किन्नरों की दुनिया
हमारे लिये दुआ करते हैं, हमारी बद्दुआएं लेकर मर जाते हैं
हमारे समाज का ताना-बाना मर्द और औरत से मिलकर बना है। लेकिन एक तीसरा जेंडर भी हमारे समाज का हिस्सा है। इसकी पहचान कुछ ऐसी है जिसे सभ्य समाज में अच्छी नजऱ से नहीं देखा जाता। समाज के इस वर्ग को थर्ड जेंडर, किन्नर या हिजड़े के नाम से जाना जाता है। हिन्दुस्तान ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया में इनके दिल की बात और आवाज़ कोई सुनना नहीं चाहता क्योंकि पूरे समाज के लिए इन्हें एक बदनुमा दाग़ समझा जाता है। लोगों के लिए ये सिर्फ हंसी के पात्र हैं। लेकिन, हाल ही में इनकी जिंदगी में झांकने की कोशिश की बांग्लादेश की एक फ़ोटोग्राफऱ शाहरिया शर्मीन ने। इनकी जि़ंदगी के जो रंग आज तक किसी ने नहीं देखे थे उन रंगों को शर्मीन ने अपनी तस्वीरों में उतारा। शर्मीन के इस बेहतरीन काम के लिए इस साल उनका नाम मैग्नम फोटोग्राफर जूरी अवॉर्ड के लिए चुना गया है।
किन्नरों की दुनिया एक अलग तरह की दुनिया है जिनके बारे में आम लोगों को जानकारी कम ही होती है। इसके अलावा किन्नरों पर न ही ज्यादा शोध किया गया है। भारत में बीस लाख से ज्यादा किन्नर है और निरंतर इनकी संख्या घट रही है, मगर फिर भी किन्नरों को संतान मिल ही जाती है। ये उनका लालन-पालन बड़े अच्छे ढंग से करते हैं। जिसे किन्नर बनना होता है, उसे नहला-धुलाकर अगरबत्ती और इत्र की सुगंध के साथ तिलक किया जाता है। शुद्धिकरण उपरांत उसे सम्मानपूर्वक ऊंचे मंच पर बिठाकर उसकी जननेन्द्रिय काट दी जाती है और उसे हमेशा के लिए साड़ी, गहने व चूडिय़ां पहनाकर नया नाम देकर बिरादरी में शामिल कर लिया जाता है। किन्नरों के बारे में कई प्रकार की भ्रांतिया आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं, जैसे कि किन्नरों की शवयात्राएं रात्रि को निकाली जाती हैं। शवयात्रा को उठाने से पूर्व जूतों-चप्पलों से पीटा जाता है। किन्नर के मरने उपरांत पूरा किन्नर समुदाय एक सप्ताह तक भूखा रहता है। इन भ्रांतियों के संबंध में किन्नर भी इन रस्मों को इंकार तो नहीं करते, मगर इसे नाममात्र ही बताते हैं। भारत के किन्नरों के दर्दनाक जीवन की अकांक्षाओं, संघर्ष और सदस्यों की अनदेखी करना ज्यादती होगी। किन्नरों के संबंध में जानकारी मिली है कि कुछ किन्नर जन्मजात होते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं कि पहले पुरुष थे, परंतु बध्याकरण की प्रकिया से किन्नर बने हैं। अपनी आजीविका चलाने वाले किन्नर विवाह-शादी या बच्चा होने पर नाच-गाना करके बधाई में धनराशि व वस्त्र इत्यादि लेते हैं, जबकि त्योहारों के अवसर पर दुकानों इत्यादि से भी पैसा एकत्रित कर लेते हैं। किसी के घर विवाह हो या पुत्ररत्न की प्राप्ति की सूचना, मोहल्लों में छोड़े मुखबिरों से उन्हें मिल जाती है। कुछ जानकारी नगर परिषद में जन्म-मरण रिकॉर्ड से नव जन्मे बच्चे की जानकारी मिल जाती है, जबकि शादी का पता विभिन्न धर्मशालाओं एवं मैरिज पैलेस की बुकिंग से चल जाता है।
माना जाता है कि जिस परिवार को किन्नर समाज दुआ देता है, वो खूब फलता-फूलता है। पुराने दौर में लोग इनके नाम का पैसा निकालते थे और इनकी झोली भर देते थे। आमतौर पर धारणा है कि किन्नरों का दिल नहीं दुखाना चाहिए, लेकिन इन्हें सम्मान जैसी चीज़ भी नसीब नहीं होती जोकि किसी भी इंसान का हक है। हालांकि अब इनके कमाने का तरीक़ा भी बदल गया है। अपने ग्रुप से निकाल दिए जाने के बाद ये सड़कों पर, पार्कों, बसों, ट्रेनों, चौराहों, कहीं भी मांगते हुए नजऱ आ जाते हैं। लोगों की नजऱ में अब इनकी पहचान भिखारी की हो गई है।
भारत में साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें सरकारी दस्तावेज़ों में बाक़ायदा थर्ड जेंडर के तौर पर एक पहचान दी है। वो सरकारी नौकरियों में जगह पा सकते हैं। स्कूल कॉलेज में जाकर पढ़ाई कर सकते हैं। उन्हें वही अधिकार दिए हैं जो किसी भी भारतीय नागरिक के हैं। शर्मीन कहती हैं कि जब तक वो किन्नरों से नहीं मिली थीं, उनके ज़हन में इस समाज के लिए तरह तरह के पूर्वाग्रह थे। लेकिन जब उन्हें कऱीब से जाना तो पता चला कि उनके भी वही एहसास और ख़्वाहिशें हैं जो किसी भी मर्द या औरत के होते हैं। वो भी चाहते हैं समाज में लोग उन्हें उनके नाम से पहचानें।
वैसे तो कई जगह ये भी मान्यता है कि किन्नर शादी या बच्चों के जन्म के मौके पर शुभ होते हैं, लेकिन इसके बावजूद आमतौर पर उनके लिए बस दो ही भावनाएं नजऱ आती हैं - भय या घृणा। और समाज का ये सौतेला बर्ताव झेलते-झेलते किन्नरों का स्वभाव भी प्रतिक्रिया में आक्रामक होता गया है। अश्लील भाषा का इस्तेमाल उनके लिए सामान्य है और आम समाज पर उनका भरोसा टूट चुका है, मगर बदलाव भी हो रहे हैं किन्नरों की दुनिया में। बंगलोर की रहने वाली फ़ामिला ने 5 साल पहले ऑपरेशन करवाया और वह बिलकुल सामान्य महिला नजऱ आती है, बल्कि कूवगम पर्व के मौके पर आयोजित सौंदर्य स्पर्धा में उसने दूसरा स्थान भी हासिल किया।
किन्नरों का भी ''गोल्डन एराÓÓ था। जी हाँ किन्नर को मुगल सम्राज्य में सबसे पहले अहमियत दी गई थी। किन्नरों को महिलाओ के हरम की रक्षा की जिम्मेदारी दी जाती थी। मुगल साम्राज्य का मानना था कि किन्नर हमारे समाज का एक अहम हिस्सा हैं और इसलिए उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। हर एक किन्नर में किसी भी पुरुष जितना ही बल होता है और उसी बल की बदौलत इतिहास में किन्नर सेना द्वारा बहुत सी जंगे भी लड़ी गई हैं। मुगल शासन के समय किन्नरों को सबसे ज्यादा सम्मान प्राप्त हुआ था। किन्नर उनकी कई सेनाओं के जनरल भी थे तो कई रानियों के पर्सनल बॉडीगार्ड। यह सभी कुछ ऐसी जानकारियां हैं जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। किन्नरों को भले ही आज के समय में थर्ड जेंडर का दर्जा मिल गया हो लेकिन फिर भी उन्हें समाज में वो इज्जत नहीं मिल पाई है जिसके वह हकदार हैं।
देश की सोच बदल रही है। समलैंगिकता को सामान्य मानकर उन्हें अपनाने की वकालत की जा रही है। समय-समय पर उनके हक के लिए लड़ाई भी लड़ी जा रही है, लेकिन आज भी कुछ हैरान करने वाली ऐसी चीजें सामने आ जाती हैं, जो देश को फिर 100 साल पीछे धकेल देती है।
आते जाते हम इनको हरकत में देखते हैं तो टेन्सन में आ जाते हैं। घर में किसी मांगलिक अवसर पर इनके आते ही लोक स्तब्ध हो जाते हैं। पर कोई यह नहीं सोचता कि आखिर वे कहां जायें? अपंग लोगों के लिये कुछ काम आरक्षित कर दिये जाते हैं पर इनको कोई काम नहीं देता। लड़-झगड़ कर ये पैसा ले लेते हैं क्यों खुशी से कोई एक पैसा नहीं देता।
समाज और सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिये। इनके लिये कुछ काम आबंटित कर दें जहां सम्मान के साथ ये कार्य कर सकें। गलियों या सड़कों की खाक छानने से बेहतर है कि वे कहीं इत्मिनान से काम करें। इन्हें इज्जत मिले और गुजर बसर करने के साधन मुहैया कराये जायें। जब एक किन्नर किसी शहर की मेयर बन सकता है तो बहुत सारे ओहदे एवं शौर्य वाले काम इकनी प्रतीक्षा कर रहे होंगे।

भारतीय समाज में हिजड़ों के आशीर्वाद को बहुत अहमियत दी गई है। आज भी हर चौराहे सिगनल पर वे रूपये लेकर सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं। आज व्यक्तिवाद , संवेदनहीनता और स्वार्थ परता आदि आधुनिकीकरण ने हिजड़ों के प्रति हम उन्हें भिखारियों की तरह देखने लगे जो मानवीय दृष्टि से ठीक नहीं है।सामाजिक हाशिए पर पड़े हर मनुष्य को अपना स्थान मिलना चाहिए।युगों से अवहेलित इन मनुष्यों को यदि आधुनिक युग में भी समानताएं न मिलीं तो मनुष्यता के साथ अन्याय है। बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteकुछ लोग यह भी मानते हैं कि अगर कोई किन्नर आपके यहां आता है और आपको आशीर्वाद के रूप में आपको अपने पास से कुछ धन देदे। तो आप कीदिन दूनीऔर रात चौगुनी तरक्की हो जायेगी।
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