इंडियन रीडरशिप सर्वे (आईआरएस)
हिन्दी समाचारपत्रों का ही परचम लहरा रहा है
देश में बहुत से लोगों की धारणा है कि अब अखबार या किताबें पढऩे वालों की संख्या कम हो रही है। इन्टरनेट या टेलीविजन देखने वाले बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके ठीक विपरीत समाचार पत्रों की पाठक संख्या बढ़ रही है इसलिये अब यह भ्रम टूट जाना चाहिये। इंडियन रीडरशिप सर्वे (आईआरएस) के इस वर्ष की पहली तिमाही की रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है इसमें इस बात का खुलासा किया गया है। प्रिन्ट मीडिया का ग्राफ ऊपर की ओर गया है, इस सर्वे में।दो साल पहले की तुलना में दैनिक पत्रों की पाठक संख्या में 1.8 करोड़ का इजाफा हुआ है। पत्रिकाओं के 90 लाख पाठक बढ़े हैं। हां, दुनिया में बाकी जगह प्रिंट मीडिया (पत्र, पत्रिकायें आदि) के पाठकों में कमी आयी है। लेकिन भारत विश्व का एकमात्र देश है जहां प्रकाशित मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं के पढऩे वाले बढ़ रहे हैं।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार हिन्दी दैनिक पत्रों के पाठकों में 1 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। अब यह पाठक संख्या 18.6 करोड़ हो चुकी है। क्षेत्रीय दैनिक की पाठक संख्या 21.1 करोड़ है जो पिछली बार से 0.8 करोड़ ज्यादा है। जानकार खुशी और आश्चर्य भी होगा कि ग्रामीण पाठक बढ़े हैं। 0.5 करोड़ ग्रामीण पाठक बढ़े हैं, शेष बढ़ोतरी शहरी पाठकों में हुई है। अंग्रेजी पत्रों के पाठक शहरों में बढ़े हैं और यह बढ़ोतरी 0.3 करोड़ पाठकों की दर्ज हुई है।
इंडियन रीडरशिप सर्वे के महत्वपूर्ण तथ्यों के अनुसार 2019 की पहली तिमाही में ऑनलाईन न्यूजपेपर्स की पाठक संख्या में सर्वभारतीय स्तर पर 5 प्रतिशत वृद्धि हुई है। पत्रिकाओं के पढऩे वाले भी 8.7 करोड़ बढ़े हैं जो पिछली बार यानि 2017 में हुये सर्वे से 90 लाख अधिक है।
पिछले एक महीने में अखबार पढऩे वाले प्रति व्यक्ति का शतांश 39 अपरिवर्तित है किन्तु गांवों में यह शतांश बढ़कर 32 प्रतिशत हो गया है। पत्रिकाओं, सिनेमा, रेडियो के पढऩे-सुनने या देखने वालों में भी बढ़ोतरी हुई है।
हिन्दी दैनिक समाचार पत्र पाठक संख्या में अपना परचम लहरा रहे हैं। हिन्दी पत्रों का देश के समाचार पत्र पाठकों में वर्चस्व कायम है। दैनिक जागरण की पाठक संख्या सबसे ऊपर है। वर्ष 2017 की आईआरएस रिपोर्ट में 7,03,77,000 थी जो दो वर्ष में बढ़कर 7,36,73,000 हो गई है। दूसरे नम्बर पर हिन्दी का ही पत्र दैनिक भास्कर है जिसने अमर उजाला को पीछे छोड़ दिया है। इसको पढऩे वालों की संख्या 2017 के सर्वे के 451,05,000 के मुकाबले इस वर्ष की पहली तिमाही में 5,14,05,000 हो गई है। अमर उजाला के पाठकों की कुल संख्या अब 4 करोड़ 76 लाख 45 हजार है जो पहले 4 करोड़ 60 लाख, 94 हजार थी।
हिन्दी के पांच सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अखबारों के नाम क्रमबद्ध इस तरह हैं:-
1. दैनिक जागरण, 2. दैनिक भास्कर, 3. दैनिक अमर उजाला
4. राजस्थान पत्रिका, 5. प्रभात खबर
क्षेत्रीय समाचार पत्रों में कुल पाठक संख्या क्रम में इस प्रकार हैं-1. असमिया प्रतिदिन (असमिया), 2. आनन्द बाजार पत्रिका (बंगला), गुजरात समाचार (गुजराती), विजय कर्नाटक (कन्नड़), मलयाला मनोरमा (मलयालम), लोकमत (मराठी), सम्बाद (उडिय़ा), जगबानी (पंजाबी), दैनिक थान्थी (तमिल), इनाडु (तेलगू) एवं इनकलाब (उर्दू)।
पत्रिकाओं में इंडिया टुडे का अंग्रेजी और हिन्दी संस्करण सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिकायें हैं। इसके बाद सामान्य ज्ञान दर्पण, वनीता (मलयालम) एवं प्रतियोगिता दर्पण (हिन्दी) का नम्बर है।
अंग्रेजी के दैनिक समाचार पत्रों में टाइम्स ऑफ इंडिया अब भी पहले नम्बर पर है। इस बार के (2019 प्रथम तिमाही) सर्वे में उसकी कुल पाठक संख्या 1 करोड़ 52 लाख 36 हजार है जो पहले 1 करोड़ 30 लाख 45 हजार थी। दूसरा नम्बर हिन्दू का है जिसके बाद में इकोनॉमिक टाइम्स तीसरे नम्बर है। मुम्बई मिरर और इंडियन एक्सप्रेस क्रमश: चौथे और पांचवें पायदान पर है। हिन्दुस्तान टाइम्स जो अंग्रेजी और हिन्दी में निकलता है को रीडरशिप सर्वे में शामिल नहीं किया गया है जिसकी समीक्षा करनी बाकी है और इसके रैंक का पता बाद में चल सकेगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पाठक संख्या की ²ष्टि से हिन्दी और भारतीय भाषाओं के समाचार त्र अंग्रेजी दैनिक पत्रों से कहीं आगे हैं। हिन्दुस्तान दैनिक पत्र के पाठकों की अभी समीक्षा नहीं हुई है अत: अपुष्ट सूत्रों के अनुसार भारत के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले दैनिक समाचार पत्रों में नौ दैनिक समाचार पत्र हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के हैं। संभवत: टाइम्स ऑफ इंडिया का इस क्रम में आठवां स्थान है। अन्य जो सर्वाधिक पढ़े जाने वाले दैनिक पत्र हैं उनमें क्रमबद्ध हैं - दैनिक जागरण (हिन्दी), हिन्दुस्तान (हिन्दी), दैनिक भास्कर (हिन्दी), मलयालम मनोरमा (मलयालम), दैनिक थान्थी (तमिल), राजस्थान पत्रिका (हिन्दी), अमर उजाला (हिन्दी), प्रभात खबर हिन्दी), टाइम्स ऑफ इंडिया (अंग्रेजी) एवं मातृभूमि (मलयालम)।
हमारे देश में हिन्दी और भाषायी पत्रों की न सिर्फ पाठक संख्या सबसे अधिक है पर लोगों के दिलोदिमाग पर इन पत्रों का सबसे अधिक प्रभाव है। आमतौर पर समझा जाता है कि अंग्रेजी के पत्रों का असर है। किन्तु कैसी विडम्बना है कि अंग्रेजी के अखबार के पाठक ई पेपर, ऑनलाईन के प्रभाव से सिकुड़े जा रहे हैं किन्तु केन्द्र और राज्य सरकारें अंग्रेजी पत्रों में छपी खबरों या समीक्षा को अधिक महत्व देती है।
इंडियन एयरलाइन्स (अब एयर इंडिया) में अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी अखबारों को भी उड़ानों में रखने हेतु दो-तीन साल तक मैंने संघर्ष किया तब जाकर एयरलाईन्स प्रबंधकों को यह बात समझ में आयी और अब हिन्दी एवं भाषायी पत्रों को भी उड़ानों में जगह मिलने लगी है।





Well written article with interesting facts. ..
ReplyDeleteWell written article with interesting facts. ..
ReplyDeleteयह आलेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगा साथ ही भाईजी (एस.एन.सुब्बाराव) की वह गीत भी याद आ गई - हिंदी हैं हम करोड़ों करोड़।
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