉकडाऊन के दौरान उसके साथ जुडऩे वालों की संख्या में 70 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। 2017 में इस ऐप की भारत में शुरुआत हुई थी अब उसका दावा है कि उसके आठ लाख से अधिक यूजर्स बन गये हैं। संयोग है कि इटली में, जो कोरोना से भयंकर रूप से पीडि़त है, क्वारंटाईन (एकान्तवास) की घोषणा के बाद दो सप्ताह में तीन गुना यूजर्स हो चुके हैं। पड़ोस में पाकिस्तान में तो अश्लीलता की हदें पार.....कोरोना से लड़ रही महिला डॉक्टरों से सेक्स की डिमांड की जा रही है। कुछ पाकिस्तानी महिलाएं वापस उन्हें लताड़ लगा दिया करती हैं, लेकिन कइयों ने इनके चलते अपना काम बन्द कर दिया है। इसी तरह कोरोना पर काबू पाने के लिए कई देशों ने अजीबो-गरीब तरीके अपनाये हैं। पनामा में सरकार ने जेंडर के आधार पर क्वारेंटाइन की घोषणा कर दी। महिलाएं सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को दो घंटे लिए घर से निकल सकती हैं, रविवार को कोई घर से बाहर नहीं निकलेगा और शेष तीन दिन पुरुष घर से बाहर निकल सकते हैं।

एक रिसर्च में सामने आया है कि बढ़ते संक्रमण के डर से जल्द ही लोग हाथ मिलाने, गले मिलने का चलन बंद कर सकते हैं। इसका असर लोगों की भावनाओं पर पड़ेगा। लोगों में इमोशन खत्म हो सकते हैं। एक शायर ने बहुत पहले ही चेताया था जिसकी बानगी देखिये-

मुनासिब दूरियां रखिये, भले कैसा ही रिश्ता हो
बड़ी नजदीकियों में भी घुटन महसूस होती है।

Comments