भारत की आत्मा त्योहारों में बसती है
पूजा, दिवाली, ईद, छठ पूजा एक के बाद एक जिस देश की मिट्टीमें रच-बसी है उसी का नाम है भारत।
भारत कृषि प्रधान देश है। देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या आज भी खेती पर निर्भर करती है। कृषि और त्योहार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। खेतीहर दु:ख दर्द झेलते हुये, विपरीत परिस्थितियों में भी पर्व मनाता है। उसके लिये त्योहार धार्मिक प्रतिबद्धता से अधिक सुख की अनुभूति का एक साधन है। वर्ना सूखा, बाढ़, अभाव, गरीबी, अवसाद, अशिक्षा, शारीरिक विकार, सामाजिक विषमता सारी आपदाओं को वह किस प्रकार झेल लेता है।
धर्मान्धता या धार्मिक उन्माद ऐसे में उसे शकून देने का काम करते हैं लेकिन त्योहार उसे फिर संयत बनाता है। त्योहारों के पीछे जो भी धार्मिक मान्यता रही है पर वह इन उत्सवों को आनन्द पर्व के रूप में मना लेता है। हमारे देश या आम आदमी भूख या अभाव बर्दाश्त कर लेता है पर अपनी सांस्कृतिक या धार्मिक मान्यताओं से वह समझौता नहीं करता। इसलिये जब भी उसकी सांस्कृतिक या उसके मान्यताओं पर आघात पहुंचता है, वह विद्रोह करता है। इतिहास उसका साक्षी है।
भारतीय जनजीवन में त्योहारों और उत्सवों का आदिकाल से ही काफी महत्त्व रहा है। यहां मनाए जाने वाले सभी त्योहार मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता व सद्भावना को बढ़ाने का संदेश देते हैं। दरअसल, ये त्योहार ही हैं जो परिवारों और समाज को जोड़ते हैं। त्योहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं के ऐसे जीवंत रूप हैं जिन्हें मनाना या यों कहे कि बारबार मनाना हमें अच्छा लगता है क्योंकि अनोखे रंग समेटे त्योहार हमारे जीवन में उमंग और उत्साह की नई लहरों को जन्म देते हैं। त्योहार जीवन को खुशहाल व रिश्तों को मजबूत बनाने में एक अटूट कड़ी की भूमिका निभाते हैं। होली का त्योहार जहां मस्ती और मौज का संदेश देता है वहीं दीवाली अंधकार को दूर कर के जीवन में रोशनी भरने का। ईसाइयों का त्योहार क्रिसमस संसार से पाप के अंधकार को दूर करने का संदेश देता है तो मुसलमानों की ईद भाईचारे का संदेश देती है। बैसाखी पर्व पंच प्यारे की याद दिलाता है। देश की विविधता में एकता लाने का त्योहार है बैसाखी। इस प्रकार सभी त्योहारों के पीछे समाजोत्थान का कोई न कोई महान उद्देश्य अवश्य ही निहित होता है। लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं जिससे आपसी वैमनस्य घटता है।
त्योहार अच्छा खाना, अच्छा पहनना, खुश रहने और जीवन को खुशनुमा बढ़ाने का श्रेष्ठ माध्यम होते हैं। ऐतिहासिक विरासत और जीवंत संस्कृति के सूचक ये त्योहार विदेशियों के समक्ष भी हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव का प्रदर्शन करते हैं और हमें गौरवान्वित होने का अवसर देते हैं। जीवन को नई ताजगी देते त्योहार जीवन में जीने का उत्साह और उल्लास का रंग भरते हैं जिस से जीने का हौसला दोगुना हो जाता है। रोजमर्रा की परेशानियों को भुला कर हमें सजनेसंवरने और नए स्वाद चखने का भी अवसर देते हैं ये त्योहार।
ये त्योहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं । इन त्योहारों से उसके जीवन की नीरसता समाप्त होती है तथा उसमें एक नवीनता व सरसता का संचार होता है । त्योहारों के आगमन से पूर्व ही मनुष्य की उत्कंठा व उत्साह उसमें एक सकारात्मक व सुखद परिवर्तन लाना प्रारंभ कर देते हैं । वह संपूर्ण आलस्य व नीरसता को त्याग कर पूरे उत्साह के साथ त्योहारों की तैयारी व प्रतीक्षा करता है ।
त्योहार पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय एकता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । त्योहारों का आनंद और भी अधिक होता है जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ त्योहारों में हिस्सा लेते हैं । परिवार के सदस्यों का त्योहार के शुभ अवसर पर एकत्र होने से कार्य की व्यस्तता के कारण जो संवादहीनता या परस्पर दुराव उत्पन्न होता है वह समाप्त हो जाता है। संवेदनाओं व परस्पर मेल आदि से मानवीय भावनाएँ पुनर्जीवित हो उठती हैं । इसके अतिरिक्त पारिवारिक संस्कार आदि का बच्चों पर उत्तम प्रभाव पड़ता है ।
त्योहारों को समाज के सभी वर्गों के साथ मनाने से सामाजिक एकता में प्रगाढ़ता आती है । इसी प्रकार हमारे कुछ राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, शिक्षक दिवस व गाँधी जयंती को सभी धर्मों, जातियों व संप्रदायों के लोग मिल-जुल कर खुशी से मनाते हैं ।
इन अवसरों पर सारा राष्ट्र उन महापुरुषों व देशभक्तों को याद करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को सहर्ष न्यौछावर कर दिया । इस प्रकार हमारे ये राष्ट्रीय पर्व देश को एक सूत्र में बाँधे रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । दूसरे शब्दों में, हमारे त्योहार राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हैं । वे भारतीय नागरिकों के मन में देशप्रेम व बंधुत्व का भाव जगाते हैं ।
हमारे त्योहार हमारी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा व भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं । ये त्योहार हमारी संस्कृति की धरोहर हैं । इन पर्वों व त्योहारों के माध्यम से हमारी संस्कृति की वास्तविक पहचान होती है । इस प्रकार हम देखते हैं कि त्योहारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है । ये त्योहार हमारी नीरसता को समाप्त कर उसमें नया उत्साह व खुशी का रस भरते हैं । इसके अतिरिक्त हमारी पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय एकता को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं ।
त्योहारों को मनाने से हमारी राष्ट्रीय सद्भावना को बल मिलता है इसीलिये कुछ शक्तियां हमारे आपसी समझ और व्यवहार में तनाव पैदा करने का भी षडय़ंत्र करते रहते हैं। बिना सहष्णिुता, धैर्य के त्योहार सार्थक नहीं होते। आपको पटाखे की आवाज से परहेज है तो आपको दिवाली पसन्द नहीं आयेगी। रंगों की विविधता आपको रास नहीं आती तो आप होली कैसे मनायेंगे। गैर से गले मिलना आपकी फितरत में नहीं है तो ईद कैसे मनायेंगे।

त्योहारों की अनुपस्थिति में हमारा जीवन खुशियों से वंचित रह जाता....
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