सावन जब अगन लगाये उसे कौन बुझाये

रावण दहन पर एक व्यंग्यात्मक सोच
सावन जब अगन लगाये 
उसे कौन बुझाये

सभी पाठकों को विजयादशमी और दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं। दशहरे पर दशानन को आग्नेय बाण से जलाने की परम्परा का इस बार भी बखूबी निर्वाह किया गया। भगवान राम का अवतार लेकर सभी वीर पुरुषों ने तीर चलाये। मेघनाथ तो जल गया। कुम्भकरण भी अग्निदग्ध हो गये। पर जब रावण की बारी आई तो भगवान इन्द्र को पता नहीं क्यों यह तमाशा बड़ा नागवार गुजरा। जोरों की बारिश हुई। जाहिर है हजारों दर्शक और राम सजे मर्यादा पुरुषोत्तम तितर-बितर हो गये। खैर बाद में किसी तरह रावण को जलाया गया। हमारे राज्य के सम्मानीय दमकल मंत्री भी पुतलने जलाने वालों में अग्रणी थे। उनके आगमन से रावण दहन की गरिमा में चार चांद लग गये। दमकल विभाग का काम अभी तक अग्निशमन समझा जाता गया है। पर दमकल विभाग के मंत्री के हाथों से अग्नि-वमन का एक अलग ही महत्व है, ऐसा मानकर माननीय मंत्री जी को इस सालाना रावण दहन तमाशे में बुलाया गया था। जनता जनार्दन है जहां - नेता है वहां - इसलिए दमकल मंत्री ने वही किया जो श्रद्धालु जनता चाहती थी। लोकप्रिय होने का यही टिप्स है कि जनता के आग्रह के मुताबिक कार्य किया जाय। बेचारे मंत्री भी क्या करते। और फिर वहां वे गये भी थे रावण को आग लगाने। असत्य पर सत्य की जीत के बाद हजारों लोगों ने दमकल मंत्री को बधाई दी और इस नेक कार्य के लिए उनकी पीठ ठोकी। मंत्री महोदय ने सभी का अभिवादन स्वीकार किया और इस पुण्य कार्य में उनको अवसर देने पर आयोजकों को धन्यवाद देकर वहां से विदा ली।



दमकल मंत्री के साथ रावण पर अग्निबाण छोडऩे की प्रस्तुति, 
नीचे रावण सहित अन्य पुतले धू-धू  कर जलते हुये।




कुछ नकारात्मक सोच वालों ने टिप्पणी कर दी कि दमकल मंत्री का काम आग बुझाना है या आग लगाना? लेकिन सकारात्मक सोच वाले लोग ज्यादा थे। ज्यादा क्या समझ लीजिये सारे ही थे, दो-चार अपवाद को छोड़कर। कानून की बात छोड़ दीजिये। कौन सी धारा है वह कोई हाकिम ही बता सकता है। पर कोई धारा है जिसमें आग लगाने या आग लगाने के लिए उकसाने वालों को दंड देने का प्रावधान है। पर वह धर्म के लिये किया जाया या धर्म संगत हो तो उसके लिए कोई व्यवस्था हमारे कानून में नहीं है, इसकी कमी आज के धर्म-युग में खटकती है। हनुमान जी के पूँछ में आग लगा दी तो उन्होंने पूरी लंका जला दी। बजरंगवली को कोई भगवान से कम नहीं मानता, बल्कि हनुमान के बिना राम की आराधना अधूरी है।

खैर अब इन सब पर इतना गौर नहीं करना चाहिये। धर्म के कार्यों में शुभ-शुभ बातें ही करनी चाहिये। लंका तो सोने की थी जलकर कुन्दन बन कर निकली होगी। लेकिन इस वार्षिक अनुष्ठान में हर वर्ष रावण को जलाया जाता है। सारे देश में ऐसे अनुष्ठान होते हैं। बुराई पर अच्छाई की विजय के महान कार्य में मन छोटा नहीं करना चाहिये। दमकल मंत्री सौ जगह आग बुझाते हैं, एक जगह लगा दी तो इस पर गौर नहीं करना चाहिये। ...जय श्री राम...।


Comments

  1. बढ़िया व्यंग्य है। रावण दहन के बहाने ही सही। क़लम चलती रहनी चाहिए।

    ReplyDelete
  2. बहुत बेहतरीन व्यंगात्मक लेख है सच कहूं यह मेरा अनुभव रहा इस वर्ष का जब मैं काकुर्गाची रावण दहन के कार्यक्रम में पहुंची तो कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला था जो भी हो उसे पढ़कर जीवंत रूप प्रतीत हुआ मुझे बहुत अच्छा लगा

    ReplyDelete

Post a Comment