कोरोना जंग में सब हैं नायक पर हैं कुछ खलनायक भी
चीन के वुहान शहर से उत्पन्न हुआ कोरोना वायरस दुनिया के 160 देशों में फैल चुका है। जो इससे प्रभावित हैं उनका खौफ तो स्वाभाविक है किन्तु देश के आम लोग परेशान हैं। जीवन थम सा गया है। कहीं सरकार ने लोगों के आवागमन पर अंकुश लगा दिया है और ज्यादातर स्थानों पर लोग आशंकित मन से अपने घरों में गृह-बन्दी बन गये हैं। स्कूल, कॉलेज, मार्केट, मॉल बंद कर दिये गये हैं या सुनसान है। कई रेलवे सेवा रद्द कर दी गयी है। यह हाल विमानों एवं विमान बन्दरगाहों का भी है। सड़कों पर गाडिय़ों की संख्या आधी से कम हो गयी है। कई बड़े मार्केट निर्जन से दिखाई देते हैं। कई शहरों में धारा 144 लगा दी गयी है ताकि किसी स्थान पर लोग इक_ा न हो। देश भर में कफ्र्यू सा लग गया। पहले कभी ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई थी। इस बीमारी या महामारी का अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं निकला है, हालांकि चिकित्सा वैज्ञानिक अपने प्रयास कर रहे हैं पर अभी तक कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। केन्द्र और राज्य सरकारें इस महामारी से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, इसका प्रमाण केवल यह नहीं है कि वे लगातार निर्देशिका जारी कर रहे हैं बल्कि यह भी है उन पर अमल के लिए तत्परता भी दिखा रही है। चूंकि हम एक बड़ी सघन आबादी वाले देश हैं, इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। जब स्वास्थ्य तंत्र को समर्थ बनाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हों, तब नागरिकों के तौर पर हम सबको अपनी जिम्मेदारी का परिचय देने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए। देश को उस तीसरे दौर में नहीं जाने देना है, जहां संक्रमण बेलगाम-सा हो जाता है। यदि करोना संक्रमण का सिलसिला बेकाबू हुआ तो यह संकट और गम्भीर हो सकता है तब लोगों को और अधिक पाबंदियों के साथ मुश्किलों का सामना करना होगा।
दुर्भाग्य और शर्म की बात है ऐसे वक्त भी लोग अपने कर्तव्य को ताक पर रख कर अपने स्वार्थ की पूर्ति की कोशिश कर रहे हैं। सेनीटाइजर की कमी हो गयी है, कई जगह नकली सेनीटाइजर बनाने के कारखाने पर पुलिस का छापा पड़ा है। यही नहीं आज जब तिरुपति जैसा देश का सबसे बड़ा मन्दिर सुरक्षा के ²ष्टि से दर्शनार्थियों के लिए बन्द कर दिये गये हैं किन्तु हमारे महानगर में शीतला पूजा के दिन मन्दिर खुले थे, इसलिए नहीं कि लोगों में आस्था है पर इसलिये कि दर्शनार्थियों से बड़ा चढ़ावा आता है। हावड़ा और कोलकाता के कई सौ मन्दिरों को खोल कर रखा गया ताकि मन्दिर के मठाधीशों की आमदनी मं कोई कोर कसर नहीं रहे। हालांकि ताड़केश्व के प्रसिद्ध मन्दिर को बंद कर दिया गया ताकि वहां लोगों को इक_ा होने की नौबत नहीं आये।
यह भी हास्यास्पद है कि कुछ गो भक्तों ने गो मूत्र को कोरोना का रामबाण इलाज घोषित कर दिया। गो मूत्र अगर कोरोना के संक्रमण को खत्म करने हेतु सक्षम है तो इंडियन मेडिकल एसोसियेशन या किसी सरकारी मान्यता प्राप्त लेबोरटरी में उसकी जांच कर प्रमाणित करवाना चाहिये था। पर कुछ ने अपनी अंधभक्ति के चलते गो भक्ति को बदनाम करने की कोशिश की। बंगाल के झाडग़्राम शहर के वार्ड नं. 4 के जामदा निवासी शिबू घोड़ाई ने गोमूत्र का सेवन कर लिया। इसके बाद तबियत खराब हो गयी और उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। शिबू उस प्रचार का शिकार हो गया जिसमें गो मूत्र को कोरोना से दूर रहने की अचूक दवा बताया गया था। शिबू अभी तक अस्पताल में है। एक दूसरे मामले में कोलकाता के जोड़ाबागान ट्रैफिक गार्ड के होमगार्ड पिन्टू प्रमाणिक को गोमूत्र पिलाने के आरोप में पुलिस ने भाजपा के नेता को गिरफ्तार कियाहै। आरोपी का नाम नारायण चटर्जी है। पिन्टू प्रमाणिक अपनी ड्यूटी कर रहा था। उसी दौरान उसके पास नारायण चटर्जी गये और गोमूत्र को चरणामृत बताते हुए उसे पीने को दिया। गोमूत्र पीते ही पिन्टू को अजीबोगरीब महसूस होने लगा। कुछ देर बाद उसकी तबियत खराब हो गयी। उसने भाजपा नेता के खिलाफ जोड़ाबागान थाने में शिकायत दर्ज करायी।
प. बंगाल राज्य सचिवालय में राज्य की संयुक्त गृह सचिव अपने विदेश से लौटे पुत्र के सम्पर्क में आने के बावजूद वह दो दिन राज्य सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में आई थी और कई लोग उनके संपर्क में आये थे जिनमें राज्य के गृह सचिव भी हैं। उनमें कोरोना वायरस में संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर उन्हें तुरंत आईसोलेशन में भेजने की तैयारी भी की है। शिक्षित और जिम्मेदार सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति की इस तरह की लापरवाही अक्षम्य है। यह भी बात समझ में नहीं आती कि वायरस के इनक्यूबेशन में रहने के कारम कोलकाता हवाई अड्डे पर थर्मल स्कैनिंग में युवक के संक्रमित होने का पता नहीं चल पाया था। डॉक्टर ने युवक को जांच कराने के लिए बेलियाघाटा आईडी अस्पताल भेजा था, लेकिन अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर वह नहीं गया।
इतने बड़े खतरे के बावजूद सोशल मीडिया पर आधारहीन और लोगों को खतरे में डालने वाले मैसेज वायरल हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री के अनुसार कोरोना विश्वयुद्ध से कम खतरा नहीं तो संसद का वर्तमान सत्र क्यों चल रहा है? सदन में ऐसा कोई महत्वपूर्ण या आपातकालीन मुद्दा नहीं है। सभी संसद सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में जाकर जनता के बीच इस दु:ख की घड़ी में खड़े हों, यह वक्त की जरूरत है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद भाजपा मुख्यालय में हजारों की संख्या में समर्थकों का इक_ा होना, सामान्य दिनों में स्वाभाविक था पर कोरोना महामारी के मद्देनजर भीड़ का इक_ा होने देना सरकार के अपने ही निर्देशों की धज्जियां उड़ाता है।
हमारी ग्लेमर इंडस्ट्री और कुछ राजनीतिक नेता ने तो लगता है सरकारी निर्देशों एवं संहिता से अपने को ऊपर समझ रखा है। बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर कोविड-19 संक्रमित थी। अपनी विदेश यात्रा से लौट कर एयरपोर्ट सुरक्षा को झांसा देकर बाहर आ गई और सीधे लखनऊ के एक वीआईपी डीनर में चली जाती है जहां उत्तर प्रदेश एवं देश के कई विशिष्टजन के बीच उन्होंने चहल कदमी की। पार्टी में वसुंधरा राजे पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान थी और उनके सांसद पुत्र दुष्यन्त सिंह भी। दुष्यंत सिंह संसद भवन भी गये। राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति के साथ ब्रेक फास्ट किया। एक अनार सौ बीमार की तरह कनिका के चलते कई लोग कोरोना संदेह के घेरे में है। राष्ट्रपति कोविन्द को भी मेडिकल चेकअप कराना होगा।
दूसरा ²श्य 20 मार्च की भोर तिहाड़ जेल के बाहर का है। अन्दर निर्भया के चार दोषियों को फांसी पर लटकाया जाना था। हजारों की संख्या में लोग इक_े हो गये। पहले दिन ही प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि लोग इक_े न हो, हिदायत दी थी कि भीड़ वाली जगह पर न जायें फिर पुलिस ने हारों लोगों को एक जगह इक_ा क्यों होने दिया? कथित राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत वहां लोग भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। इसे राष्ट्रप्रेम कहें या राष्ट्रवाद की विकृति?
इस तरह कोरोना के विरुद्ध जंग में आम आदमी एक सिपाही की भूमिका निभा रहा है वहीं मु_ी भर कथित बड़े लोग जिन्हें रोल मॉडल होना चाहिये वे इस युद्ध में खलनायक की भी भूमिका निभा रहे हैं।


बहुत गंभीरतापूर्वक लिखा गया संपादकीय। आपने वाजिब सवाल उठाए हैं, धन्यवाद और बधाई।
ReplyDeleteवैश्विक महामारी कोरोना की ज़द में दुनिया के 205 देशों में 188 देश आ चुके हैं। ताज़ा जानकारी के अनुसार अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
ReplyDeleteइस देश का आम आदमी जनता कर्फ्यू का स्वेच्छा से पालन कर रहा है। स्थिति की भयावहता के मद्देनजर आपने सही मुद्दे को उठाया है। कनिका कपूर जैसे सेलीब्रिटी दंड के पात्र हैं जिन्होंने इसकी जानकारी होने के बावजूद पार्टी का आयोजन किया।
इस सुचिंतित सम्पादकीय के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।